"UP में गन्ना मूल्य में 20 रुपए की बढ़ोत्तरी को किसानों ने भद्दा मजाक बताया है। कहा कि गत वर्ष कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई थी। 3 साल में 20 रुपए की वृद्धि न्यायपूर्ण कम, भीख ज्यादा प्रतीत होती है। इस साल तो प्राकृतिक आपदा के चलते गन्ने की पैदावार भी एक चौथाई तक गिरी है। कहा एक ओर, स्वयं प्रधानमंत्री किसानों की आय दोगुनी करने की बात करते हैं तो दूसरी ओर लागत के मुकाबले भाव में मामूली बढ़ोत्तरी की बात है। ऐसे में आय कैसे दोगुनी होगी, अपने आप में बड़ा सवाल है। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने बढ़ती लागत के मद्देनजर किसान की आय घटने की बात कही है तो सपा रालोद अध्यक्ष अखिलेश और जयंत चौधरी ने ढाई माह बाद की गई 20 रुपए की गन्ना मूल्य बढ़ोत्तरी को मामूली बताते हुए, किसानों का अपमान करार दिया है। इस सबके बीच आम गन्ना किसान निराश और मायूस है और आगे से गन्ना बुवाई कम करने की बात कह रहे हैं।"
*राकेश टिकैत बोले ऐसे कैसे होगी किसानों की आय दोगुनी?*
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना मूल्य 20 रुपये बढ़ाया है। इसके यूपी के गन्ना किसानों को निराशा हुई है। किसान 400 रुपए से अधिक गन्ना मूल्य घोषित होने की आशा कर रहा था। कहा खाद-बीज, कीटनाशी दवाई, महंगा डीजल व महंगे श्रम से किसान की लागत आसमान छू रही है। ऊपर से प्राकृतिक आपदा की मार। ऐसे में किसान की आय बढ़ने की बजाय घटेगी तो आय दोगुनी करने के वादे का क्या होगा?। कहा कि खेती पर प्रतिदिन खर्च बढ़ता जा रहा है। इसके अनुपात में किसान को फसल का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है। राकेश टिकैत ने कहा किसानों का भविष्य सरकार नहीं, आंदोलन तय करेगा। उन्होंने सभी मांगों के लिए 26 फरवरी को पूरे देश में ट्रेक्टर परेड, 16 फरवरी को भारत बंद व 14 मार्च को दिल्ली में किसान महापंचायत करने की बात कही।
*सरकार द्वारा बढ़ाया गया गन्ना मूल्य नाकाफीः धर्मेंद्र मलिक*
भाकियू अराजनीतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि पिछले साल भी गन्ना मूल्य में बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी इस बार कम से कम हरियाणा और पंजाब जितना गन्ने का भाव तो होना चाहिए था। धर्मेंद्र मलिक ने कहा गन्ने से बनने वाले सभी उत्पाद भी महंगे हो रहे हैं और चीनी का भाव भी 25 परसेंट से अधिक बढ़ा है इसलिए गन्ने का भाव हरियाणा पंजाब के बराबर होना चाहिए।
*किसान नाखुश, बताया भौंड़ा मजाक*
प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना मूल्य में की गई 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी से किसान नाखुश हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि सरकार द्वारा की गई यह बढ़ोतरी किसानों के साथ मजाक है। इस मूल्य पर तो गन्ने की लागत भी नहीं निकल पाएगी। खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है।
किसान चिंतक प्रीतम चौधरी इसे एक भद्दा मजाक करार देते हुए कहते हैं कि प्रधानमंत्री द्वारा सहारनपुर की धरती से गन्ना भाव, बकाया पर ब्याज के साथ किसान की आय दोगुनी करने के वादे के साथ 2016 में उत्तर प्रदेश में बदलाव लाने का आह्वान किया गया था। किसानों ने तो वादा निभाया, सरकार बनवाई लेकिन किसान की आय बढ़ने के बजाय घट रही है। अब बढ़ती लागत के बीच 360-370 के भाव किसान की आय दोगुनी करने की बात कोरा ढोंग ही कहा जाएगा। इस साल गन्ने की पैदावार भी कम है। कहा पड़ोसी राज्यों में एक से सवा प्रतिशत तक रिकवरी कम होने के बावजूद, गन्ना भाव उत्तर प्रदेश से कहीं ज्यादा है। चीनी रिकवरी के आधार पर देखें तो हरियाणा पंजाब में गन्ने का एमएसपी (एफआरपी) उत्तर प्रदेश से 20-25 रुपए तक कम बैठता है लेकिन है यूपी से 20 रुपए तक ज्यादा। यह अंतर कई साल से चल रहा है जबकि हरियाणा की तरह यूपी में भी डबल इंजन की ही सरकार है।
