"कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दो साल पूरे होने पर शनिवार 26 मार्च को किसान लखनऊ, देहरादून चंडीगढ़ आदि देश भर के राजभवनों तक मार्च निकालेंगे।"
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन शुरू करने के दो साल पूरे होने के मौके पर शनिवार को किसान संगठन देश भर के राजभवनों तक मार्च निकालेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने कई मांगें पूरी नहीं की हैं इसलिए इस मार्च के जरिए किसान विरोध दर्ज कराएंगे। किसान नेताओं ने दावा किया कि सरकार ने उन्हें लिखित में दिया था कि वो चर्चा कर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून लाएगी, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया।
कृषि कानूनों को लेकर दो साल पहले 26 नवंबर को ही दिल्ली में किसानों ने आंदोलन शुरू किया था। उसकी याद और विभिन्न मुद्दों को लेकर किसान लखनऊ में महापंचायत कर रहे हैं। इसमें भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत भी शामिल होंगे। जबकि देहरादून राजभवन तक होने वाली मार्च में भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत अगुवाई करेंगे। इस दौरान किसानों के विभिन्न मुद्दे उठाए जाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान आज लखनऊ के ईको गार्डन में हुंकार भरेंगे जबकि देहरादून में आईएसबीटी के पास महापंचायत होगी।
भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। उनकी जमीन कब्जाने की साजिशें हो रही हैं। सरकार कभी खेतों में कटीले तार लगाने पर प्रतिबंध लगाती है तो कभी ट्रैक्टर ट्राली पर। किसान इसका विरोध कर रहे हैं। जीएम सरसों को मंजूरी जैसे निर्णय भी किसान विरोधी हैं। गन्ने का बकाया भुगतान, बिजली आपूर्ति, एमएसपी पर गारंटी, कर्जा माफी, किसान पेंशन, आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों की वापसी जैसे तमाम मुद्दे हैं जो हल नहीं हो पा रहे हैं।
इसी के लिए शनिवार को लखनऊ के ईको गार्डन में महापंचायत करेंगे। कहा जा रहा है कि पंचायत के बाद राजभवन मार्च किया जा सकता है। इसका निर्णय पंचायत में ही लिया जाएगा। महापंचायत में भाकियू, किसान सभा, जय किसान आंदोलन, क्रांतिकारी किसान यूनियन, भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन आदि प्रमुख किसान संगठनों भाग ले रहे हैं।
इस दौरान स्थानीय मुद्दे भी गूंजेंगे। मसलन किसानों को सिंचाई के लिए फ्री बिजली, गरीबों को 300 यूनिट फ्री बिजली, गन्ना का बकाया भुगतान, आवारा पशुओं का बंदोबस्त, डीएपी खाद की समुचित उपलब्धता, सूखा और अतिवृष्टि का बकाया मुआवजा जैसी तमाम राज्यस्तरीय एवं क्षेत्रीय मांगों को पंचायत में उठाया जाएगा।
जहां भी किसानों को रोका, उसी जिले में होगा धरना : टिकैत
राकेश टिकैत ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि पुलिस जिलों जिलों में किसानों को रोक रही है। कहा जा रहा है कि ऊपर से किसानों को रोकने को कहा गया है ताकि वे लखनऊ न पहुंच सकें। टिकैत ने कहा कि खास तौर पर ललितपुर, रामपुर, उन्नाव, सीतापुर, रायबरेली, फर्रुखाबाद में किसानों को रोका जा रहा है। यदि किसानों को रोका तो उन्हीं जिलों में एसएसपी कार्यालय पर धरना दिए जाएगा।
राकेश ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से किसी ने भी बात करने की जहमत नहीं उठाई। पुरानी सरकारें बात करती थीं पर इस सरकार को उद्योगपति चला रहे हैं। जो वह कहते हैं यह सरकार वही करती है। कहा कि 29 से 30 तक वे कश्मीर भी जा रहे हैं। वहां के सेब किसानों को भी सरकार बर्बाद करने का काम कर रही है। उधर, सहारनपुर मुज्जफ्फरनगर के किसान उत्तराखंड के किसान संगठनों के साथ देहरादून मार्च में शामिल होंगे।
