अब यह साफ़ देखा जा सकता है कि मुल्क के जातिवादी तत्व खुलकर हिंसा का खेल खेल रहे हैं.हर मिनट में देश में कहीं न कहीं अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों पर हमले हो रहे हैं, क़त्ल किए जा रहे हैं, वंचित वर्ग की बेटियों के साथ यौन हिंसा की जा रही हैं.
इस देश के जातिवादी आतंकी जमातों के लोग दलित आदिवासियों के अस्तित्व को सहन करने के लिए भी तैयार नहीं है,छोटी छोटी बातों के लिए उन पर हमले किए जा रहे हैं .अगर इन सब घटनाओं को साथ मिलाकर देखें तो पता चलता है कि जैसे कोई युद्ध चल रहा है .
ताज़ा मामला राजस्थान के भीलवाड़ा ज़िले की रायपुर थाना क्षेत्र के नांदशा जागीर गाँव का है .जहां के युवा पत्रकार और समाजसेवी रामचंद्र बलाई पर कल रात एक जातिवादी गैंग ने इसलिए हमला कर दिया, क्योंकि दलित समाज के इस युवा की सक्रियता सामंती सोच के लोगों की आँखों में चुभ रही थी.
रामचंद्र जी की पत्नी ने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीता, यह भी ग्रामीण इलाक़ों पर बरसों से वर्चस्व जमा कर बैठे तत्वों को बर्दाश्त नहीं हो पा रहा हैं, वे सरपंच और उनके पति को अपमानित करने का भी कोई मौक़ा नहीं चूकते है. इस बार भी गाँव में नाली निर्माण का बहाना बनाकर उन्होंने रामचंद्र बलाई का रास्ता रोक कर हमला किया और जातिगत रूप से अपमानित व प्रताड़ित किया.युवा पत्रकार और कार्यकर्ता रामचंद्र जी ने किसी तरह एक घर में घुसकर अपनी जान बचाई और अपने लोगों को हमले की जानकारी दी.
रायपुर थाने में भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मुक़दमा क़ायम हो चुका है और पुलिस उपाधीक्षक गंगापुर इसकी जाँच करने वाले हैं, कषेत्र के अम्बेडकरवादी युवाओं में इस घटना को लेकर ज़बर्दस्त आक्रोश है और वे आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं.उम्मीद है कि पुलिस और प्रशासन इस रोष को समझने में कामयाब होंगे, अगर उनको समझ नहीं आया तो बाबा साहब के अनुयायी संवैधानिक तरीक़ों से समझाना बखूबी जानते ही है.
बाक़ी रही बात गाँवों में अवशेष के रूप में बच गए कट्टर जातिवादी तत्वों से हमारा बस यही कहना है कि देश तो संविधान से ही चलेगा,न कि तुम्हारे जातीय दंभ और घृणा से.रामचंद्र जी को न्याय दिलाने की लड़ाई मज़बूत ढंग से लड़ी जायेगी. हम लड़ेंगे और जीतेंगे भी !
इस देश के जातिवादी आतंकी जमातों के लोग दलित आदिवासियों के अस्तित्व को सहन करने के लिए भी तैयार नहीं है,छोटी छोटी बातों के लिए उन पर हमले किए जा रहे हैं .अगर इन सब घटनाओं को साथ मिलाकर देखें तो पता चलता है कि जैसे कोई युद्ध चल रहा है .
ताज़ा मामला राजस्थान के भीलवाड़ा ज़िले की रायपुर थाना क्षेत्र के नांदशा जागीर गाँव का है .जहां के युवा पत्रकार और समाजसेवी रामचंद्र बलाई पर कल रात एक जातिवादी गैंग ने इसलिए हमला कर दिया, क्योंकि दलित समाज के इस युवा की सक्रियता सामंती सोच के लोगों की आँखों में चुभ रही थी.
रामचंद्र जी की पत्नी ने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीता, यह भी ग्रामीण इलाक़ों पर बरसों से वर्चस्व जमा कर बैठे तत्वों को बर्दाश्त नहीं हो पा रहा हैं, वे सरपंच और उनके पति को अपमानित करने का भी कोई मौक़ा नहीं चूकते है. इस बार भी गाँव में नाली निर्माण का बहाना बनाकर उन्होंने रामचंद्र बलाई का रास्ता रोक कर हमला किया और जातिगत रूप से अपमानित व प्रताड़ित किया.युवा पत्रकार और कार्यकर्ता रामचंद्र जी ने किसी तरह एक घर में घुसकर अपनी जान बचाई और अपने लोगों को हमले की जानकारी दी.
रायपुर थाने में भारतीय दंड संहिता और अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मुक़दमा क़ायम हो चुका है और पुलिस उपाधीक्षक गंगापुर इसकी जाँच करने वाले हैं, कषेत्र के अम्बेडकरवादी युवाओं में इस घटना को लेकर ज़बर्दस्त आक्रोश है और वे आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं.उम्मीद है कि पुलिस और प्रशासन इस रोष को समझने में कामयाब होंगे, अगर उनको समझ नहीं आया तो बाबा साहब के अनुयायी संवैधानिक तरीक़ों से समझाना बखूबी जानते ही है.
बाक़ी रही बात गाँवों में अवशेष के रूप में बच गए कट्टर जातिवादी तत्वों से हमारा बस यही कहना है कि देश तो संविधान से ही चलेगा,न कि तुम्हारे जातीय दंभ और घृणा से.रामचंद्र जी को न्याय दिलाने की लड़ाई मज़बूत ढंग से लड़ी जायेगी. हम लड़ेंगे और जीतेंगे भी !