"विजय सिंह गोंड की जीत से अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन (ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल AIUFWP) के संघर्ष को मिला बल।"
2022 में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रामदुलार गोंड ने समाजवादी पार्टी के विजय सिंह गोंड को 6,297 मतों से हराकर दुद्धी विधानसभा सीट कब्जा ली थी। [1]। एक ग्राम प्रधान से विधानसभा सदस्य (एमएलए) तक उनका तेजी से उदय, सोनभद्र में बहुतों के लिए हैरत भरा था।
रामदुलार गोंड के राजनीतिक करियर को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उन्हें सोनभद्र की एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा पोक्सो अधिनियम के तहत बलात्कार और आपराधिक धमकी का दोषी पाया। उनकी सजा की घोषणा के कारण उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई, जिससे दुद्धी सीट खाली हुई और उपचुनाव की आवश्यकता पड़ी। [2]।
इसके बाद उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर दुद्धी विधानसभा सीट के लिए विजय सिंह गोंड को उम्मीदवार बनाया। [3]। इस बार विजय सिंह गोंड ने भाजपा के श्रवण गोंड को 2,996 मतों से हराकर जीत हासिल की। [4]। उनकी जीत में ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFWP) के साथ उनके नजदीकी जुड़ाव ने काफी अहम भूमिका निभाई। खास है कि सालों से विजय सिंह गोंड यूनियन के संघर्ष के सहयोगी रहे हैं।
AIUFWP दशकों से, पूरे भारत में वनाधिकार कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए काम कर रही है। यूनियन के समर्थन के चलते विजय सिंह गोंड के प्रचार में वनाधिकार कानून के प्रभावी क्रियान्वयन करने, आदिवासियों पर अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने और आदिवासी महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने जैसे मुद्दे प्रमुख रहे। इससे उनके चुनावी अभियान को भी मजबूती मिली। यही नहीं, उन्होंने दुद्धी में स्थानीय शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जहां सरकार द्वारा कई स्कूलों को बंद कर दिया गया, और सभी के लिए मुफ्त शिक्षा की वकालत की।
विजय सिंह गोंड ने AIUFWP द्वारा उठाई गई प्रमुख मांगों पर काम करने का वादा किया। इनमें मुख्य तौर पर वनों पर निर्भरशील समुदायों के खिलाफ हुए ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त करने, उनके संसाधनो पर अधिकारों को मान्यता देने, समुदाय-केंद्रित वन व्यवस्था का निर्माण करने और वन सुरक्षा कानूनों में हुए अन्यायपूर्ण संशोधनों को निरस्त करना शामिल है। उनका उद्देश्य वन उपज के लिए उचित बाजार मूल्य सुनिश्चित कर, आजीविका को बढ़ावा देना और महिलाओं के भूमि अधिकार, समान वेतन और कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करके महिला अधिकारों को मजबूती देना है। इसके अलावा, विजय सिंह गोंड ने प्रतिगामी चारों श्रम संहिताओं को वापस लेने, श्रम-केंद्रित कानूनों को बहाल करने, किसानों की जरूरतों को संबोधित करने और मनरेगा कार्य के लिए 400 रुपये का न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई है। साथ ही उन्होंने पारंपरिक समुद्री और नदी पर आधारित मछुआरे समुदायों के लिए सामुदायिक संसाधन अधिकार अधिनियम बनाने, सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं को बनाए रखने और भारत के समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के साथ संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का समर्थन किया हैं।
एआईयूएफडब्लूपी अध्यक्ष, प्रमुख वनाधिकार कार्यकर्ता और क्षेत्र की मझौली बिरसा नगर गांव निवासी सोकालो गोंड ने विजय सिंह गोंड की जीत पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, "हमने विजय गोंड के रूप में एक सक्षम प्रतिनिधि पाने के लिए अथक मेहनत की है, और मैं इस जीत से बहुत खुश हूं। जब हमने आंदोलन शुरू किए तो पूर्ववर्ती भाजपा विधायक ने हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, मुझे सिर्फ इसलिए प्रताड़ित होना पड़ा क्योंकि मैं एक महिला हूं। विजय गोंड का चुनाव विशेष रूप से संतोषजनक है क्योंकि वह एआईयूएफडब्लूपी के उभरते महिला नेतृत्व का सम्मान करते हैं, और उनके प्रतिनिधित्व में अपने (महिला आदिवासियों के) उज्जवल भविष्य के बारे में, मैं पूर्ण रूप से आशावादी हूं।"
ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल की राष्ट्रीय महासचिव सुश्री रोमा के शब्दों में, "दरअसल जीत का मुख्य कारण भूमि, महिलाओं और आदिवासियों के बुनियादी मुद्दों को प्रमुखता देना है। जो दर्शाता है कि लोगों के कल्याण की प्रतिबद्धता, राजनीतिक सफलता के लिए सर्वोपरि है।" विजय सिंह गोंड की जीत न केवल इन मुद्दों के महत्व को उजागर करती है बल्कि सार्थक बदलाव लाने के लिए समर्पित प्रयास और जमीनी स्तर पर समर्थन की शक्ति को भी दर्शाती है।
विजय सिंह गोंड की जीत भूमि और आदिवासी अधिकारों के साथ महिलाओं के मुद्दों के महत्व को भी रेखांकित करती है। इन मुद्दों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने मतदाताओं को गहराई से प्रभावित किया और उनकी जीत सुनिश्चित हुई। यह सफलता AIUFWP के लिए भी एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है, क्योंकि इससे उन महत्वपूर्ण मुद्दों पर अधिक ध्यान जाता है, जिनके लिए वे लड़ रहे हैं, जिससे संभावित रूप से मूलनिवासी समुदायों के जीवन में पर्याप्त सुधार हो सकता है।
[1] https://www.oneindia.com/duddhi-assembly-elections-up-403/
[2] https://indianexpress.com/article/political-pulse/rise-and-fall-of-up-bjp-mla-ramdular-gond-convicted-of-rape-set-to-be-disqualified-9067328/
[3] https://www-jagran-com.translate.goog/uttar-pradesh/sonbhadra-akhilesh-yadav-declared-vijay-singh-gond-as-candidate-from-duddhi-seat-has-been-a-minister-in-samajwadi-party-government-23613840.html?_x_tr_sl=hi&_x_tr_tl=en&_x_tr_hl=en&_x_tr_pto=sc&_x_tr_hist=true
[4] https://www-bhaskar-com.translate.goog/local/uttar-pradesh/sonbhadra/news/counting-of-votes-for-by-election-on-dudhi-assembly-seat-will-be-done-133116960.html?_x_tr_sl=hi&_x_tr_tl=en&_x_tr_hl=en&_x_tr_pto=sc
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रामदुलार गोंड के राजनीतिक करियर को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब उन्हें सोनभद्र की एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा पोक्सो अधिनियम के तहत बलात्कार और आपराधिक धमकी का दोषी पाया। उनकी सजा की घोषणा के कारण उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई, जिससे दुद्धी सीट खाली हुई और उपचुनाव की आवश्यकता पड़ी। [2]।
इसके बाद उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर दुद्धी विधानसभा सीट के लिए विजय सिंह गोंड को उम्मीदवार बनाया। [3]। इस बार विजय सिंह गोंड ने भाजपा के श्रवण गोंड को 2,996 मतों से हराकर जीत हासिल की। [4]। उनकी जीत में ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFWP) के साथ उनके नजदीकी जुड़ाव ने काफी अहम भूमिका निभाई। खास है कि सालों से विजय सिंह गोंड यूनियन के संघर्ष के सहयोगी रहे हैं।
AIUFWP दशकों से, पूरे भारत में वनाधिकार कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए काम कर रही है। यूनियन के समर्थन के चलते विजय सिंह गोंड के प्रचार में वनाधिकार कानून के प्रभावी क्रियान्वयन करने, आदिवासियों पर अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने और आदिवासी महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने जैसे मुद्दे प्रमुख रहे। इससे उनके चुनावी अभियान को भी मजबूती मिली। यही नहीं, उन्होंने दुद्धी में स्थानीय शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जहां सरकार द्वारा कई स्कूलों को बंद कर दिया गया, और सभी के लिए मुफ्त शिक्षा की वकालत की।