किसानों के साथ धोखा
भाकियू असली के नेता चौ हरपाल सिंह कहते हैं कि योगी सरकार ने दो साल में सिर्फ 20 रुपये गन्ने के रेट बढ़ाए हैं। पड़ोसी राज्य हरियाणा में गन्ने का मूल्य 381, पंजाब में 391, महाराष्ट्र और कर्नाटक में 400 रुपये प्रति क्विंटल तक है। देश का एक तिहाई गन्ना यूपी में पैदा होता है लेकिन यूपी सरकार रेट के मामले में सबसे पीछे है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वादा किया था। उस हिसाब से गन्ने का रेट 460 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। लेकिन उल्टे लागत बढ़ रही है। अब एक और वृद्धि यूरिया की हुई है। यूरिया का कट्टा 50 की जगह 40 किलो का हो गया है लेकिन दाम 370 रुपये ही है। आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ मजाक कर रही है। इस मामले में आंदोलन किया जाएगा।
किसान नेता मनोज चौधरी ने कहा कि यूरिया का वजन 50 की जगह 40 किलो कर सरकार ने दाम बढ़ा दिया। कीटनाशक दवाओं का रेट बढ़ गया। डीजल का रेट पहले से बढ़ा हुआ है। गन्ने का बीज महंगा हो गया। गन्ने का भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। लेबर महंगी है ही लेकिन बावजूद इसके हरियाणा और पंजाब में गन्ने का रेट बढ़ा है। गन्ने का रोग किसानों को परेशान कर रहा है। आधा सीजन बीतने के बाद सिर्फ 20 रुपये की वृद्धि स्वीकार करने योग्य नहीं है।
भारतीय किसान संघ के प्रांतीय संयोजक श्यामवीर त्यागी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य किसानों के साथ धोखा है। झबरेड़ा, उत्तराखंड क्षेत्र के कोल्हुओं में ही इस समय 400 रुपये क्विंटल से अधिक भाव चल रहा है। लागत में काफी वृद्धि हो चुकी है। इस गन्ना मूल्य से किसान असंतुष्ट हैं। भारतीय किसान संघ किसानों की उपेक्षा का पुरजोर विरोध करेगा। वही भारतीय किसान यूनियन (पथिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज चौधरी ने कहा कि गन्ना मूल्य में मात्र 20 रुपये क्विंटल की बढ़ोतरी करना किसानों साथ मजाक है। लागत को देखते हुए गन्ना मूल्य कम से कम 450 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। प्रदेश के किसानों को इस बार गन्ना मूल्य में अच्छी वृद्धि की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने निराश किया है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय सचिव चौधरी विनय कुमार ने कहा कि गन्ना मूल्य में मात्र 20 रुपये क्विंटल की वृद्धि से स्पष्ट है कि भाजपा के एजेंडे में किसान नहीं हैं। इस मूल्य से किसान के लिए गन्ने की लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा। प्राकृतिक आपदा के चलते इस बार गन्ना की पैदावार कम है। रही सही कसर गन्ना मूल्य से पूरी कर दी है। सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति से किसान बरबाद हो जाएंगे।
*गन्ने के SAP में ₹20 की बढ़ोतरी नगण्य, मामूली: जयंत, अखिलेश*
