सूरज मुझे आज देख मंद मंद मुस्काया है
नील गगन बहुत दिनों बाद मुझसे आँख मिलाया है
हो गए हैं फासले हम दोनों के दरमियां दूर
प्रदूषण को कोरोना ने जो दूर भगाया है
एक ज़रा सी चीज़ तुम जल्लादों पे भारी पड़ गई
अब तुम्हारी वो इतराती चमक और अंगड़ाई कहाँ गई
पर अब कोरोना को भी रोना आ गया है
और तुम इंसानो से शरमा गया है
खुद की ज़ात और कारनामो पे खूब पछताया
और ये बोल रो पड़ा: मै इस धरती पे क्यों आया ?
मुझको कहाँ रहबसर आज आया हूँ कल हो जाएगा मेरा भी क्रियाकर्म
कोरोना ये सोच झेंप सा गया कि मैं
इन स्वार्थियों के बीच बेकार ही आया
पहले ही दीवाने बास्ते हैं यहाँ आदमफरोश
जो ग़रीबो के ना हुए कभी दोगले बर्दाफरोश
आदमी आदमी को बेच खा रहा
इंसानियत का बोलबाला मुरझा रहा
- सादिया हाशमी (जामिया मिलिया इस्लामिया )
नील गगन बहुत दिनों बाद मुझसे आँख मिलाया है
हो गए हैं फासले हम दोनों के दरमियां दूर
प्रदूषण को कोरोना ने जो दूर भगाया है
एक ज़रा सी चीज़ तुम जल्लादों पे भारी पड़ गई
अब तुम्हारी वो इतराती चमक और अंगड़ाई कहाँ गई
पर अब कोरोना को भी रोना आ गया है
और तुम इंसानो से शरमा गया है
खुद की ज़ात और कारनामो पे खूब पछताया
और ये बोल रो पड़ा: मै इस धरती पे क्यों आया ?
मुझको कहाँ रहबसर आज आया हूँ कल हो जाएगा मेरा भी क्रियाकर्म
कोरोना ये सोच झेंप सा गया कि मैं
इन स्वार्थियों के बीच बेकार ही आया
पहले ही दीवाने बास्ते हैं यहाँ आदमफरोश
जो ग़रीबो के ना हुए कभी दोगले बर्दाफरोश
आदमी आदमी को बेच खा रहा
इंसानियत का बोलबाला मुरझा रहा
- सादिया हाशमी (जामिया मिलिया इस्लामिया )