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन शुरू करने के दो साल पूरे होने के मौके पर शनिवार को किसान संगठन देश भर के राजभवनों तक मार्च निकालेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने कई मांगें पूरी नहीं की हैं इसलिए इस मार्च के जरिए किसान विरोध दर्ज कराएंगे। किसान नेताओं ने दावा किया कि सरकार ने उन्हें लिखित में दिया था कि वो चर्चा कर फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून लाएगी, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया।
कृषि कानूनों को लेकर दो साल पहले 26 नवंबर को ही दिल्ली में किसानों ने आंदोलन शुरू किया था। उसकी याद और विभिन्न मुद्दों को लेकर किसान लखनऊ में महापंचायत कर रहे हैं। इसमें भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत भी शामिल होंगे। जबकि देहरादून राजभवन तक होने वाली मार्च में भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत अगुवाई करेंगे। इस दौरान किसानों के विभिन्न मुद्दे उठाए जाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान आज लखनऊ के ईको गार्डन में हुंकार भरेंगे जबकि देहरादून में आईएसबीटी के पास महापंचायत होगी।
भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। उनकी जमीन कब्जाने की साजिशें हो रही हैं। सरकार कभी खेतों में कटीले तार लगाने पर प्रतिबंध लगाती है तो कभी ट्रैक्टर ट्राली पर। किसान इसका विरोध कर रहे हैं। जीएम सरसों को मंजूरी जैसे निर्णय भी किसान विरोधी हैं। गन्ने का बकाया भुगतान, बिजली आपूर्ति, एमएसपी पर गारंटी, कर्जा माफी, किसान पेंशन, आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों की वापसी जैसे तमाम मुद्दे हैं जो हल नहीं हो पा रहे हैं।
इसी के लिए शनिवार को लखनऊ के ईको गार्डन में महापंचायत करेंगे। कहा जा रहा है कि पंचायत के बाद राजभवन मार्च किया जा सकता है। इसका निर्णय पंचायत में ही लिया जाएगा। महापंचायत में भाकियू, किसान सभा, जय किसान आंदोलन, क्रांतिकारी किसान यूनियन, भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन आदि प्रमुख किसान संगठनों भाग ले रहे हैं।
इस दौरान स्थानीय मुद्दे भी गूंजेंगे। मसलन किसानों को सिंचाई के लिए फ्री बिजली, गरीबों को 300 यूनिट फ्री बिजली, गन्ना का बकाया भुगतान, आवारा पशुओं का बंदोबस्त, डीएपी खाद की समुचित उपलब्धता, सूखा और अतिवृष्टि का बकाया मुआवजा जैसी तमाम राज्यस्तरीय एवं क्षेत्रीय मांगों को पंचायत में उठाया जाएगा।
जहां भी किसानों को रोका, उसी जिले में होगा धरना : टिकैत
राकेश टिकैत ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि पुलिस जिलों जिलों में किसानों को रोक रही है। कहा जा रहा है कि ऊपर से किसानों को रोकने को कहा गया है ताकि वे लखनऊ न पहुंच सकें। टिकैत ने कहा कि खास तौर पर ललितपुर, रामपुर, उन्नाव, सीतापुर, रायबरेली, फर्रुखाबाद में किसानों को रोका जा रहा है। यदि किसानों को रोका तो उन्हीं जिलों में एसएसपी कार्यालय पर धरना दिए जाएगा।
राकेश ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से किसी ने भी बात करने की जहमत नहीं उठाई। पुरानी सरकारें बात करती थीं पर इस सरकार को उद्योगपति चला रहे हैं। जो वह कहते हैं यह सरकार वही करती है। कहा कि 29 से 30 तक वे कश्मीर भी जा रहे हैं। वहां के सेब किसानों को भी सरकार बर्बाद करने का काम कर रही है। उधर, सहारनपुर मुज्जफ्फरनगर के किसान उत्तराखंड के किसान संगठनों के साथ देहरादून मार्च में शामिल होंगे।