अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली योजना धीरे-धीरे बंद की जा रही है, हाल ही में ‘पढ़ो परदेश स्कीम’ को भी बंद कर दिया गया है।
इससे पहले संबंधित मंत्रालय द्वारा प्री मैट्रिक योजना कक्षा 1 से कक्षा 8 तक और मौलाना आजाद नेशनल फैलोशिप को भी बंद किया गया है।
क्या है पढ़ो परदेश स्कीम
जून 2006 में प्रधानमंत्री के 15 प्वाइंट प्रोग्राम के तहत पढ़ो परदेश योजना को पेश किया गया था, उस समय भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, योजना का मकसद अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से आने वाले मेधावी छात्रों को ब्याज सब्सिडी प्रदान करना है।
योजना के तहत छात्रों को विदेश में हायर एजुकेशन हासिल करने का मौका मिल सके, इससे उनके रोजगार हासिल करने के मौके भी बढ़ जाएंगे, इस योजना के तहत अल्पसंख्यक छात्रों को विदेश में मास्टर, एमफिल और पीएचडी स्तर की शिक्षा हासिल करने का मौका मिलता था।
फिलहाल मंत्रालय ने विदेश में पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन पर लगने वाले ब्याज पर सब्सिडी देने वाली इस योजना को बंद कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन बैंक एसोसिएशन द्वारा पिछले महीने सभी बैंकों को 2022-23 से ‘पढ़ो परदेश ब्याज सब्सिडी योजना’ को बंद करने के बारे में सूचित किया गया था। अब तक यह योजना नामित नोडल बैंक केनरा बैंक के जरिए से चलाई जा रही थी।
एसोसिएशन द्वारा बैंकों को दी गई जानकारी के मुताबिक, मौजूदा गाइडलाइंस का पालन करते हुए पढ़ो परदेश योजना के तहत 31 मार्च, 2022 तक के मौजूदा लाभार्थियों को स्कीम की अवधि खत्म होने तक ब्याज पर सब्सिडी का लाभ मिलता रहेगा।
मंत्रालय ने नहीं बताई योजना बंद की वजह
यहां गौर करने वाली बात ये है कि योजना को बंद किए जाने को लेकर किसी भी तरह की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। ये बात भी नहीं बताई गई है कि योजना को क्यों बंद किया गया। अभी तक मंत्रालय की तरफ से इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। इससे पहले, 11 दिसंबर, 2022 को केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि MANF Scheme को बंद किया जा रहा है। सरकार ने कहा था कि ये फेलोशिप हायर एजुकेशन के लिए सरकार द्वारा लागू की गई विभिन्न अन्य फैलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप कर रही है।
journomirror.com के इनपुट्स साभार
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जून 2006 में प्रधानमंत्री के 15 प्वाइंट प्रोग्राम के तहत पढ़ो परदेश योजना को पेश किया गया था, उस समय भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, योजना का मकसद अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से आने वाले मेधावी छात्रों को ब्याज सब्सिडी प्रदान करना है।
योजना के तहत छात्रों को विदेश में हायर एजुकेशन हासिल करने का मौका मिल सके, इससे उनके रोजगार हासिल करने के मौके भी बढ़ जाएंगे, इस योजना के तहत अल्पसंख्यक छात्रों को विदेश में मास्टर, एमफिल और पीएचडी स्तर की शिक्षा हासिल करने का मौका मिलता था।
फिलहाल मंत्रालय ने विदेश में पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन पर लगने वाले ब्याज पर सब्सिडी देने वाली इस योजना को बंद कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन बैंक एसोसिएशन द्वारा पिछले महीने सभी बैंकों को 2022-23 से ‘पढ़ो परदेश ब्याज सब्सिडी योजना’ को बंद करने के बारे में सूचित किया गया था। अब तक यह योजना नामित नोडल बैंक केनरा बैंक के जरिए से चलाई जा रही थी।
एसोसिएशन द्वारा बैंकों को दी गई जानकारी के मुताबिक, मौजूदा गाइडलाइंस का पालन करते हुए पढ़ो परदेश योजना के तहत 31 मार्च, 2022 तक के मौजूदा लाभार्थियों को स्कीम की अवधि खत्म होने तक ब्याज पर सब्सिडी का लाभ मिलता रहेगा।
मंत्रालय ने नहीं बताई योजना बंद की वजह
यहां गौर करने वाली बात ये है कि योजना को बंद किए जाने को लेकर किसी भी तरह की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। ये बात भी नहीं बताई गई है कि योजना को क्यों बंद किया गया। अभी तक मंत्रालय की तरफ से इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। इससे पहले, 11 दिसंबर, 2022 को केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि MANF Scheme को बंद किया जा रहा है। सरकार ने कहा था कि ये फेलोशिप हायर एजुकेशन के लिए सरकार द्वारा लागू की गई विभिन्न अन्य फैलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप कर रही है।
journomirror.com के इनपुट्स साभार
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