“सरकार ने आंदोलन ख़त्म करते समय लिखित में कहा था कि उन पर दर्ज सभी मुक़दमों को वापस लिया जाएगा लेकिन आंदोलन के इतने दिनों के बाद अब नोटिस भेजकर सरकार किसानों को डराने की कोशिश कर रही है।”
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर वादाख़िलाफ़ी का आरोप लगाया है, उनका कहना है कि किसान आंदोलन के वक़्त उनसे जो वादे किए गए थे उनका उल्लंघन किया जा रहा है। इस सिलसिले में किसानों के साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 2 दिसंबर, 2023 को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में एक प्रेस वार्ता की।
प्रेस वार्ता के माध्यम से SKM ने कहा कि "केंद्र सरकार ने लिखित रूप से ये वादा किया था कि किसान आंदोलन के दौरान किसान नेताओं पर दर्ज सभी मुक़दमों को वापस लिया जाएगा लेकिन इन वादों को नज़रअंदाज़ करते हुए नेताओं के ख़िलाफ़ जांच एजेंसियों के इस्तेमाल की तैयारी की जा रही है।" इस सिलसिले में SKM ने आने वाले दिनों में केंद्र के ख़िलाफ़ एक बड़े 'राष्ट्रव्यापी आंदोलन' की चेतावनी दी।
इस प्रेस वार्ता को संयुक्त किसान मोर्चा के अलग-अलग घटक दलों के नेताओं ने संबोधित किया। इसमें मुख्यतौर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शनपाल, अखिल भारतीय किसान सभा के वित्तीय सचिव कृष्ण प्रसाद समेत कई अन्य नेता शामिल थे।
राकेश टिकैत ने, किसान नेता युद्धवीर सिंह को बुधवार 29 नवंबर को विदेश जाने से रोकने को लेकर केंद्र सरकार को घेरा और आरोप लगाया कि सरकार किसान नेताओं को डराना चाहती है। टिकैत ने युद्धवीर सिंह को रोके जाने को गैरकानूनी बताया। उन्होंने कहा कि युद्धवीर सिंह को ग़लत तरीके से रोका और हिरासत में लिया गया, इसके बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन के बाद उन्हें रिहा कर अगले दिन विदेश जाने की व्यव्स्था की गई।
संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि युद्धवीर पहले ऐसे किसान नेता नही थे जिन्हें पुलिसिया कार्रवाई से यात्रा करने से रोका गया।
किसान नेताओं पर कथित दमन को लेकर SKM ने निम्नलिखित मामलों का ब्योरा दिया:
1) SKM नेता और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के महासचिव युद्धवीर सिंह को 29 नवंबर, 2023 को सुबह 2 बजे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इस आधार पर गिरफ्तार किया गया था कि वह दिल्ली में 2020-21 के किसान संघर्ष से संबंधित मामलों में आरोपी हैं। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय किसान सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोलंबिया की उनकी उड़ान छूट गई। बाद में किसान आंदोलन के कड़े विरोध के कारण दिल्ली पुलिस को उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
2) हरियाणा, रोहतक के बीकेयू नेता वीरेंद्र सिंह हुड्डा को 22 नवंबर, 2023 को दिल्ली पुलिस से नोटिस मिला, जिसमें उन्हें एफआईआर नंबर 522/2020 दिनांक 26.11.2020 से संबंधित एक मामले में पेश होने का निर्देश दिया गया था। फिर किसानों के विरोध के सामने, दिल्ली पुलिस को सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि नोटिस वापस ले लिया गया है।
3) 7 दिसंबर, 2022 को बीकेयू के अर्जुन बलियान को नई दिल्ली हवाई अड्डे पर नेपाल जाने से रोका गया।
4) पंजाब के SKM नेता, सतनाम सिंह बेहरू और हरिंदर सिंह लोकोवाल दिल्ली किसान संघर्ष से संबंधित दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे हैं।
किसान नेता दर्शनपाल ने भी केंद्र पर वादाख़िलाफ़ी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि "सरकार ने आंदोलन ख़त्म करते समय लिखित में कहा था कि उन पर दर्ज सभी मुक़दमों को वापस लिया जाएगा लेकिन आंदोलन के इतने दिनों के बाद भी अब नोटिस भेजकर सरकार किसानों को डराने की कोशिश कर रही है।"
आपको बता दें, केंद्र सरकार ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र (दिनांक 9 दिसंबर 2021) के माध्यम से स्पष्ट रूप से कहा था कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की राज्य सरकारें किसान आंदोलन से संबंधित सभी मामलों को तुरंत वापस लेने के लिए पूरी तरह से सहमत हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार, इसकी एजेंसियां और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन भी किसानों से संबंधित सभी मामलों को वापस लेने पर सहमत हुए थे। केंद्र सरकार ने अन्य सभी राज्य सरकारों से भी किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मुक़दमों को वापस लेने का अनुरोध किया था।
