नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के सांसदों ने शुक्रवार को संसद के सेंट्रल हॉल के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को संसद भवन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 96वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे।
आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने एक वीडियो साझा किया है, जिसमें वह खुद और पार्टी के अन्य सांसद कृषि कानूनों के खिलाफ नारे लगाते हुए देखे जा रहे हैं।
वीडियो में आप सांसदों को 'कृषि कानून वापस लो' का नारा बुलंद करते हुए सुना जा सकता है। आप के लोकसभा सांसद भगवंत मान ने कहा, "हमने संसद के सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री के सामने नारे लगाते हुए किसान विरोधी कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग की।"
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इतने अहंकारी हैं कि उन्होंने उनकी बात तक नहीं सुनी। मान ने कहा कि वाजपेयी की जयंती मनाने के बाद, उन्होंने प्रधानमंत्री तक पहुंचने की कोशिश की।
मान ने कहा, "हमने किसानों की मांगों को दोहराते हुए नारे लगाए। मोदी अपनी पसंद के किसानों से मिलने गुजरात जाते हैं, लेकिन वह अपने घर से 20 किलोमीटर दूर बैठे हजारों किसानों से मिलने नहीं जा रहे हैं।"
मान ने कहा कि एक तरफ भाजपा सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों में संशोधन करने और किसानों से बात करने के लिए तैयार है, लेकिन दूसरी ओर वह इन कानूनों की प्रशंसा कर रही है।
आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने एक वीडियो साझा किया है, जिसमें वह खुद और पार्टी के अन्य सांसद कृषि कानूनों के खिलाफ नारे लगाते हुए देखे जा रहे हैं।
वीडियो में आप सांसदों को 'कृषि कानून वापस लो' का नारा बुलंद करते हुए सुना जा सकता है। आप के लोकसभा सांसद भगवंत मान ने कहा, "हमने संसद के सेंट्रल हॉल में प्रधानमंत्री के सामने नारे लगाते हुए किसान विरोधी कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग की।"
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इतने अहंकारी हैं कि उन्होंने उनकी बात तक नहीं सुनी। मान ने कहा कि वाजपेयी की जयंती मनाने के बाद, उन्होंने प्रधानमंत्री तक पहुंचने की कोशिश की।
मान ने कहा, "हमने किसानों की मांगों को दोहराते हुए नारे लगाए। मोदी अपनी पसंद के किसानों से मिलने गुजरात जाते हैं, लेकिन वह अपने घर से 20 किलोमीटर दूर बैठे हजारों किसानों से मिलने नहीं जा रहे हैं।"
मान ने कहा कि एक तरफ भाजपा सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों में संशोधन करने और किसानों से बात करने के लिए तैयार है, लेकिन दूसरी ओर वह इन कानूनों की प्रशंसा कर रही है।