"लोकतंत्र का स्थापित सिद्धांत है कि इसमें बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते। सो, पीएम मोदी ने गालियों को तौलने के बाद, गिनना भी शुरू कर दिया है। लेकिन इस बार प्रियंका और राहुल गांधी ने उन्हें तगड़ा घेरा है। लोगों को बताया है कि, मोदी पहले पीएम है जिनके पास जनता की समस्याओं की सूची नहीं है लेकिन गालियों की सूची जरूर है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक गालियों को तौला करते थे। लेकिन शनिवार को कर्नाटक पहुंचे तो अचानक उनको लोकतंत्र का यह सिद्धांत ध्यान आया कि इसमें बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते। सो, उन्होंने गिन कर बताया कि कांग्रेस ने उनको 91 बार गालियां दी हैं। प्रधानमंत्री ने अभी कुछ ही दिन पहले तेलंगाना में उनको मिलने वाली गालियों का वजन बताया था। वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर व्यास अपने एक कॉलम में लिखते है कि मोदी 12 नवंबर 2022 को तेलंगाना में एक सभा को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने कहा था कि उनको रोजाना दो तीन किलो गालियां मिलती हैं। लेकिन उनके शरीर की बनावट ऐसी है कि इन गालियों से ऊर्जा मिलती है। उन्होंने कहा था- मैं इसलिए थकता हूं क्योंकि मुझे रोज दो तीन किलो गालियां खाने को मिलती हैं।
करीब 6 माह के बाद प्रधानमंत्री कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने गए तो शायद उनको अल्लामा इकबाल का यह शेर ध्यान आ गया- जम्हूरियत इक तर्जे हुकूमत है कि जिसमें बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते। तभी उनको लगा कि जब जम्हूरियत में बंदों को गिना जाता है तो गालियों को भी गिना ही जाना चाहिए। गिनने का वजन ज्यादा होता है और उसका असर भी ज्यादा होगा। और सचमुच जब उन्होंने दो तीन गालियां खाने की बात कही थी तो लोगों ने उसे मजाक समझा था और उस पर हंसे थे। लेकिन जब उन्होंने गिन कर बताया कि कांग्रेस ने उनको 91 बार गालियां दी हैं तो लोगों को इसकी गंभीरता समझ में आई है। जनता को भी मैसेज गया और कांग्रेस को भी समझ में आया कि सोच समझ कर बोलना चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री के यहां गालियों को गिनने का सिस्टम है।
खैर, कर्नाटक चुनाव की खास बात यह है कि पहली बार भाजपा रक्षात्मक है और कांग्रेस आक्रामक अंदाज में राजनीति कर रही है। देश के किसी भी राज्य में ऐसा देखने को नहीं मिला कि भाजपा अपने तय किए एजेंडे पर राजनीति करने की बजाय कांग्रेस के एजेंडे पर प्रतिक्रिया दे रही हो। कांग्रेस के तेवर कितने आक्रामक हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ थाने में जाकर मुकदमा दर्ज कराया। सोचें, देश के गृह मंत्री के खिलाफ! अब तक चुनावी भाषण को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराती थी और सबको पता होता था कि आयोग क्या करेगा। सो, इस बार कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत करने के साथ ही पुलिस स्टेशन में जाकर एफआईआर दर्ज कराई।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक भाषण में कहा था कि कांग्रेस जीतेगी तो कर्नाटक में दंगे होंगे। इस बयान के खिलाफ शिवकुमार और सुरजेवाला ने केस दर्ज कराया है। उन्होंने अपनी एफआईआर में कहा है अमित शाह का बयान सामुदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाला है और भड़काऊ है। इसी तरह राहुल गांधी ने अपनी चुनावी सभा में कहा कि कर्नाटक भाजपा में उसी को टिकट मिली है, जो ‘40 फीसदी कमीशन’ पर काम करता है। उन्होंने भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी का हवाला देते हुए कहा कि उनको भाजपा की टिकट इसलिए नहीं मिली क्योंकि उन्होंने ‘40 फीसदी कमीशन’ पर काम करने से इनकार कर दिया और यह बात भाजपा के शीर्ष नेताओं को पसंद नहीं आई।