इसके अलावा राज्यसभा में उठाए गए प्रश्न संख्या 1158, दिनांक 19 दिसंबर 2022 के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया था कि "गृह मंत्रालय में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार किसानों के ख़िलाफ़ 86 मामले वापस लेने का प्रस्ताव है और गृह मंत्रालय ने ऐसा करने की इजाज़त दे दी है। इसके अलावा रेल मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा बल द्वारा किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए सभी मामले वापस लेने का निर्देश दिया है।"
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि लिखित वादों और आश्वासनों के बावजूद, मोदी सरकार ने किसान नेताओं के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को तैनात कर दिया है और एनआईए ने दिल्ली में किसान आंदोलन से संबंधित मामलों में SKM नेताओं के ख़िलाफ़ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पारदर्शी होने और सभी एलओसी को सार्वजनिक करने की मांग भी उठाई।
दर्शनपाल ने कहा, "किसान नेताओं को आपराधिक मामलों में फंसाने की मौजूदा कार्यप्रणाली मोदी सरकार द्वारा किए गए वादों का घोर उल्लंघन है। SKM इस तरह के कदम की कड़ी निंदा करता है और मांग करता है कि गृह मंत्री अमित शाह बताएं कि केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादे का उल्लंघन करते हुए एनआईए और अन्य जांच एजेंसियों का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है?”
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, "दिल्ली में किसानों का संघर्ष कृषि के कॉरपोरेटीकरण को लागू करने के ख़िलाफ़ और किसानों, खेत मज़दूरों व ग्रामीण गरीबों के हितों की रक्षा के लिए एक जन आंदोलन था। किसानों के संघर्ष को राष्ट्र-विरोधी या विदेशी वित्त पोषित के रूप में चित्रित करने का मोदी सरकार का कोई भी प्रयास सफल नहीं होगा।"
SKM नेता कृष्णा प्रसाद ने कहा, “SKM और ट्रेड यूनियनों द्वारा संयुक्त रूप से सभी राजभवनों के समक्ष हाल ही में राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन की महत्वपूर्ण सफलता से मोदी सरकार घबरा गई है। इसलिए किसान नेताओं के ख़िलाफ़ जांच एजेंसियों और दिल्ली पुलिस का अवैध इस्तेमाल किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा, C2+50% के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य, व्यापक ऋण माफी, 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करने, बिजली बिल 2022 को वापस लेने और निजीकरण न करने की मांगों समेत 21 सूत्री मांग पत्र पर चल रहे संघर्ष को और तेज़ करेगा और इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों, खेत मज़दूरों और ग्रामीण गरीबों से व्यापक तैयारी करने का आह्वान किया है।”
संयुक्त किसान ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं के ख़िलाफ़ प्रतिशोध की भावना से क़दम उठाया जाएगा तो किसानों की ओर से पूरे देश में शांतिपूर्ण तरीके से बड़े पैमाने पर प्रतिरोध किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की कि "प्रतिशोधी कृत्य को अंजाम देने वाले संबंधित अधिकारियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाए।"
संयुक्त किसान मोर्चा ने भविष्य के अपने कार्यक्रम की जानकारी दी:
संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि वह भारत के राष्ट्रपति से मिलने के लिए समय मांगेगा और केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए एक ज्ञापन भी सौंपेगा। ज्ञापन के द्वारा मांग की जाएगी कि SKM को दी गई लिखित प्रतिबद्धताओं का सरकार उल्लंघन न करें और प्रतिशोध की किसी भी कार्रवाई से दूर रहें। इसके अलावा SKM गृह सचिव को भी एक ज्ञापन सौंपेगा, जिसमें उनसे SKM नेताओं के ख़िलाफ़ एलओसी जारी किए जाने को सार्वजनिक करने और सभी लंबित मामलों को वापस लेने का आग्रह किया जाएगा।
SKM ने बताया कि वह इस मामले को लेकर किसानों और खेत-मज़दूरों के बीच एक अभियान चलाएगा और उनका एक प्रतिनिधिमंडल 11 दिसंबर, 2023 को जिला कलेक्टरों से मिलकर भारत के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपेगा।
