कोरोना : PPE के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना कर रही मोदी सरकार

Written by Girish Malviya | Published on: April 11, 2020
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कल अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा सभी को पीपीई की आवश्यकता नहीं होती है। जिस चीज की जहां आवश्यकता है, वहीं पर इस्तेमाल किया जाए। लव अग्रवाल ने साफ कहा कि सिर्फ हाई रिस्क जोन में ही पीपीई का इस्तेमाल होता है। इसमें हेडगेयर, मास्क, बूट और कवर होता है। मोडरेट के लिए सिर्फ एन-95 मास्क और ग्लब्स की आवश्यक्ता होती है।



कल ही ये भी खबर आई कि शाहदरा स्थित दिल्ली राज्य कैंसर अस्पताल में उपचार कर रहे तीन मरीजों को भी कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है और दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान में स्वास्थ्यकर्मियों के कोरोनावायरस की चपेट में आने के बाद अस्पताल के 50 डॉक्टर और नर्स को आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है। इनमें अस्पताल के चिकित्सा निदेशक भी शामिल हैं।

यानी यह साफ है कि हाई रिस्क जोन क्या है? क्या हो सकता है? यह अभी ठीक ठीक नही कहा जा सकता। आप सिर्फ कोरोना के ज्ञात संदिग्धों का इलाज कर रहे स्टाफ को हाई रिस्क जोन नही कह सकते! अभी जिस हिसाब से कोरोना से इतर इलाज कर रहे हॉस्पिटल में कोरोना के मरीज मिल रहे हैं वह हमारे स्वास्थ्य कर्मियों जिसमें डॉक्टर भी शामिल है; उनके लिए बेहद खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं ओर हो भी रहे हैं। कल न्यूरोलॉजी की समस्या को लेकर दिल्ली के AIIMS में एडमिट हुआ मरीज़ कोरोना संक्रमित पाया गया। इसके बाद एम्स के 30 डॉक्टर्स और नर्स को क्वारंटाइन में भेज दिया गया।

देश भर के हॉस्पिटल्स में ऐसे मामलों की भरमार है डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ काम पर आने में डर रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार PPE के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों की भी साफ अवहेलना कर रही है जिसने कोरोना महामारी के खिलाफ चल रही लड़ाई में डॉक्टरों और स्वास्थकर्मियों को योद्धा बताते हुए बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वे सभी स्वास्थ्यकर्मियों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) मुहैया कराएं।

खुद स्वास्थ्य मंत्रालय भी मानता है कि बाकी दुनिया की तरह भारत में भी अब बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं, यह बेहद चिंता की बात है क्यो कि ऐसे मरीजों से संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे मरीजों को ‘फॉल्स निगेटिव’ कहा जाता है। दुनिया में करीब 30 फीसदी ऐसे मरीज मिले हैं।

ऐसे में हाई रिस्क जोन में तो सभी डॉक्टर है, क्योंकि वह दूसरे रोगों का इलाज नही करेंगे तो कोरोना से भी ज्यादा मौतें हो जाएगी। कल ही इंदौर में एक ऐसे डॉक्टर की मौत हुई है जो 10 दिन पहले तक अपने क्लिनिक में मरीज देख रहे थे। स्वास्थ्य मंत्रालय को चाहिए कि सभी स्वास्थ्य कर्मियों की सम्पूर्ण सुरक्षा पर ध्यान दे, ये हाई रिस्क जोन के शगूफे न उछाले और यदि देश मे PPE किट की कमी है तो उसे स्वीकार करें और जल्द से जल्द उसका इंतजाम करें, मूर्खता पूर्ण बातें कर हमारे कोरोना वॉरियर्स की जान को खतरे में न डाले।

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