इस बार कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का एजेंडा सेट किया है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को भ्रष्ट साबित करने का एजेंडा बनाया था। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक कांग्रेस के लिए एटीएम की तरह है। वे पहले भी कह चुके हैं कि कर्नाटक से नकदी ट्रांसफर का सीधा कनेक्शन दिल्ली जुड़ा हुआ है। लेकिन इस बार मामला उलटा है। इस बार कांग्रेस ने ‘40 फीसदी कमीशन’ वाली सरकार का हल्ला बनवाया है। राहुल गांधी के साथ साथ प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कांट्रैक्टर एसोसिएशन की ओर से लिखी चिट्ठी का हवाला दिया, जिसमें 40 फीसदी कमीशन मांगे जाने का जिक्र था। एक ठेकेदार की आत्महत्या भी प्रचार का मुद्दा है। कांट्रैक्टर एसोसिएशन से लेकर स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन तक के आरोपों को कांग्रेस नेता दोहरा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कर्नाटक में भाजपा कई और कारणों से भी रक्षात्मक है। वह मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं घोषित कर पा रही है क्योंकि उसे पता है कि सिर्फ लिंगायत वोट से चुनाव नहीं जीता जा सकेगा। बसवराज बोम्मई को सीएम दावेदार नहीं घोषित करने का नतीजा यह हुआ है कि लिंगायत मतदाताओं में कंफ्यूजन है। उनके सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनके बेटे को जरूर टिकट मिली है लेकिन सबको पता है कि भाजपा जीत भी जाती है तो वे सीएम नहीं होंगे। उधर दो बड़े लिंगायत नेताओं- जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी ने पार्टी छोड़ी है और कांग्रेस की टिकट पर लड़ रहे हैं। इससे भी भाजपा रक्षात्मक हुई है। टिकट बंटवारे में जिस तरह से विवाद हुआ और शेट्टार ने भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष पर आरोप लगाए उससे भी भाजपा बैकफुट पर है। मुख्यमंत्री बोम्मई को कहना पड़ा कि शेट्टार की टिकट काटने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया, संतोष का उससे कोई लेना देना नहीं था।
यही नहीं, राहुल प्रियंका ने भी पीएम मोदी को उनके बयान को लेकर तगड़ा घेरा है। चुनावी कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि पीएम के पास जनता की समस्याओं की सूची नहीं है बल्कि गालियों की सूची है। रविवार को जामखंडी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा, 'मैंने पहला ऐसा प्रधानमंत्री देखा है जो जनता के सामने कहते हैं कि उन्हें गाली दी जा रही है। पीएम के पास जनता की समस्याओं की सूची नहीं है बल्कि गालियों की सूची है।' मोदी जी, मेरे भाई से सीखिए, जो (राहुल गांधी) कहते हैं कि 'गाली क्या मैं देश के लिए गोली खा लूंगा'।
सहानुभूति हासिल करने के लिए आपके पास रोते हुए आते हैं
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने रविवार को कर्नाटक में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पाखंड के पिटारे को उधेड़ कर रख दिया। उन्होंने कहा कि देश में पहला ऐसा प्रधानमंत्री है जो लोगों की समस्याओं और उनकी दिक्कतों की लिस्ट बनाने के बजाए, गालियों की लिस्ट बनाता है। उन्होंने कहा कि, मैंने पहला ऐसा पीएम देखा है जो आपके सामने आकर रोता है कि मुझे गालियां दी जा रही हैं। आपके दुख सुनने के बजाए, अपना दुखड़ा आपको सुना रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके दफ्तर में बैठकर किसी ने लिस्ट बनाई है, यह लिस्ट आपके दुखों की लिस्ट नहीं है, यह लिस्ट किसानों की समस्याओं, बेरोजगारों की समस्याओं की लिस्ट नहीं है, बल्कि यह लिस्ट है कि कब किसने उन्हें क्या गाली दी।