विजय सिंह गोंड ने AIUFWP द्वारा उठाई गई प्रमुख मांगों पर काम करने का वादा किया। इनमें मुख्य तौर पर वनों पर निर्भरशील समुदायों के खिलाफ हुए ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त करने, उनके संसाधनो पर अधिकारों को मान्यता देने, समुदाय-केंद्रित वन व्यवस्था का निर्माण करने और वन सुरक्षा कानूनों में हुए अन्यायपूर्ण संशोधनों को निरस्त करना शामिल है। उनका उद्देश्य वन उपज के लिए उचित बाजार मूल्य सुनिश्चित कर, आजीविका को बढ़ावा देना और महिलाओं के भूमि अधिकार, समान वेतन और कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करके महिला अधिकारों को मजबूती देना है। इसके अलावा, विजय सिंह गोंड ने प्रतिगामी चारों श्रम संहिताओं को वापस लेने, श्रम-केंद्रित कानूनों को बहाल करने, किसानों की जरूरतों को संबोधित करने और मनरेगा कार्य के लिए 400 रुपये का न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई है। साथ ही उन्होंने पारंपरिक समुद्री और नदी पर आधारित मछुआरे समुदायों के लिए सामुदायिक संसाधन अधिकार अधिनियम बनाने, सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं को बनाए रखने और भारत के समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के साथ संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का समर्थन किया हैं।
एआईयूएफडब्लूपी अध्यक्ष, प्रमुख वनाधिकार कार्यकर्ता और क्षेत्र की मझौली बिरसा नगर गांव निवासी सोकालो गोंड ने विजय सिंह गोंड की जीत पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, "हमने विजय गोंड के रूप में एक सक्षम प्रतिनिधि पाने के लिए अथक मेहनत की है, और मैं इस जीत से बहुत खुश हूं। जब हमने आंदोलन शुरू किए तो पूर्ववर्ती भाजपा विधायक ने हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, मुझे सिर्फ इसलिए प्रताड़ित होना पड़ा क्योंकि मैं एक महिला हूं। विजय गोंड का चुनाव विशेष रूप से संतोषजनक है क्योंकि वह एआईयूएफडब्लूपी के उभरते महिला नेतृत्व का सम्मान करते हैं, और उनके प्रतिनिधित्व में अपने (महिला आदिवासियों के) उज्जवल भविष्य के बारे में, मैं पूर्ण रूप से आशावादी हूं।"
ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल की राष्ट्रीय महासचिव सुश्री रोमा के शब्दों में, "दरअसल जीत का मुख्य कारण भूमि, महिलाओं और आदिवासियों के बुनियादी मुद्दों को प्रमुखता देना है। जो दर्शाता है कि लोगों के कल्याण की प्रतिबद्धता, राजनीतिक सफलता के लिए सर्वोपरि है।" विजय सिंह गोंड की जीत न केवल इन मुद्दों के महत्व को उजागर करती है बल्कि सार्थक बदलाव लाने के लिए समर्पित प्रयास और जमीनी स्तर पर समर्थन की शक्ति को भी दर्शाती है।
विजय सिंह गोंड की जीत भूमि और आदिवासी अधिकारों के साथ महिलाओं के मुद्दों के महत्व को भी रेखांकित करती है। इन मुद्दों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने मतदाताओं को गहराई से प्रभावित किया और उनकी जीत सुनिश्चित हुई। यह सफलता AIUFWP के लिए भी एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है, क्योंकि इससे उन महत्वपूर्ण मुद्दों पर अधिक ध्यान जाता है, जिनके लिए वे लड़ रहे हैं, जिससे संभावित रूप से मूलनिवासी समुदायों के जीवन में पर्याप्त सुधार हो सकता है।
[1] https://www.oneindia.com/duddhi-assembly-elections-up-403/
[2] https://indianexpress.com/article/political-pulse/rise-and-fall-of-up-bjp-mla-ramdular-gond-convicted-of-rape-set-to-be-disqualified-9067328/
[3] https://www-jagran-com.translate.goog/uttar-pradesh/sonbhadra-akhilesh-yadav-declared-vijay-singh-gond-as-candidate-from-duddhi-seat-has-been-a-minister-in-samajwadi-party-government-23613840.html?_x_tr_sl=hi&_x_tr_tl=en&_x_tr_hl=en&_x_tr_pto=sc&_x_tr_hist=true
[4] https://www-bhaskar-com.translate.goog/local/uttar-pradesh/sonbhadra/news/counting-of-votes-for-by-election-on-dudhi-assembly-seat-will-be-done-133116960.html?_x_tr_sl=hi&_x_tr_tl=en&_x_tr_hl=en&_x_tr_pto=sc
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