कल वित्तमंत्री द्वारा घोषित पैकेज के गुब्बारे की हवा आज सुबह शेयर बाजार ने निकाल दी गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स शुरुआत 600 अंकों की बड़ी गिरावट के साथ हुई है।
साफ दिख रहा है कि जो मार्केट को उम्मीद थी कि सीधे तौर पर फायदा पहुंचाया जाएगा। वह पूरी नही हुई , इंडस्ट्री को लग रहा था कि सीधे तौर पर बड़ा आर्थिक पैकेज दिया जाएगा। लेकिन अब साफ दिख रहा है कि भारत के कारोबार जगत को सीधे तौर पर राहत नहीं मिलने वाली है।
बिजनेस अखबारों ने भी 20 लाख करोड़ के पैकेज का पोस्टमार्टम करना शुरू कर दिया है। वो बता रहे हैं कि कल वित्तमंत्री द्वारा घोषित किये गए पैकेज की ज्यादातर घोषणाएं क्रेडिट गारंटी से जुड़ी हैं। इसमें से कोई अतिरिक्त बोझ सरकार पर तभी पड़ेगा, जब किसी तरह का डिफॉल्ट हो जाए।
MSME सेक्टर के लिए जारी किए गए एकमुश्त 3 लाख करोड़ रुपये के पैकेज समेत इस पूरी रकम के लिए सरकार के खजाने पर सिर्फ 56,500 करोड़ रुपये का ही बोझ पड़ेगा। ओर जो 56,500 करोड़ रुपये खर्च होने हैं, उसमें 50,000 करोड़ रुपये का हिस्सा टीडीएस और टीसीएस की दरों में 25 फीसदी की कटौती का है। इसके अलावा 4,000 करोड़ रुपये कर्ज में फंसी MSME की मदद के लिए आवंटित किए गए हैं और 2,500 करोड़ रुपये से सरकार ने छोटी कंपनियों के कर्मचारियों के पीएफ को जमा करने का फैसला लिया है।
सरकार की ओर से अब तक करीब 13 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया जा चुका है, उसमें से सिर्फ 1।26 लाख करोड़ रुपये सरकारी खजाने से जाने हैं।
बिजनेस टुडे के विश्लेषण के मुताबिक अभी के 56,000 करोड़ और मार्च में जारी हुए 1.7 लाख करोड़ रुपये में सरकार की ओर से खर्च हुए 70,000 करोड़ को जोड़ दें तो यह रकम 1.26 लाख करोड़ रुपये हो जाती है। यानी कुल 13 लाख करोड़ का पैकेज में सरकार का वास्तविक हिस्सा मात्र सवा लाख। कल जो पावर सेक्टर को 90 हजार करोड़ देने की बात की गई है वह भी राज्यो का ही पैसा है उसके डिफॉल्ट की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दे गयी है।
इसके 20 लाख करोड़ विशेष आर्थिक पैकेज के 'नाम बड़े और दर्शन छोटे' की हकीकत जानने के बाद अब आप उस पैकेज को देखिए जो इटली की सरकार ने दिया है बताया जा रहा है कि इटली सरकार ने गुरुवार को कोरोना वायरस के मद्दनेजर बुरी तरह लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिये 55 अरब यूरो (59.6 अरब डॉलर) के आर्थिक पैकेज का प्रस्ताव पारित किया है।
इस आर्थिक पैकेज में सबसे उल्लेखनीय कदम नियोजित श्रमिकों के अतिरिक्त भुगतान के लिए 25.6 अरब यूरो प्रदान करने के अलावा आगामी महीनों में स्वरोजगार के लिए 600 से 1,000 यूरो तक के वित्तीय बोनस का नवीनीकरण करना है।
लॉकडाउन के दौरान बंद रहने के लिए मजबूर व्यवसायों के पिछले तीन महीनों के किराये का 60 प्रतिशत भुगतान राज्य करेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली के लिये 3.25 अरब यूरो आवंटन किया गया है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2020-21 में पब्लिक स्कूल सिस्टम को 1.4 अरब यूरो आवंटित किए गये हैं। अमेरिका भी छोटे बिजनेस मैन को अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए डायरेक्ट पैसे दे रहा है।
अब आप बताइये क्या इस तरह का पैकेज मोदी जी देते तो उनका क्या बिगड़ जाता है। भले ही 20 लाख करोड़ का ना देते मात्र 5 लाख करोड़ का ही देते पर सीधी मदद देते ? अभी सोशल मीडिया पर एक पंखे का वीडियो वायरल है जो सिर्फ गोल गोल घूम रहा है लेकिन पंखा बन्द पड़ा है मोदीजी का पैकेज भी कुछ वैसा ही है।