प्रियंका गाधी ने कहा कि उनको दी गई गालियों की लिस्ट कम से कम एक पन्ने पर फिट तो आ रही है, लेकिन मेरे परिवार को और हमें जितनी गालियां इन लोगों ने दी हैं, अगर उन्हें लिखने बैठूं तो हम कितनी किताबें लिख देंगे।
प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री को खुली चुनौती दी। उन्होंने कहा, "हिम्मत करो मोदी जी, मेरे भाई से सीखो, जो कहता है कि गाली क्या, मैं देश के लिए गोली भी खाने को तैयार हूं। मेरा भाई कहता है मैं सच्चाई के लिए खड़ा रहूंगा, गाली दो, गोली मारो, छुरा मारो, कुछ भी कर लो, मैं सच्चाई के लिए खड़ा रहूंगा।" प्रियंका ने कहा कि प्रधानमंत्री लोगों के संघर्षों की परवाह नहीं करते हैं और इसके बजाय "सहानुभूति हासिल करने के लिए आपके पास रोते हुए आते हैं"।
राहुल ने भी मोदी पर किया तंज
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज किया है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से कहा कि उन्हें अपने बारे में बात करने के बदले कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के काम और भविष्य की योजनाओं के बारे में चर्चा करनी चाहिए। राहुल ने तुमकुरु जिले में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और कहा- आप कर्नाटक में चुनाव प्रचार करने के लिए आते हैं, लेकिन आप कर्नाटक के बारे में नहीं बोलते हैं। आप अपने बारे में बोलते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि आपको यह बताना चाहिए कि आपने पिछले तीन साल में कर्नाटक में क्या किया? आपको अपने भाषणों में इस बारे में बताना चाहिए कि अगले पांच साल में आप क्या करेंगे, आप युवाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए क्या करेंगे?” राहुल गांधी ने कहा- यह चुनाव आपके बारे में नहीं है, यह कर्नाटक के लोगों और उनके भविष्य को लेकर है। आप कहते हैं कि कांग्रेस ने आपको 91 बार अपशब्द कहे, लेकिन आपने इस बारे में कोई चर्चा नहीं की कि कर्नाटक के लिए आपने क्या किया? आप अपने अगले भाषण में यह बताइए कि आपने कर्नाटक के लिए क्या किया और अगले पांच साल में आप क्या करेंगे?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक गालियों को तौला करते थे। लेकिन शनिवार को कर्नाटक पहुंचे तो अचानक उनको लोकतंत्र का यह सिद्धांत ध्यान आया कि इसमें बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते। सो, उन्होंने गिन कर बताया कि कांग्रेस ने उनको 91 बार गालियां दी हैं। प्रधानमंत्री ने अभी कुछ ही दिन पहले तेलंगाना में उनको मिलने वाली गालियों का वजन बताया था। वरिष्ठ पत्रकार हरिशंकर व्यास अपने एक कॉलम में लिखते है कि मोदी 12 नवंबर 2022 को तेलंगाना में एक सभा को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने कहा था कि उनको रोजाना दो तीन किलो गालियां मिलती हैं। लेकिन उनके शरीर की बनावट ऐसी है कि इन गालियों से ऊर्जा मिलती है। उन्होंने कहा था- मैं इसलिए थकता हूं क्योंकि मुझे रोज दो तीन किलो गालियां खाने को मिलती हैं।
करीब 6 माह के बाद प्रधानमंत्री कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने गए तो शायद उनको अल्लामा इकबाल का यह शेर ध्यान आ गया- जम्हूरियत इक तर्जे हुकूमत है कि जिसमें बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते। तभी उनको लगा कि जब जम्हूरियत में बंदों को गिना जाता है तो गालियों को भी गिना ही जाना चाहिए। गिनने का वजन ज्यादा होता है और उसका असर भी ज्यादा होगा। और सचमुच जब उन्होंने दो तीन गालियां खाने की बात कही थी तो लोगों ने उसे मजाक समझा था और उस पर हंसे थे। लेकिन जब उन्होंने गिन कर बताया कि कांग्रेस ने उनको 91 बार गालियां दी हैं तो लोगों को इसकी गंभीरता समझ में आई है। जनता को भी मैसेज गया और कांग्रेस को भी समझ में आया कि सोच समझ कर बोलना चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री के यहां गालियों को गिनने का सिस्टम है।