COURTESY: NEWSCLICK
किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर वादाख़िलाफ़ी का आरोप लगाया है, उनका कहना है कि किसान आंदोलन के वक़्त उनसे जो वादे किए गए थे उनका उल्लंघन किया जा रहा है। इस सिलसिले में किसानों के साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 2 दिसंबर, 2023 को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में एक प्रेस वार्ता की।
प्रेस वार्ता के माध्यम से SKM ने कहा कि "केंद्र सरकार ने लिखित रूप से ये वादा किया था कि किसान आंदोलन के दौरान किसान नेताओं पर दर्ज सभी मुक़दमों को वापस लिया जाएगा लेकिन इन वादों को नज़रअंदाज़ करते हुए नेताओं के ख़िलाफ़ जांच एजेंसियों के इस्तेमाल की तैयारी की जा रही है।" इस सिलसिले में SKM ने आने वाले दिनों में केंद्र के ख़िलाफ़ एक बड़े 'राष्ट्रव्यापी आंदोलन' की चेतावनी दी।
इस प्रेस वार्ता को संयुक्त किसान मोर्चा के अलग-अलग घटक दलों के नेताओं ने संबोधित किया। इसमें मुख्यतौर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शनपाल, अखिल भारतीय किसान सभा के वित्तीय सचिव कृष्ण प्रसाद समेत कई अन्य नेता शामिल थे।
राकेश टिकैत ने, किसान नेता युद्धवीर सिंह को बुधवार 29 नवंबर को विदेश जाने से रोकने को लेकर केंद्र सरकार को घेरा और आरोप लगाया कि सरकार किसान नेताओं को डराना चाहती है। टिकैत ने युद्धवीर सिंह को रोके जाने को गैरकानूनी बताया। उन्होंने कहा कि युद्धवीर सिंह को ग़लत तरीके से रोका और हिरासत में लिया गया, इसके बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन के बाद उन्हें रिहा कर अगले दिन विदेश जाने की व्यव्स्था की गई।
संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि युद्धवीर पहले ऐसे किसान नेता नही थे जिन्हें पुलिसिया कार्रवाई से यात्रा करने से रोका गया।
किसान नेताओं पर कथित दमन को लेकर SKM ने निम्नलिखित मामलों का ब्योरा दिया:
1) SKM नेता और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के महासचिव युद्धवीर सिंह को 29 नवंबर, 2023 को सुबह 2 बजे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इस आधार पर गिरफ्तार किया गया था कि वह दिल्ली में 2020-21 के किसान संघर्ष से संबंधित मामलों में आरोपी हैं। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय किसान सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोलंबिया की उनकी उड़ान छूट गई। बाद में किसान आंदोलन के कड़े विरोध के कारण दिल्ली पुलिस को उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
2) हरियाणा, रोहतक के बीकेयू नेता वीरेंद्र सिंह हुड्डा को 22 नवंबर, 2023 को दिल्ली पुलिस से नोटिस मिला, जिसमें उन्हें एफआईआर नंबर 522/2020 दिनांक 26.11.2020 से संबंधित एक मामले में पेश होने का निर्देश दिया गया था। फिर किसानों के विरोध के सामने, दिल्ली पुलिस को सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि नोटिस वापस ले लिया गया है।
3) 7 दिसंबर, 2022 को बीकेयू के अर्जुन बलियान को नई दिल्ली हवाई अड्डे पर नेपाल जाने से रोका गया।
4) पंजाब के SKM नेता, सतनाम सिंह बेहरू और हरिंदर सिंह लोकोवाल दिल्ली किसान संघर्ष से संबंधित दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे हैं।
किसान नेता दर्शनपाल ने भी केंद्र पर वादाख़िलाफ़ी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि "सरकार ने आंदोलन ख़त्म करते समय लिखित में कहा था कि उन पर दर्ज सभी मुक़दमों को वापस लिया जाएगा लेकिन आंदोलन के इतने दिनों के बाद भी अब नोटिस भेजकर सरकार किसानों को डराने की कोशिश कर रही है।"
आपको बता दें, केंद्र सरकार ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र (दिनांक 9 दिसंबर 2021) के माध्यम से स्पष्ट रूप से कहा था कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की राज्य सरकारें किसान आंदोलन से संबंधित सभी मामलों को तुरंत वापस लेने के लिए पूरी तरह से सहमत हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार, इसकी एजेंसियां और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन भी किसानों से संबंधित सभी मामलों को वापस लेने पर सहमत हुए थे। केंद्र सरकार ने अन्य सभी राज्य सरकारों से भी किसान आंदोलन के दौरान दर्ज मुक़दमों को वापस लेने का अनुरोध किया था।
