लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प में 20 सैनिक शहीद

Written by sabrang india | Published on: June 17, 2020
नई दिल्ली। लद्दाख में सोमवार रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए। पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया है।



सेना ने शुरू में मंगलवार को कहा कि एक अधिकारी और दो सैनिक शहीद हुए, लेकिन देर शाम बयान में कहा गया कि 17 अन्य सैनिक जो अत्यधिक ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में गतिरोध के स्थान पर ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उन्होंने दम तोड़ दिया है। इससे शहीद हुए सैनिकों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है।’

इन बीस शहीदों में से 16 बिहार रेजिमेंट के एक कमांडिंग ऑफिसर भी थे। सरकारी सूत्रों ने कहा है कि चीनी पक्ष के सैनिक भी उसी अनुपात में हताहत हुए हैं, हालांकि चीन हताहतों को लेकर चुप्पी साधे हुए है।

वर्ष 1967 में सिक्किम के नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है। उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे। इस क्षेत्र में दोनों तरफ नुकसान ऐसे वक्त हुआ है, जब सरकार का ध्यान कोविड-19 संकट से निपटने पर लगा हुआ है।

सेना के एक बयान में कहा गया, ‘भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गलवान क्षेत्र में जिस स्थान पर 15/16 जून की रात झड़प हुई, वहां से दोनों तरफ के सैनिक हट गए हैं।’ इसमें यह नहीं बताया गया है कि सैन्यकर्मी किस प्रकार हताहत हुए हैं और दोनों पक्षों के बीच किसी तरह के गोलाबारी का भी उल्लेख नहीं किया गया है।

भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि झड़प में हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया और अधिकतर जवान चीनी पक्ष द्वारा किए गए पथराव और लोहे की छड़ों के इस्तेमाल के कारण घायल हुए। झड़प में घायल हुए अधिकारी की पहचान 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल संतोष बाबू के तौर पर हुई। वह तेलंगाना के निवासी थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नई दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार दिन में सेना और मिलिट्री के अधिकारियों से मामले की जानकारी लेते रहे और देर रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर हुई बैठक में शामिल हुए। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस। जयशंकर और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आदि भी मौजूद थे। इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में स्थिति की समग्र समीक्षा की गई।

यह समझा जा रहा है कि भारत ने 3,500 किलोमीटर की सीमा (वास्तिवित नियंत्रण रेखा- एलएसी) पर चीन के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए दृढ़ रुख जारी रखने का फैसला किया है।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इससे पहले राजनाथ सिंह द्वारा सेना की बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर, चीफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया शामिल हुए थे।

सैन्य सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में चीनी वायुसेना की बड़ी गतिविधियां देखी गई है। दोनों देशों की सेनाओं ने झड़प के स्थान पर मेजर जनरल स्तरीय वार्ता की है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प क्षेत्र में ‘यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के चीनी पक्ष के प्रयास’ के कारण हुई।

चीन की सरकारी मीडिया ने मंगलवार को चीनी सेना के हवाले से दावा किया कि गलवान घाटी क्षेत्र पर उसकी ‘हमेशा’ संप्रभुता रही है और आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने ‘जानबूझकर उकसाने वाले हमले किए’ जिस कारण ‘गंभीर संघर्ष हुआ और सैनिक हताहत हुए।’
 

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