मोदी सरकार कम टेस्ट क्यों कर रही हैं उसकी एक बड़ी वजह टेस्ट की लागत है जहां कोरोना वायरस के टेस्ट मरीजों के लिए फ्री है वहीं सरकार को हर एक टेस्ट की 5000 रुपए की लागत आती है. भारत अपने कुल बजट का सिर्फ 3.7 फीसदी ही स्वास्थ्य क्षेत्र पर करता है. मोदी जी को कोरोना का खतरा समझते हुए इस फण्ड को कम से कम दोगुना कर देना चाहिए प्राइवेट लैब को तुरंत प्रभाव से कोरोना टेस्ट की अनुमति देनी चाहिए और उस टेस्ट की पूरी लागत सरकार को वहन करना चाहिए टेस्ट में जो लोग पॉजिटिव निकले उन्हें तुरंत आइसोलेशन में रखने की व्यवस्था करना चाहिए.
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च सेंटर (ICMR) के एंडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी सेंटर के पूर्व प्रमुख डॉ. जैकब जॉन ने कहा कि भारत का मौसम और जनसंख्या इस वायरस को फैलाने के लिए काफी है. क्योंकि लोग इलाज से और क्वारंटीन से बचने के लिए भाग रहे हैं, उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अभी तक कोरोना मरीजों की संख्या धीमी गति से बढ़ रही है. लेकिन 15 अप्रैल तक कोरोना मरीजों की संख्या में 10 से 15 गुना ज्यादा हो जाएगी. क्योंकि देश में कोरोना वायरस को लेकर उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं.
मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को 2 महीने पहले से Kovid-19 से कैसे बचाव किया जाए इस बारे में द्वारा देश के प्राइवेट डॉक्टरों की कार्यशाला का आयोजन करना चाहिए था.
देश के प्राइवेट अस्पतालों में kovid-19 का फ्री इलाज की सुविधा दी जाए यह मोदी सरकार को पहले से सुनिश्चित करना चाहिए था जो अब तक उन्होंने नही किया है.
सरकारी हस्पतालों में मात्र कुछ सौ बेड वाले वार्ड बना कर इस संक्रामक बीमारी से नही बचा जा सकता है. यह बात सरकार को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए.
इन सब परिस्थितियों को देखते हुए मोदी जी की एक बात से हम सबको तुरन्त सहमत हो जाना चाहिए कि हमें अपने घर से बाहर नही निकलना चाहिए ....अच्छा यही होगा कि जनता कर्फ्यू को अगले 2 हफ़्तों तक कंटीन्यू रखा जाए.......
सवारी सामान की खुद जिम्मेदार है ऐसे ही हमारी जान की जिम्मेदारी हमारी स्वंय की है Prevention is better than cure. मोदी सरकार के भरोसे मत बैठे रहिए क्योंकि मोदी जी खुद हमारे भरोसे बैठे हुए हैं........
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च सेंटर (ICMR) के एंडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी सेंटर के पूर्व प्रमुख डॉ. जैकब जॉन ने कहा कि भारत का मौसम और जनसंख्या इस वायरस को फैलाने के लिए काफी है. क्योंकि लोग इलाज से और क्वारंटीन से बचने के लिए भाग रहे हैं, उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अभी तक कोरोना मरीजों की संख्या धीमी गति से बढ़ रही है. लेकिन 15 अप्रैल तक कोरोना मरीजों की संख्या में 10 से 15 गुना ज्यादा हो जाएगी. क्योंकि देश में कोरोना वायरस को लेकर उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं.
मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को 2 महीने पहले से Kovid-19 से कैसे बचाव किया जाए इस बारे में द्वारा देश के प्राइवेट डॉक्टरों की कार्यशाला का आयोजन करना चाहिए था.
देश के प्राइवेट अस्पतालों में kovid-19 का फ्री इलाज की सुविधा दी जाए यह मोदी सरकार को पहले से सुनिश्चित करना चाहिए था जो अब तक उन्होंने नही किया है.
सरकारी हस्पतालों में मात्र कुछ सौ बेड वाले वार्ड बना कर इस संक्रामक बीमारी से नही बचा जा सकता है. यह बात सरकार को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए.
इन सब परिस्थितियों को देखते हुए मोदी जी की एक बात से हम सबको तुरन्त सहमत हो जाना चाहिए कि हमें अपने घर से बाहर नही निकलना चाहिए ....अच्छा यही होगा कि जनता कर्फ्यू को अगले 2 हफ़्तों तक कंटीन्यू रखा जाए.......
सवारी सामान की खुद जिम्मेदार है ऐसे ही हमारी जान की जिम्मेदारी हमारी स्वंय की है Prevention is better than cure. मोदी सरकार के भरोसे मत बैठे रहिए क्योंकि मोदी जी खुद हमारे भरोसे बैठे हुए हैं........