उत्तर प्रदेश के हाथरस गैंगरेप हत्याकांड के चार में से 3 आरोपियों को SC-ST कोर्ट ने बरी कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने केस से रेप क़ी धाराएं भी हटा दी है।
हाथरस गैंगरेप में SC-ST कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी आरोपी पर गैंगरेप का आरोप साबित नहीं हुआ है। इस मामले में चार आरोपी संदीप (20), रवि (35), लव कुश (23) और रामू (26) शामिल थे। अदालत ने भादसं की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) एवं एससी एसटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत संदीप को दोषी पाया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी। इसके अलावा उसके खिलाफ 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
सीबीआई ने इस मामले में 29 दिसंबर 2020 को 2000 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। सीबीआई ने चारों आरोपियों के खिलाफ़ हत्या, गैंगरेप, एससी-एसटी एक्ट की धारा के तहत चार्जशीट दायर की। इस पूरे मामले में कुल 104 गवाह हैं। यह मामला राजनीतिक गलियारों में भी सुर्खियां बटोर रहा था इसलिए ऐसे हाईप्रोफ़ाइल फ़ैसले के चलते पूरे इलाक़े में सुरक्षा व्यवस्था काफ़ी पुख़्ता की गई है।
यूपी के हाथरस में चंदपा क्षेत्र के एक गांव में 14 सितंबर 2020 को दलित युवती के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था। युवती के साथ गैंगरेप और बर्बरता का आरोप गांव के ही चार युवकों पर लगा था। पीड़िता की बेरहमी से जीभ काट दी गई थी। 29 सितंबर 2020 को युवती ने दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था। 29 सितंबर की देर रात ही यूपी पुलिस और प्रशासन पर परिजनों जबरन युवती का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया था। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया था। इसके बाद काफी हंगामा हुआ था।
हाथरस हत्याकांड के बाद कई दिनों तक यूपी पुलिस ने परिजनों को मीडिया या दूसरे विपक्षी नेताओं से नहीं मिलने दिया था। इस मामले में संदीप ठाकुर, लव कुश, रामू, रवि को हत्या, रेप और एससी एसीटी एक्ट की धारा के तहत जेल भेज दिया था। मामले की जांच सीबीआई ने की थी।
युवती के भाई ने गांव के ही संदीप ठाकुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में युवती के बयान के आधार पर 26 सितंबर को तीन अन्य लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को भी आरोपी बनाया गया। चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस पर आरोप था कि परिवार को बिना बताए युवती का अंतिम संस्कार कर दिया था। पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि पीड़िता के साथ गैंग रेप नहीं हुआ। यूपी पुलिस के इस बयान के बाद कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार भी लगाई थी।
इस मामले में योगी सरकार ने एसआईटी भी बनाई थी। देशभर में इस घटना के विरोध में प्रदर्शन हुआ था। जिसके बाद इस मामले में योगी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जिसके बाद सीबीआई ने जांच संभाली और कई बार पीड़िता के परिवार से पूछताछ की थी। सीबीआई ने अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों से पूछताछ की थी।आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मैपिंग भी किया गया था।
सीबीआई ने 22 सितंबर को दिए गए पीड़िता के आखिरी बयान को आधार बनाते हुए चार्जशीट दाखिल की थी और निर्णय कोर्ट के ऊपर छोड़ दिया था। सीबीआई ने हाथरस केस से संबंधित मामले में 4 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। एजेंसी ने चारों आरोपियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप और एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की थी। आरोपियों पर धारा-325, SC-ST एक्ट 376 A और 376 D (गैंग रेप) और 302 की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की गई थीं।
पीड़ित पक्ष ने कही हाईकोर्ट जाने की बात