रालोद और सपा नेताओं ने गन्ना मूल्य में मात्र 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की और इसे नगण्य और निराशाजनक बताया। हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के अनुसार, उनका तर्क है कि गन्ना मूल्य में बढ़ोत्तरी, न सिर्फ बढ़ती लागत के सामने नगण्य, मामूली है बल्कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में भी कम है। दोनों नेता न्यूनतम कीमत ₹450 प्रति क्विंटल की मांग करते हैं।
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य वृद्धि को नगण्य और मामूली बताया है।जयंत चौधरी ने गुरुवार को एक लिखित बयान में कहा कि, एक देरी से उठाए गए कदम के तौर पर, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2023-24 सीज़न के लिए गन्ने के राज्य सलाहित मूल्य (एसएपी) में ₹20 प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा की है। इससे किसान भी संशय में हैं क्योंकि कीटनाशकों, उर्वरकों, कृषि मशीनरी और डीजल की बढ़ती लागत को देखते हुए बढ़ोतरी नगण्य प्रतीत होती है। आरएलडी प्रमुख ने कहा कि किसान गन्ने के लिए न्यूनतम ₹450 प्रति क्विंटल की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार की मात्र ₹20 की बढ़ोतरी की घोषणा ने उन्हें निराश किया है, खासकर तब जब राज्य में भाजपा शासन के पिछले सात वर्षों के दौरान एसएपी में केवल ₹ 55 प्रति क्विंटल की ही बढ़ोतरी की गई है।
”जयंत ने बताया “हालिया बढ़ोतरी के साथ, उत्तर प्रदेश में गन्ने की कीमत अब ₹360-370 प्रति क्विंटल है, जो अभी भी हरियाणा और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों से कम है, जहां कीमतें क्रमशः ₹386 और ₹392 प्रति क्विंटल हैं। हरियाणा ने तो पहले ही अगले सीज़न (2024-25) के लिए भी ₹400 की दर की घोषणा कर दी है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने के दावों के बावजूद, वास्तविकता पूरी तरह से अलग दिखती है, क्योंकि गन्ने की कीमतों ने न तो किसानों के लिए लाभप्रदता सुनिश्चित की है और न ही उनकी उपज के लिए शीघ्र भुगतान की सुविधा प्रदान की है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी गन्ने के लिए राज्य सलाहित मूल्य (एसएपी) में 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ''सरकार ने किसानों को एक बार फिर धोखा दिया।'' उन्होंने बढ़ोतरी को "मामूली" बताया और गन्ने के लिए एसएपी ₹450 प्रति क्विंटल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन लागत में भारी वृद्धि के बीच, सरकार ने तीन साल बाद गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी की और वह भी महज 20 रुपये प्रति क्विंटल की। उन्होंने कहा “यह न केवल अन्याय है बल्कि किसानों का अपमान भी है। भाजपा किसान विरोधी है”।
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*सरकार द्वारा बढ़ाया गया गन्ना मूल्य नाकाफीः धर्मेंद्र मलिक*
भाकियू अराजनीतिक के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि पिछले साल भी गन्ना मूल्य में बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी इस बार कम से कम हरियाणा और पंजाब जितना गन्ने का भाव तो होना चाहिए था। धर्मेंद्र मलिक ने कहा गन्ने से बनने वाले सभी उत्पाद भी महंगे हो रहे हैं और चीनी का भाव भी 25 परसेंट से अधिक बढ़ा है इसलिए गन्ने का भाव हरियाणा पंजाब के बराबर होना चाहिए।