खैर, कर्नाटक चुनाव की खास बात यह है कि पहली बार भाजपा रक्षात्मक है और कांग्रेस आक्रामक अंदाज में राजनीति कर रही है। देश के किसी भी राज्य में ऐसा देखने को नहीं मिला कि भाजपा अपने तय किए एजेंडे पर राजनीति करने की बजाय कांग्रेस के एजेंडे पर प्रतिक्रिया दे रही हो। कांग्रेस के तेवर कितने आक्रामक हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ थाने में जाकर मुकदमा दर्ज कराया। सोचें, देश के गृह मंत्री के खिलाफ! अब तक चुनावी भाषण को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराती थी और सबको पता होता था कि आयोग क्या करेगा। सो, इस बार कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत करने के साथ ही पुलिस स्टेशन में जाकर एफआईआर दर्ज कराई।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक भाषण में कहा था कि कांग्रेस जीतेगी तो कर्नाटक में दंगे होंगे। इस बयान के खिलाफ शिवकुमार और सुरजेवाला ने केस दर्ज कराया है। उन्होंने अपनी एफआईआर में कहा है अमित शाह का बयान सामुदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाला है और भड़काऊ है। इसी तरह राहुल गांधी ने अपनी चुनावी सभा में कहा कि कर्नाटक भाजपा में उसी को टिकट मिली है, जो ‘40 फीसदी कमीशन’ पर काम करता है। उन्होंने भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी का हवाला देते हुए कहा कि उनको भाजपा की टिकट इसलिए नहीं मिली क्योंकि उन्होंने ‘40 फीसदी कमीशन’ पर काम करने से इनकार कर दिया और यह बात भाजपा के शीर्ष नेताओं को पसंद नहीं आई।
इस बार कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का एजेंडा सेट किया है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को भ्रष्ट साबित करने का एजेंडा बनाया था। उन्होंने कहा था कि कर्नाटक कांग्रेस के लिए एटीएम की तरह है। वे पहले भी कह चुके हैं कि कर्नाटक से नकदी ट्रांसफर का सीधा कनेक्शन दिल्ली जुड़ा हुआ है। लेकिन इस बार मामला उलटा है। इस बार कांग्रेस ने ‘40 फीसदी कमीशन’ वाली सरकार का हल्ला बनवाया है। राहुल गांधी के साथ साथ प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कांट्रैक्टर एसोसिएशन की ओर से लिखी चिट्ठी का हवाला दिया, जिसमें 40 फीसदी कमीशन मांगे जाने का जिक्र था। एक ठेकेदार की आत्महत्या भी प्रचार का मुद्दा है। कांट्रैक्टर एसोसिएशन से लेकर स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन तक के आरोपों को कांग्रेस नेता दोहरा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कर्नाटक में भाजपा कई और कारणों से भी रक्षात्मक है। वह मुख्यमंत्री पद का चेहरा नहीं घोषित कर पा रही है क्योंकि उसे पता है कि सिर्फ लिंगायत वोट से चुनाव नहीं जीता जा सकेगा। बसवराज बोम्मई को सीएम दावेदार नहीं घोषित करने का नतीजा यह हुआ है कि लिंगायत मतदाताओं में कंफ्यूजन है। उनके सबसे बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। उनके बेटे को जरूर टिकट मिली है लेकिन सबको पता है कि भाजपा जीत भी जाती है तो वे सीएम नहीं होंगे। उधर दो बड़े लिंगायत नेताओं- जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी ने पार्टी छोड़ी है और कांग्रेस की टिकट पर लड़ रहे हैं। इससे भी भाजपा रक्षात्मक हुई है। टिकट बंटवारे में जिस तरह से विवाद हुआ और शेट्टार ने भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष पर आरोप लगाए उससे भी भाजपा बैकफुट पर है। मुख्यमंत्री बोम्मई को कहना पड़ा कि शेट्टार की टिकट काटने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया, संतोष का उससे कोई लेना देना नहीं था।
