लड्डू विवाद के बाद हुई पहली बैठक में टीटीडी ने मंदिर परिसर में राजनीतिक बयानबाज़ी पर रोक लगाने, लड्डू के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले घी की खरीद और ग़ैर-हिंदुओं कर्मियों को मंदिर से हटाने जैसे कई फैसले लिए।
साभार : द मिंट
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने कथित मिलावटी लड्डू विवाद के बाद अपनी पहली बैठक में कई निर्णयों को लेकर प्रस्ताव पारित किया है।
इस बैठक में मंदिर में दर्शन के वेटिंग टाइम को कम करने के लिए विशेषज्ञों का पैनल गठन करने, राजनीतिक बयानबाजी पर प्रतिबंध, लड्डू बनाने के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले घी की खरीद और गैर-हिंदुओं को हटाने जैसे कई फैसले लिए गए।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड की ये इस साल जून में तेलुगु देशम पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बैठक थी। एनडीए मंदिर की कई व्यवस्थाओं को लेकर सवाल भी उठा चुका है।
बोर्ड की बैठक के बाद टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे. श्यामला राव ने संवाददाताओं को बताया कि वे भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए वेटिंग टाइम को कम करने के तरीके तलाशना चाहते हैं, जो कभी-कभी 20 घंटे तक हो जाते हैं।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, तिरुमाला के मंदिर में दो से तीन घंटों के भीतर दर्शन पूरे करने और एआई समेत अन्य तकनीक का इस्तेमाल करके श्रद्धालुओं की भीड़ को कम करने और उन्हें व्यवस्थित करने के तरीके सुझाने के लिए एक पैनल के गठन की बात कही गई है।
राव ने आगे कहा कि राज्य सरकार को तिरुमाला में काम करने वाले गैर-हिंदुओं के बारे में फैसला लेने के लिए पत्र लिखने का भी निर्णय किया है।
अधिकारियों के अनुसार, टीटीडी चाहता है कि मंदिर में काम करने वाले गैर-हिंदू धर्म के कर्मचारियों को अन्य सरकारी संस्थानों में ट्रांसफर किया जाए या उन्हें स्वच्छेा से सेवानिवृत्ति की पेशकश की जाए। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि मंदिर के सभी कर्मचारी टीटीडी के धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों के अनुरूप हों।
मालूम हो कि एनडीए सरकार ने श्रीवानी फंड के कथित दुरुपयोग पर चिंता जताई थी।
ज्ञात हो कि इस साल की शुरुआत में सत्तारूढ़ टीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार ने तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर में लड्डू ‘प्रसादम’ में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की शुद्धता के बारे में संदेह जताया था, जिस पर हंगामा हुआ था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने एक लैब रिपोर्ट सार्वजनिक की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भगवान को चढ़ाए जाने वाले लड्डू पशु चर्बी और मिलावटी घी से बने थे।
साभार : द मिंट
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने कथित मिलावटी लड्डू विवाद के बाद अपनी पहली बैठक में कई निर्णयों को लेकर प्रस्ताव पारित किया है।
इस बैठक में मंदिर में दर्शन के वेटिंग टाइम को कम करने के लिए विशेषज्ञों का पैनल गठन करने, राजनीतिक बयानबाजी पर प्रतिबंध, लड्डू बनाने के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले घी की खरीद और गैर-हिंदुओं को हटाने जैसे कई फैसले लिए गए।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बोर्ड की ये इस साल जून में तेलुगु देशम पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद पहली बैठक थी। एनडीए मंदिर की कई व्यवस्थाओं को लेकर सवाल भी उठा चुका है।
बोर्ड की बैठक के बाद टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी जे. श्यामला राव ने संवाददाताओं को बताया कि वे भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए वेटिंग टाइम को कम करने के तरीके तलाशना चाहते हैं, जो कभी-कभी 20 घंटे तक हो जाते हैं।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, तिरुमाला के मंदिर में दो से तीन घंटों के भीतर दर्शन पूरे करने और एआई समेत अन्य तकनीक का इस्तेमाल करके श्रद्धालुओं की भीड़ को कम करने और उन्हें व्यवस्थित करने के तरीके सुझाने के लिए एक पैनल के गठन की बात कही गई है।
राव ने आगे कहा कि राज्य सरकार को तिरुमाला में काम करने वाले गैर-हिंदुओं के बारे में फैसला लेने के लिए पत्र लिखने का भी निर्णय किया है।
अधिकारियों के अनुसार, टीटीडी चाहता है कि मंदिर में काम करने वाले गैर-हिंदू धर्म के कर्मचारियों को अन्य सरकारी संस्थानों में ट्रांसफर किया जाए या उन्हें स्वच्छेा से सेवानिवृत्ति की पेशकश की जाए। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि मंदिर के सभी कर्मचारी टीटीडी के धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों के अनुरूप हों।
मालूम हो कि एनडीए सरकार ने श्रीवानी फंड के कथित दुरुपयोग पर चिंता जताई थी।
ज्ञात हो कि इस साल की शुरुआत में सत्तारूढ़ टीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार ने तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर में लड्डू ‘प्रसादम’ में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की शुद्धता के बारे में संदेह जताया था, जिस पर हंगामा हुआ था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने एक लैब रिपोर्ट सार्वजनिक की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भगवान को चढ़ाए जाने वाले लड्डू पशु चर्बी और मिलावटी घी से बने थे।