इसके अलावा राज्यसभा में उठाए गए प्रश्न संख्या 1158, दिनांक 19 दिसंबर 2022 के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया था कि "गृह मंत्रालय में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार किसानों के ख़िलाफ़ 86 मामले वापस लेने का प्रस्ताव है और गृह मंत्रालय ने ऐसा करने की इजाज़त दे दी है। इसके अलावा रेल मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा बल द्वारा किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज किए गए सभी मामले वापस लेने का निर्देश दिया है।"
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि लिखित वादों और आश्वासनों के बावजूद, मोदी सरकार ने किसान नेताओं के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को तैनात कर दिया है और एनआईए ने दिल्ली में किसान आंदोलन से संबंधित मामलों में SKM नेताओं के ख़िलाफ़ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पारदर्शी होने और सभी एलओसी को सार्वजनिक करने की मांग भी उठाई।
दर्शनपाल ने कहा, "किसान नेताओं को आपराधिक मामलों में फंसाने की मौजूदा कार्यप्रणाली मोदी सरकार द्वारा किए गए वादों का घोर उल्लंघन है। SKM इस तरह के कदम की कड़ी निंदा करता है और मांग करता है कि गृह मंत्री अमित शाह बताएं कि केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादे का उल्लंघन करते हुए एनआईए और अन्य जांच एजेंसियों का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है?”
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, "दिल्ली में किसानों का संघर्ष कृषि के कॉरपोरेटीकरण को लागू करने के ख़िलाफ़ और किसानों, खेत मज़दूरों व ग्रामीण गरीबों के हितों की रक्षा के लिए एक जन आंदोलन था। किसानों के संघर्ष को राष्ट्र-विरोधी या विदेशी वित्त पोषित के रूप में चित्रित करने का मोदी सरकार का कोई भी प्रयास सफल नहीं होगा।"
SKM नेता कृष्णा प्रसाद ने कहा, “SKM और ट्रेड यूनियनों द्वारा संयुक्त रूप से सभी राजभवनों के समक्ष हाल ही में राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन की महत्वपूर्ण सफलता से मोदी सरकार घबरा गई है। इसलिए किसान नेताओं के ख़िलाफ़ जांच एजेंसियों और दिल्ली पुलिस का अवैध इस्तेमाल किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा, C2+50% के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य, व्यापक ऋण माफी, 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करने, बिजली बिल 2022 को वापस लेने और निजीकरण न करने की मांगों समेत 21 सूत्री मांग पत्र पर चल रहे संघर्ष को और तेज़ करेगा और इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों, खेत मज़दूरों और ग्रामीण गरीबों से व्यापक तैयारी करने का आह्वान किया है।”
संयुक्त किसान ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं के ख़िलाफ़ प्रतिशोध की भावना से क़दम उठाया जाएगा तो किसानों की ओर से पूरे देश में शांतिपूर्ण तरीके से बड़े पैमाने पर प्रतिरोध किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की कि "प्रतिशोधी कृत्य को अंजाम देने वाले संबंधित अधिकारियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाए।"
संयुक्त किसान मोर्चा ने भविष्य के अपने कार्यक्रम की जानकारी दी:
संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि वह भारत के राष्ट्रपति से मिलने के लिए समय मांगेगा और केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए एक ज्ञापन भी सौंपेगा। ज्ञापन के द्वारा मांग की जाएगी कि SKM को दी गई लिखित प्रतिबद्धताओं का सरकार उल्लंघन न करें और प्रतिशोध की किसी भी कार्रवाई से दूर रहें। इसके अलावा SKM गृह सचिव को भी एक ज्ञापन सौंपेगा, जिसमें उनसे SKM नेताओं के ख़िलाफ़ एलओसी जारी किए जाने को सार्वजनिक करने और सभी लंबित मामलों को वापस लेने का आग्रह किया जाएगा।
SKM ने बताया कि वह इस मामले को लेकर किसानों और खेत-मज़दूरों के बीच एक अभियान चलाएगा और उनका एक प्रतिनिधिमंडल 11 दिसंबर, 2023 को जिला कलेक्टरों से मिलकर भारत के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपेगा।
COURTESY: NEWSCLICK