नई दिल्ली। एक ओर मोदी सरकार किसान आंदोलन में शामिल नेताओं से बातचीत कर रही है, दूसरी ओर केंद्रीय एजेंसियां आंदोलन का समर्थन करने वालों पर शिकंजा कस रही हैं। आढ़तियों, पंजाबी गायकों से शुरू हुआ यह सिलसिला लेखकों, पत्रकारों, व्यापारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं तक जा पहुंचा है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने खालिस्तान समर्थक प्रतिबंधित संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस (एसएफ़जे) के द्वारा आतंकवाद के लिए धन उपलब्ध कराने को लेकर एफ़आईआर दर्ज की है।
एनआईए द्वारा 15 दिसंबर, 2020 को दर्ज की गई इस एफ़आईआर में कहा गया है कि एसएफ़जे की ओर से खालिस्तान समर्थक तत्वों को एनजीओ के जरिये विदेशों से पैसा भेजा रहा है और इस पैसे का इस्तेमाल भारत सरकार के ख़िलाफ़ प्रोपेगेंडा चलाने के लिए किया जा रहा है।
एफ़आईआर में दावा किया गया है कि एसएफ़जे और कुछ अन्य खालिस्तान समर्थक संगठन इस साज़िश में शामिल हैं और इसके लिए सोशल मीडिया पर लगातार अभियान चला रहे हैं। इसके अलावा ये संगठन युवाओं को अलग खालिस्तान राष्ट्र के लिए भड़का रहे हैं।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, एनआईए ने इस मामले में सोमवार को 5 लोगों से पूछताछ की है। एनआईए ने जिन लोगों को हालिया समन भेजा है, उनमें सिख अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के भतीजे और अकाल तख़्त के पूर्व जत्थेदार जसबीर सिंह रोड का भी नाम शामिल है। रोड इंटरनेशनल पंथक दल और किसान बचाओ मोर्चा से जुड़े हैं और सिंघु बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में 2 दिसंबर से शामिल हैं।
जालंधर के रहने वाले और लेखक बलविंदर पाल सिंह को भी समन भेजा गया है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, बलविंदर ने कहा कि वह किसानों, मजदूरों, सिखों और दलितों को लेकर सरकारी नीतियों के ख़िलाफ़ लिखते रहे हैं।
अमृतसर के पत्रकारों जसवीर सिंह मुक्तसर और तजिंदर सिंह, के टीवी न्यूज़ चैनल के वीडियो एडिटर मोनू सिंह को भी एनआईए ने समन भेजा है। तजिंदर कहते हैं कि ऐसा करके एजेंसी मीडिया की आवाज़ को चुप कराना चाहती है।
हरियाणा के अंबाला के फ्रीलांस पत्रकार विनर सिंह से हाल ही में उन्हें ब्रिटेन और कनाडा के सिख चैनल से मिले 6 लाख रुपयों को लेकर पूछताछ की गई है।
होशियारपुर के रहने वाले नोबेलजीत सिंह और करनैल सिंह कहते हैं कि वे पहले दिन से किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं और इस तरह के समन से डरने वाले नहीं हैं। दोनों ही आवाज़-ए-कौम नाम के संगठन से जुड़े हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने खालिस्तान समर्थक प्रतिबंधित संगठन सिख फ़ॉर जस्टिस (एसएफ़जे) के द्वारा आतंकवाद के लिए धन उपलब्ध कराने को लेकर एफ़आईआर दर्ज की है।
एनआईए द्वारा 15 दिसंबर, 2020 को दर्ज की गई इस एफ़आईआर में कहा गया है कि एसएफ़जे की ओर से खालिस्तान समर्थक तत्वों को एनजीओ के जरिये विदेशों से पैसा भेजा रहा है और इस पैसे का इस्तेमाल भारत सरकार के ख़िलाफ़ प्रोपेगेंडा चलाने के लिए किया जा रहा है।
एफ़आईआर में दावा किया गया है कि एसएफ़जे और कुछ अन्य खालिस्तान समर्थक संगठन इस साज़िश में शामिल हैं और इसके लिए सोशल मीडिया पर लगातार अभियान चला रहे हैं। इसके अलावा ये संगठन युवाओं को अलग खालिस्तान राष्ट्र के लिए भड़का रहे हैं।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, एनआईए ने इस मामले में सोमवार को 5 लोगों से पूछताछ की है। एनआईए ने जिन लोगों को हालिया समन भेजा है, उनमें सिख अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले के भतीजे और अकाल तख़्त के पूर्व जत्थेदार जसबीर सिंह रोड का भी नाम शामिल है। रोड इंटरनेशनल पंथक दल और किसान बचाओ मोर्चा से जुड़े हैं और सिंघु बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में 2 दिसंबर से शामिल हैं।
जालंधर के रहने वाले और लेखक बलविंदर पाल सिंह को भी समन भेजा गया है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, बलविंदर ने कहा कि वह किसानों, मजदूरों, सिखों और दलितों को लेकर सरकारी नीतियों के ख़िलाफ़ लिखते रहे हैं।
अमृतसर के पत्रकारों जसवीर सिंह मुक्तसर और तजिंदर सिंह, के टीवी न्यूज़ चैनल के वीडियो एडिटर मोनू सिंह को भी एनआईए ने समन भेजा है। तजिंदर कहते हैं कि ऐसा करके एजेंसी मीडिया की आवाज़ को चुप कराना चाहती है।
हरियाणा के अंबाला के फ्रीलांस पत्रकार विनर सिंह से हाल ही में उन्हें ब्रिटेन और कनाडा के सिख चैनल से मिले 6 लाख रुपयों को लेकर पूछताछ की गई है।
होशियारपुर के रहने वाले नोबेलजीत सिंह और करनैल सिंह कहते हैं कि वे पहले दिन से किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं और इस तरह के समन से डरने वाले नहीं हैं। दोनों ही आवाज़-ए-कौम नाम के संगठन से जुड़े हैं।