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प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना मूल्य में की गई 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी से किसान नाखुश हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि सरकार द्वारा की गई यह बढ़ोतरी किसानों के साथ मजाक है। इस मूल्य पर तो गन्ने की लागत भी नहीं निकल पाएगी। खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है।
किसान चिंतक प्रीतम चौधरी इसे एक भद्दा मजाक करार देते हुए कहते हैं कि प्रधानमंत्री द्वारा सहारनपुर की धरती से गन्ना भाव, बकाया पर ब्याज के साथ किसान की आय दोगुनी करने के वादे के साथ 2016 में उत्तर प्रदेश में बदलाव लाने का आह्वान किया गया था। किसानों ने तो वादा निभाया, सरकार बनवाई लेकिन किसान की आय बढ़ने के बजाय घट रही है। अब बढ़ती लागत के बीच 360-370 के भाव किसान की आय दोगुनी करने की बात कोरा ढोंग ही कहा जाएगा। इस साल गन्ने की पैदावार भी कम है। कहा पड़ोसी राज्यों में एक से सवा प्रतिशत तक रिकवरी कम होने के बावजूद, गन्ना भाव उत्तर प्रदेश से कहीं ज्यादा है। चीनी रिकवरी के आधार पर देखें तो हरियाणा पंजाब में गन्ने का एमएसपी (एफआरपी) उत्तर प्रदेश से 20-25 रुपए तक कम बैठता है लेकिन है यूपी से 20 रुपए तक ज्यादा। यह अंतर कई साल से चल रहा है जबकि हरियाणा की तरह यूपी में भी डबल इंजन की ही सरकार है।
किसानों के साथ धोखा
भाकियू असली के नेता चौ हरपाल सिंह कहते हैं कि योगी सरकार ने दो साल में सिर्फ 20 रुपये गन्ने के रेट बढ़ाए हैं। पड़ोसी राज्य हरियाणा में गन्ने का मूल्य 381, पंजाब में 391, महाराष्ट्र और कर्नाटक में 400 रुपये प्रति क्विंटल तक है। देश का एक तिहाई गन्ना यूपी में पैदा होता है लेकिन यूपी सरकार रेट के मामले में सबसे पीछे है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वादा किया था। उस हिसाब से गन्ने का रेट 460 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। लेकिन उल्टे लागत बढ़ रही है। अब एक और वृद्धि यूरिया की हुई है। यूरिया का कट्टा 50 की जगह 40 किलो का हो गया है लेकिन दाम 370 रुपये ही है। आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ मजाक कर रही है। इस मामले में आंदोलन किया जाएगा।
किसान नेता मनोज चौधरी ने कहा कि यूरिया का वजन 50 की जगह 40 किलो कर सरकार ने दाम बढ़ा दिया। कीटनाशक दवाओं का रेट बढ़ गया। डीजल का रेट पहले से बढ़ा हुआ है। गन्ने का बीज महंगा हो गया। गन्ने का भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। लेबर महंगी है ही लेकिन बावजूद इसके हरियाणा और पंजाब में गन्ने का रेट बढ़ा है। गन्ने का रोग किसानों को परेशान कर रहा है। आधा सीजन बीतने के बाद सिर्फ 20 रुपये की वृद्धि स्वीकार करने योग्य नहीं है।
भारतीय किसान संघ के प्रांतीय संयोजक श्यामवीर त्यागी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य किसानों के साथ धोखा है। झबरेड़ा, उत्तराखंड क्षेत्र के कोल्हुओं में ही इस समय 400 रुपये क्विंटल से अधिक भाव चल रहा है। लागत में काफी वृद्धि हो चुकी है। इस गन्ना मूल्य से किसान असंतुष्ट हैं। भारतीय किसान संघ किसानों की उपेक्षा का पुरजोर विरोध करेगा। वही भारतीय किसान यूनियन (पथिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज चौधरी ने कहा कि गन्ना मूल्य में मात्र 20 रुपये क्विंटल की बढ़ोतरी करना किसानों साथ मजाक है। लागत को देखते हुए गन्ना मूल्य कम से कम 450 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। प्रदेश के किसानों को इस बार गन्ना मूल्य में अच्छी वृद्धि की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने