उत्तर प्रदेश : रामलीला के दौरान कुर्सी पर बैठने को लेकर कथित बदसलूकी से नाराज दलित व्यक्ति ने फांसी लगाई 

Written by sabrang india | Published on: October 9, 2024
मृतक के परिजनों और दलित समुदाय के लोगों ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया। बढ़ते तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।




उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जहां पुलिसकर्मियों की कथित बदसलूकी से नाराज एक दलित व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रामलीला में कुर्सी पर बैठने पर कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा कथित तौर पर लात-घूंसे मारे जाने और अपमानित किए जाने से सदमे में आ गया। 48 वर्षीय दलित व्यक्ति ने रविवार रात को सोरोन थाने के सलेमपुर विवि गांव में घर जाकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। 

हेट डिटेक्टर की रिपोर्ट के अनुसार, मृतक के परिजनों और दलित समुदाय के लोगों ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया। बढ़ते तनाव को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस ने बताया कि पीड़ित रमेश चंद के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए हैं। 



मृतक की पत्नी राम रति ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में दावा किया है कि उसका पति रविवार रात 9 बजे पड़ोस में रामलीला देखने गया था और खाली कुर्सी पर बैठ गया था। दलित को कुर्सी पर बैठा देखना आयोजकों को पसंद नहीं आया, उन्होंने कांस्टेबल बहादुर और विक्रम चौधरी को बुलाकर "चांद को बाहर कर" दिया। 

राम रति ने अपनी शिकायत में कहा कि आयोजकों के निर्देश पर पुलिस ने चांद को बेरहमी से पीटा और उसे जातिवादी गालियां दीं। उन्होंने कहा, "इसके बाद उन्होंने उसके गले में पड़ा गमछा खींच लिया, उसे जमीन पर पटक दिया और लात-घूंसे मारे।" 

इस बदसलूकी से नाराज चांद सदमे में आ गया और कार्यक्रम में मौजूद लोगों से पूछा कि उसकी गलती क्या थी, लेकिन किसी के पास कोई जवाब नहीं था। इसके बाद वह घर भागा और अपनी पत्नी को अपने साथ हुए बदसलूकी के बारे में बताया और अपने कमरे में चला गया। सोमवार की सुबह राम रति ने अपने पति को फंदे से लटका हुआ पाया। चांद किसान था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और दो बेटियों सहित चार नाबालिग बच्चे हैं।
एडिशनल एसपी राजेश भारती ने बताया कि, "यह व्यक्ति शराब के नशे में रामलीला के मंच पर चढ़ गया था और वहीं बैठ गया था। आयोजकों और दर्शकों ने इस पर आपत्ति जताई और ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी की मदद से उसे मंच से उतार दिया गया। वह सुरक्षित घर वापस आ गया। सोमवार सुबह 6 बजे वह अपने घर में फंदे से लटका मिला। मामले की जांच की जा रही है।"

बता दें कि दलितों से बदसलूकी का यह कोई पहला मामला नहीं है। देश के विभिन्न हिस्सों में उनके साथ भेदभाव की खबरें अक्सर आती हैं। करीब एक सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में एक दलित युवक के साथ मनचलों ने मारपीट कर उस पर पेशाब कर दिया। उसने इस घटना का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया। घटना शक्तिनगर थाना इलाके की थी। घटना की सूचना पीड़ित युवक ने स्थानीय पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी अंकित भारती को गिरफ्तार कर संबंधित धाराओं में सात-आठ युवकों पर मुकदमा दर्ज किया।

ईटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इसी साल अगस्त महीने में राजधानी लखनऊ में एक शर्मनाक मामला सामने आया। जहां एक रेस्टोरेंट में खाना खाने के बाद दबंगों ने वेटर की जाति पूछी और जाति बताने पर पिटाई कर दी। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। आरोप था कि वेटर दलित वर्ग का था ऐसे में खाना खाने आए युवकों ने इसी वजह से बिल देने से मना कर दिया। विरोध करने पर मैनेजर और वेटर दोनों की जमकर पिटाई की। शिकायत पर गोमती नगर थाना पुलिस ने 7 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। 

इसी साल जनवरी महीने में उत्तर प्रदेश के हाथरस और सहरानपुर जिले में दलित उत्पीड़न के मामले सामने आए। द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, हाथरस की सासनी कोतवाली क्षेत्र के गांव सुसायत कला में मामूली कहासुनी के बाद ठाकुर और जाटव (दलित) में मारपीट हुई। जाटवों ने पुलिस से शिकायत की, आरोप था कि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस कारण दलित परिवार घर के बाहर मकान बिकाऊ है पोस्टर लगाए दिए। यह तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो हड़कंप मच गया। पुलिस ने इन मामलों में मुकदमा दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया। वहीं सहरानपुर के देवबंद के स्कूल से लौटते समय दलित छात्र की पिटाई कर दी गई। पीड़ित परिजनों ने इस मामले में पुलिस से लिखित शिकायत की। 

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