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित पक्ष के वकील ने SC-ST कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही है। पीड़ित पक्ष के वकील महीपाल सिंह निमहोत्रा ने कहा कि न्यायालय का फैसला सही नहीं है। हम इसके खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। वहीं अभियुक्त पक्ष के वकील मुन्ना सिंह पुंडीर ने कहा कि चौथा आरोपी संदीप ठाकुर भी बेगुनाह है। संदीप की बेगुनाही साबित करने के लिए हम हाई कोर्ट जाएंगे।
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सीबीआई ने इस मामले में 29 दिसंबर 2020 को 2000 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। सीबीआई ने चारों आरोपियों के खिलाफ़ हत्या, गैंगरेप, एससी-एसटी एक्ट की धारा के तहत चार्जशीट दायर की। इस पूरे मामले में कुल 104 गवाह हैं। यह मामला राजनीतिक गलियारों में भी सुर्खियां बटोर रहा था इसलिए ऐसे हाईप्रोफ़ाइल फ़ैसले के चलते पूरे इलाक़े में सुरक्षा व्यवस्था काफ़ी पुख़्ता की गई है।
यूपी के हाथरस में चंदपा क्षेत्र के एक गांव में 14 सितंबर 2020 को दलित युवती के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था। युवती के साथ गैंगरेप और बर्बरता का आरोप गांव के ही चार युवकों पर लगा था। पीड़िता की बेरहमी से जीभ काट दी गई थी। 29 सितंबर 2020 को युवती ने दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था। 29 सितंबर की देर रात ही यूपी पुलिस और प्रशासन पर परिजनों जबरन युवती का अंतिम संस्कार करने का आरोप लगाया था। इस घटना का वीडियो वायरल हो गया था। इसके बाद काफी हंगामा हुआ था।
हाथरस हत्याकांड के बाद कई दिनों तक यूपी पुलिस ने परिजनों को मीडिया या दूसरे विपक्षी नेताओं से नहीं मिलने दिया था। इस मामले में संदीप ठाकुर, लव कुश, रामू, रवि को हत्या, रेप और एससी एसीटी एक्ट की धारा के तहत जेल भेज दिया था। मामले की जांच सीबीआई ने की थी।
युवती के भाई ने गांव के ही संदीप ठाकुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में युवती के बयान के आधार पर 26 सितंबर को तीन अन्य लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को भी आरोपी बनाया गया। चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। पुलिस पर आरोप था कि परिवार को बिना बताए युवती का अंतिम संस्कार कर दिया था। पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि पीड़िता के साथ गैंग रेप नहीं हुआ। यूपी पुलिस के इस बयान के बाद कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार भी लगाई थी।
इस मामले में योगी सरकार ने एसआईटी भी बनाई थी। देशभर में इस घटना के विरोध में प्रदर्शन हुआ था। जिसके बाद इस मामले में योगी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जिसके बाद सीबीआई ने जांच संभाली और कई बार पीड़िता के परिवार से पूछताछ की थी। सीबीआई ने अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों से पूछताछ की थी।आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मैपिंग भी किया गया था।
सीबीआई ने 22 सितंबर को दिए गए पीड़िता के आखिरी बयान को आधार बनाते हुए चार्जशीट दाखिल की थी और निर्णय कोर्ट के ऊपर छोड़ दिया था। सीबीआई ने हाथरस केस से संबंधित मामले में 4 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। एजेंसी ने चारों आरोपियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप और एससी-एसटी एक्ट की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की थी। आरोपियों पर धारा-325, SC-ST एक्ट 376 A और 376 D (गैंग रेप) और 302 की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की गई थीं।
पीड़ित पक्ष ने कही हाईकोर्ट जाने की बात
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित पक्ष के वकील ने SC-ST कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही है। पीड़ित पक्ष के वकील महीपाल सिंह निमहोत्रा ने कहा कि न्यायालय का फैसला सही नहीं है। हम इसके खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। वहीं अभियुक्त पक्ष के वकील मुन्ना सिंह पुंडीर ने कहा कि चौथा आरोपी संदीप ठाकुर भी बेगुनाह है। संदीप की बेगुनाही साबित करने के लिए हम हाई कोर्ट जाएंगे।
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