UP चुनाव: आजमगढ़ में BDO की गाड़ी में पकड़े गए 10 हजार बैलेट पेपर, निलंबित

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 10, 2022
वाराणसी, सोनभद्र बरेली आदि यूपी में जगह जगह पकड़ी जा रही ईवीएम धांधली में नया नाम आजमगढ़ व मुरादाबाद का जुड़ गया है। आजमगढ़ में एक बीडीओ की गाड़ी में करीब 10 हजार सादे मतपत्र पकड़े गए। सपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट में दावा किया कि आज़मगढ़ में वाराणसी नम्बर की एक गाड़ी से 10,000 साते मत पत्र पकड़े गये। सपा ने ट्वीट में कहा, ‘‘बत्ती बुझा कर स्ट्रॉंग रूम के अंदर जा रही गाड़ी को गेट पर मुस्तैद सपा कार्यकर्ताओं ने रोक लिया। पूछा किसके इशारे पर मतपत्र ले जाया जा रहा था? क्या मकसद था? निर्वाचन आयोग कृपया स्पष्ट करे।’’



इसी को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल और राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मतपत्रों की बरामदगी के सिलसिले में लखनऊ में निर्वाचन आयोग (ईसी) के अधिकारियों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने एक लिखित शिकायत भी दी। इसकी एक प्रति मुख्य चुनाव आयुक्त को भी भेजी गई है।

आजमगढ़ के जिला निर्वाचन अधिकारी अमृत त्रिपाठी ने बताया कि यह बीडीओ (ब्लॉक विकास अधिकारी) का वाहन था। उन्होंने बताया कि कि डाक मत पत्र चुनाव में इस्तेमाल नहीं किये गये हैं और इन्हें चुनाव में उपयोग किये गये मत पत्र के साथ ही जमा कराना होता है, लेकिन बीडीओ ने इसे जमा नहीं कराया। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में बीडीओ के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की गई है। पूरे मामले की जांच की जाएगी। 

उधर, मुरादाबाद में मंडी समिति स्थित स्ट्रांग रूम के पास एक वाहन में रखी दो मतपेटियों के साथ तहसीलदार को कथित रूप से पकड़े जाने के बाद भारी हंगामा हुआ। सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह यादव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बिलारी के तहसीलदार धर्मेंद्र, बिलारी नगर पालिका के एक वाहन से स्ट्रांग रूम क्षेत्र में पहुंचे। गाड़ी के अंदर रखे गद्दों के नीचे मतपेटियां छिपा दी गयी थीं।’’

सिंह ने आरोप लगाया, ‘‘तहसीलदार ने सपा एजेंटों के साथ तब दुर्व्यवहार किया जब उन्होंने उन्हें ईवीएम स्ट्रांग रूम में प्रवेश करने से रोकने की कोशिश की और उन्होंने मतपेटियों को अंदर ले जाने की भी कोशिश की।’’ सपा उम्मीदवार फहीम ने 1400 से अधिक सादे मतपत्र बक्से के अंदर होने का दावा करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें डाक मतपत्रों से बदला जाना था। मुरादाबाद के जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बबलू कुमार ने मंडी समिति पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को शांत कराया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जिलाधिकारी ने कहा ‘‘वे इस्तेमाल में नहीं लाये गये मतपत्र थे और बक्सों को सील कर दिया गया था। हालांकि, इस्तेमाल में नहीं लाये गये मतपत्रों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने का प्रयास करने के लिए संबंधित लोगों की ओर से यह एक गलती हुई। परिस्थितियों को देखते हुए तहसीलदार को उनके दायित्व से मुक्त कर दिया गया है।’’

सवाल धांधली भर का नहीं, बल्कि इससे कहीं बड़ा है। अगर चुनावों में प्रत्यक्ष धांधली की धारणा भी यहां तक फैलने लगे कि प्रमुख विपक्षी नेता प्रेस कांफ्रेंस के जरिए उसे जताएं, तो यह गंभीर चिंता की बात है। स्पष्टतः आज पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का चाहे जो नतीजा आए, निर्वाचन की साख के सवाल पर ध्यान देने की जरूरत बनी रहेगी।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने दो गंभीर टिप्पणियां की हैं। पहली बात तो उन्होंने यह कही कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लोकतंत्र बचाने का आखिरी मौका है। फिर उन्होंने इसमें जोड़ा कि इस बार अगर चुनाव प्रक्रिया निष्पक्षता से पूरी नहीं की गई, तो फिर लोगों को ‘क्रांति’ करनी होगी। अब क्रांति से उनका क्या तात्पर्य है, यह उन्होंने स्पष्ट नहीं किया। लेकिन जिस संदर्भ में उन्होंने ये बातें कहीं, वे गौरतलब हैं। संदर्भ वाराणसी में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को कथित तौर पर उनकी जगह से कहीं और ले जाने से उठा विवाद था। समाजवादी पार्टी का आरोप है कि बिना सभी उम्मीदवारों को बताए ईवीएम की जगह बदली जा रही थी, जो नियम के खिलाफ है। प्रशासन का कहना है कि जिन ईवीएम को ले जाया जा रहा था, वे वो नहीं हैं, जिनमें मतदान हुआ। बल्कि वे प्रशिक्षण के मकसद से रखी गई मशीनें थीं। बहरहाल, अखिलेश यादव ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में सोनभद्र में मतपत्रों को अनुचित रूप से ले जाने का मामला भी उठा दिया। लगे हाथ जोड़ दिया कि एग्जिट पोल एक सुविचारित योजना का परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल के जरिए भारतीय जनता पार्टी की जीत का माहौल इसलिए बनाया गया है कि अगर प्रशासन भाजपा के पक्ष में धांधली करे, तो लोग सवाल ना उठाएं। लोग यह मान कर चलें कि आखिर एग्जिट पोल में भी तो यही नतीजा बताया गया था। 

जो बात अखिलेश यादव कह रहे हैं, वह विपक्षी खेमे के समर्थक बड़ी संख्या में कहते सुने जा रहे है। यह इस बात का संकेत है कि भाजपा विरोधी खेमों में देश की चुनाव प्रक्रिया या चुनाव तंत्र को लेकर शक लगातार गहरा रहा है। यह बात तो जाने-माने विश्लेषक भी कहते सुने जाते हैं कि अब भारत में चुनावों के दौरान सभी पक्षों को समान धरातल नहीं मिलता। उनका दावा है कि धन, मीडिया और संस्थानों का बल सत्ताधारी पार्टी के साथ होता है। अब अगर चुनावों में प्रत्यक्ष धांधली की धारणा भी यहां तक फैलने लगे कि प्रमुख विपक्षी नेता प्रेस कांफ्रेंस के जरिए उसे जताएं, तो यह गंभीर चिंता की बात है। स्पष्टतः आज पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का चाहे जो नतीजा आए, निर्वाचन की साख के सवाल पर ध्यान देने की जरूरत बनी रहेगी। यह सबको याद रखना चाहिए कि ऐसे संदेह के माहौल में लोकतंत्र टिकाऊ नहीं हो सकता। 

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