देश में उपलब्ध सारी दवाई अमेरिका भिजवा दी गईं, जब वहां माँग कम हुई तब जाकर होश में आया ICMR

Written by Girish Malviya | Published on: May 23, 2020
देश भर में कोविड 19 से निपटने में सैकड़ो स्वास्थ्यकर्मी और सैकड़ो पुलिस वाले अब तक अपनी जान से हाथ धो चुके हैं। अब जाकर ICMR को होश आया है और उसने एक एडवाईजरी जारी कर कहा है कि आज 23 मई से कोविड-19 के काम मे लगे फ्रंटलाइन वारियर्स जैसे पुलिसकर्मी ओर स्वास्थ्यकर्मी आदि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का नियमित रूप से सेवन करे।



ICMR वालों को अब जरा भी भी शर्म नही आ रही है! यही बात वह अगर मार्च के आखिरी हफ्ते में ही बोल देते तो उनका क्या बिगड़ जाता? जबकि यह दवा भारत मे आसानी से उपलब्ध होती है क्योंकि भारत ही इस दवाई का सबसे बड़ा निर्माता है ?

मैं बताता हूँ कि क्या बिगड़ जाता! दरसअल फरवरी मार्च में ही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जैसी साधारण दवाई देश की हर केमिस्ट शाप से गायब करवा दी गयी थीं, उस वक्त भी मैंने इस बारे में खूब लिखा था। मीडिया से जुड़े कुछ संवेदनशील पत्रकारों ने भी यह मुद्दा उठाया था कि यह ड्रग कहीं भी उपलब्ध नही हो पा रहा है। कुछ दिन बाद ही खबर आती है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प उनके देश मे हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की आपूर्ति के लिए दबाव डाल रहे हैं। ट्रम्प ने उस वक्त कैसा धमकाया था हमें अच्छी तरह से याद है।

लिहाजा देश मे उपलब्ध सारी दवाई अमेरिका भिजवा दी गई। आज जब वहां उसकी मांग कम हुई तब जाकर ICMR को होश आया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को तो हमें अपने लक्षणविहीन स्वास्थ्य कर्मियों ओर पुलिस वालों को भी देना चाहिए। तो अब लॉक डाउन के दो महीने बाद यह एडवाइजरी जारी की गई है। अब आइसीएमआर द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के दायरे को बढ़ाते हुए गैर-कोविड-19 अस्पतालों में काम करने वाले स्पर्शोन्मुख स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के अलावा अन्‍य कई अन्‍य क्षेत्रों के कर्मियों को भी लेने की सलाह दी है। साफ है चूंकि अब सप्लाई थोड़ी ठीक हुई है इसलिए यह कदम उठाया गया है।

सरकार द्वारा संशोधित एडवाइजरी में गैर-कोविड-19 अस्पतालों में काम करने वाले एसिम्प्टमेटिक हेल्थकेयर, कंटेनमेंट जोन में निगरानी क्षेत्र में तैनात फ्रंटलाइन वर्कर्स और कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़ी गतिविधियों में शामिल पुलिस और अर्धसैनिक बलों को हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा ले सकते हैं।

साफ दिख रहा है कि हमारी आपकी सुरक्षा में तैनात फ्रंटलाइन वर्कर्स की अब तक घोर उपेक्षा की गयी है। मीडिया तो यह सवाल उठाने से रहा, राजनीतिक दलों को तो यात्री बसो की लड़ाई लड़ने से फुर्सत ही नहीं है। इसलिए हमें ओर आपको ही यह मुद्दा जोरशोर से उठाना होगा कि ऐसी घोर लापरवाही क्यो बरती जा रही हैं।

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