यही नहीं, राहुल प्रियंका ने भी पीएम मोदी को उनके बयान को लेकर तगड़ा घेरा है। चुनावी कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि पीएम के पास जनता की समस्याओं की सूची नहीं है बल्कि गालियों की सूची है। रविवार को जामखंडी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा, 'मैंने पहला ऐसा प्रधानमंत्री देखा है जो जनता के सामने कहते हैं कि उन्हें गाली दी जा रही है। पीएम के पास जनता की समस्याओं की सूची नहीं है बल्कि गालियों की सूची है।' मोदी जी, मेरे भाई से सीखिए, जो (राहुल गांधी) कहते हैं कि 'गाली क्या मैं देश के लिए गोली खा लूंगा'।
सहानुभूति हासिल करने के लिए आपके पास रोते हुए आते हैं
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने रविवार को कर्नाटक में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पाखंड के पिटारे को उधेड़ कर रख दिया। उन्होंने कहा कि देश में पहला ऐसा प्रधानमंत्री है जो लोगों की समस्याओं और उनकी दिक्कतों की लिस्ट बनाने के बजाए, गालियों की लिस्ट बनाता है। उन्होंने कहा कि, मैंने पहला ऐसा पीएम देखा है जो आपके सामने आकर रोता है कि मुझे गालियां दी जा रही हैं। आपके दुख सुनने के बजाए, अपना दुखड़ा आपको सुना रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके दफ्तर में बैठकर किसी ने लिस्ट बनाई है, यह लिस्ट आपके दुखों की लिस्ट नहीं है, यह लिस्ट किसानों की समस्याओं, बेरोजगारों की समस्याओं की लिस्ट नहीं है, बल्कि यह लिस्ट है कि कब किसने उन्हें क्या गाली दी।
प्रियंका गाधी ने कहा कि उनको दी गई गालियों की लिस्ट कम से कम एक पन्ने पर फिट तो आ रही है, लेकिन मेरे परिवार को और हमें जितनी गालियां इन लोगों ने दी हैं, अगर उन्हें लिखने बैठूं तो हम कितनी किताबें लिख देंगे।
प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री को खुली चुनौती दी। उन्होंने कहा, "हिम्मत करो मोदी जी, मेरे भाई से सीखो, जो कहता है कि गाली क्या, मैं देश के लिए गोली भी खाने को तैयार हूं। मेरा भाई कहता है मैं सच्चाई के लिए खड़ा रहूंगा, गाली दो, गोली मारो, छुरा मारो, कुछ भी कर लो, मैं सच्चाई के लिए खड़ा रहूंगा।" प्रियंका ने कहा कि प्रधानमंत्री लोगों के संघर्षों की परवाह नहीं करते हैं और इसके बजाय "सहानुभूति हासिल करने के लिए आपके पास रोते हुए आते हैं"।
राहुल ने भी मोदी पर किया तंज
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज किया है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से कहा कि उन्हें अपने बारे में बात करने के बदले कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के काम और भविष्य की योजनाओं के बारे में चर्चा करनी चाहिए। राहुल ने तुमकुरु जिले में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और कहा- आप कर्नाटक में चुनाव प्रचार करने के लिए आते हैं, लेकिन आप कर्नाटक के बारे में नहीं बोलते हैं। आप अपने बारे में बोलते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि आपको यह बताना चाहिए कि आपने पिछले तीन साल में कर्नाटक में क्या किया? आपको अपने भाषणों में इस बारे में बताना चाहिए कि अगले पांच साल में आप क्या करेंगे, आप युवाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए क्या करेंगे?” राहुल गांधी ने कहा- यह चुनाव आपके बारे में नहीं है, यह कर्नाटक के लोगों और उनके भविष्य को लेकर है। आप कहते हैं कि कांग्रेस ने आपको 91 बार अपशब्द कहे, लेकिन आपने इस बारे में कोई चर्चा नहीं की कि कर्नाटक के लिए आपने क्या किया? आप अपने अगले भाषण में यह बताइए कि आपने कर्नाटक के लिए क्या किया और अगले पांच साल में आप क्या करेंगे?