निराश किया है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के राष्ट्रीय सचिव चौधरी विनय कुमार ने कहा कि गन्ना मूल्य में मात्र 20 रुपये क्विंटल की वृद्धि से स्पष्ट है कि भाजपा के एजेंडे में किसान नहीं हैं। इस मूल्य से किसान के लिए गन्ने की लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा। प्राकृतिक आपदा के चलते इस बार गन्ना की पैदावार कम है। रही सही कसर गन्ना मूल्य से पूरी कर दी है। सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति से किसान बरबाद हो जाएंगे।
*गन्ने के SAP में ₹20 की बढ़ोतरी नगण्य, मामूली: जयंत, अखिलेश*
रालोद और सपा नेताओं ने गन्ना मूल्य में मात्र 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की और इसे नगण्य और निराशाजनक बताया। हिंदुस्तान टाइम्स की एक खबर के अनुसार, उनका तर्क है कि गन्ना मूल्य में बढ़ोत्तरी, न सिर्फ बढ़ती लागत के सामने नगण्य, मामूली है बल्कि पड़ोसी राज्यों की तुलना में भी कम है। दोनों नेता न्यूनतम कीमत ₹450 प्रति क्विंटल की मांग करते हैं।
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) प्रमुख जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य वृद्धि को नगण्य और मामूली बताया है।जयंत चौधरी ने गुरुवार को एक लिखित बयान में कहा कि, एक देरी से उठाए गए कदम के तौर पर, उत्तर प्रदेश सरकार ने 2023-24 सीज़न के लिए गन्ने के राज्य सलाहित मूल्य (एसएपी) में ₹20 प्रति क्विंटल की वृद्धि की घोषणा की है। इससे किसान भी संशय में हैं क्योंकि कीटनाशकों, उर्वरकों, कृषि मशीनरी और डीजल की बढ़ती लागत को देखते हुए बढ़ोतरी नगण्य प्रतीत होती है। आरएलडी प्रमुख ने कहा कि किसान गन्ने के लिए न्यूनतम ₹450 प्रति क्विंटल की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार की मात्र ₹20 की बढ़ोतरी की घोषणा ने उन्हें निराश किया है, खासकर तब जब राज्य में भाजपा शासन के पिछले सात वर्षों के दौरान एसएपी में केवल ₹ 55 प्रति क्विंटल की ही बढ़ोतरी की गई है।
”जयंत ने बताया “हालिया बढ़ोतरी के साथ, उत्तर प्रदेश में गन्ने की कीमत अब ₹360-370 प्रति क्विंटल है, जो अभी भी हरियाणा और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों से कम है, जहां कीमतें क्रमशः ₹386 और ₹392 प्रति क्विंटल हैं। हरियाणा ने तो पहले ही अगले सीज़न (2024-25) के लिए भी ₹400 की दर की घोषणा कर दी है। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने के दावों के बावजूद, वास्तविकता पूरी तरह से अलग दिखती है, क्योंकि गन्ने की कीमतों ने न तो किसानों के लिए लाभप्रदता सुनिश्चित की है और न ही उनकी उपज के लिए शीघ्र भुगतान की सुविधा प्रदान की है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी गन्ने के लिए राज्य सलाहित मूल्य (एसएपी) में 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ''सरकार ने किसानों को एक बार फिर धोखा दिया।'' उन्होंने बढ़ोतरी को "मामूली" बताया और गन्ने के लिए एसएपी ₹450 प्रति क्विंटल करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन लागत में भारी वृद्धि के बीच, सरकार ने तीन साल बाद गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी की और वह भी महज 20 रुपये प्रति क्विंटल की। उन्होंने कहा “यह न केवल अन्याय है बल्कि किसानों का अपमान भी है। भाजपा किसान विरोधी है”।
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