साफ दिख रहा है कि जो मार्केट को उम्मीद थी कि सीधे तौर पर फायदा पहुंचाया जाएगा। वह पूरी नही हुई , इंडस्ट्री को लग रहा था कि सीधे तौर पर बड़ा आर्थिक पैकेज दिया जाएगा। लेकिन अब साफ दिख रहा है कि भारत के कारोबार जगत को सीधे तौर पर राहत नहीं मिलने वाली है।
बिजनेस अखबारों ने भी 20 लाख करोड़ के पैकेज का पोस्टमार्टम करना शुरू कर दिया है। वो बता रहे हैं कि कल वित्तमंत्री द्वारा घोषित किये गए पैकेज की ज्यादातर घोषणाएं क्रेडिट गारंटी से जुड़ी हैं। इसमें से कोई अतिरिक्त बोझ सरकार पर तभी पड़ेगा, जब किसी तरह का डिफॉल्ट हो जाए।
MSME सेक्टर के लिए जारी किए गए एकमुश्त 3 लाख करोड़ रुपये के पैकेज समेत इस पूरी रकम के लिए सरकार के खजाने पर सिर्फ 56,500 करोड़ रुपये का ही बोझ पड़ेगा। ओर जो 56,500 करोड़ रुपये खर्च होने हैं, उसमें 50,000 करोड़ रुपये का हिस्सा टीडीएस और टीसीएस की दरों में 25 फीसदी की कटौती का है। इसके अलावा 4,000 करोड़ रुपये कर्ज में फंसी MSME की मदद के लिए आवंटित किए गए हैं और 2,500 करोड़ रुपये से सरकार ने छोटी कंपनियों के कर्मचारियों के पीएफ को जमा करने का फैसला लिया है।
सरकार की ओर से अब तक करीब 13 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया जा चुका है, उसमें से सिर्फ 1।26 लाख करोड़ रुपये सरकारी खजाने से जाने हैं।
बिजनेस टुडे के विश्लेषण के मुताबिक अभी के 56,000 करोड़ और मार्च में जारी हुए 1.7 लाख करोड़ रुपये में सरकार की ओर से खर्च हुए 70,000 करोड़ को जोड़ दें तो यह रकम 1.26 लाख करोड़ रुपये हो जाती है। यानी कुल 13 लाख करोड़ का पैकेज में सरकार का वास्तविक हिस्सा मात्र सवा लाख। कल जो पावर सेक्टर को 90 हजार करोड़ देने की बात की गई है वह भी राज्यो का ही पैसा है उसके डिफॉल्ट की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर डाल दे गयी है।
इसके 20 लाख करोड़ विशेष आर्थिक पैकेज के 'नाम बड़े और दर्शन छोटे' की हकीकत जानने के बाद अब आप उस पैकेज को देखिए जो इटली की सरकार ने दिया है बताया जा रहा है कि इटली सरकार ने गुरुवार को कोरोना वायरस के मद्दनेजर बुरी तरह लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिये 55 अरब यूरो (59.6 अरब डॉलर) के आर्थिक पैकेज का प्रस्ताव पारित किया है।
इस आर्थिक पैकेज में सबसे उल्लेखनीय कदम नियोजित श्रमिकों के अतिरिक्त भुगतान के लिए 25.6 अरब यूरो प्रदान करने के अलावा आगामी महीनों में स्वरोजगार के लिए 600 से 1,000 यूरो तक के वित्तीय बोनस का नवीनीकरण करना है।
लॉकडाउन के दौरान बंद रहने के लिए मजबूर व्यवसायों के पिछले तीन महीनों के किराये का 60 प्रतिशत भुगतान राज्य करेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली के लिये 3.25 अरब यूरो आवंटन किया गया है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2020-21 में पब्लिक स्कूल सिस्टम को 1.4 अरब यूरो आवंटित किए गये हैं। अमेरिका भी छोटे बिजनेस मैन को अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लिए डायरेक्ट पैसे दे रहा है।
अब आप बताइये क्या इस तरह का पैकेज मोदी जी देते तो उनका क्या बिगड़ जाता है। भले ही 20 लाख करोड़ का ना देते मात्र 5 लाख करोड़ का ही देते पर सीधी मदद देते ? अभी सोशल मीडिया पर एक पंखे का वीडियो वायरल है जो सिर्फ गोल गोल घूम रहा है लेकिन पंखा बन्द पड़ा है मोदीजी का पैकेज भी कुछ वैसा ही है।