सीवीसी पद के उम्मीदवार का नाम प्रधानमंत्री ने प्रस्तावित किया

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: February 20, 2020
द टेलीग्राफ में प्रकाशित संजय के झा की खबर का अनुवाद। अंग्रेजी में शीर्षक है, सीवीसी नोमिनी पॉप्स आउट ऑफ पीएम हैट। (टोपी से निकला सीवीसी पद का उम्मीदवार !!)



अगले मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के नाम का प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है। इस बात के किसी संकेत के बिना कि सर्च कमेटी ने उनकी योग्यता की पुष्टि की है। सूत्रों ने द टेलीग्राफ को यह जानकारी दी।

सीवीसी उस शीर्ष पैनल के प्रमुख होते हैं जो सरकार में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करता है। सूत्रों ने कहा कि आईएएस अधिकारी, संजय कोठारी अभी राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के सचिव हैं और उन्होंने सीवीसी के पद के लिए आवेदन नहीं किया था। ऐसा नहीं है कि जो आवेदन नहीं करे उसकी नियुक्ति पर विचार नहीं किया जा सकता है या उसकी नियुक्ति नहीं हो सकती है पर नैतिकता का तकाजा है कि सर्च कमेटी उम्मीदवार की योग्यता की जांच और पुष्टि कर ले।

सर्च कमेटी भी प्रधानमंत्री ने ही बनाई थी और यह कमेटी भी विवाद में है। वित्त सचिव राजीव कुमार एक सदस्य थे और सीवीसी पद के दावेदार (आवेदक) भी। बुधवार को पता चला कि एक उम्मीदवार राजीव कुमार ने खुद को उस मीटिंग से अलग कर लिया था जिसमें उनके नाम समेत तीन नामों का चुनाव किया था। मंगलवार को जब सेलेक्शन पैनल की बैठक हुई तो इसपर इससे विवाद खत्म नहीं हुआ था। पैनल में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता हैं।

सर्च कमेटी ने 126 उम्मीदवारों (38 सीवीसी के लिए और 88 सीवीसी तथा विजिलेंस कमिश्नर यानी सतर्कता आयुक्त के पद के लिए) की योग्यता पर विचार किया था और उपयुक्त उम्मीदवार तलाशने से आगे का भी काम किया था। मंत्रिमंडल सचिल राजीव गॉबा के नेतृत्व में सर्च कमेटी की मीटिंग में 18 नवंबर 2019 को सभी आवेदकों के प्रोफाइल पर विचार किया गया था। बैठक के मिनिट्स से नहीं लगता है कि कोठारी के नाम की चर्चा हुई या इसकी पुष्टि हुई।

इस कमेटी ने तीन नाम चुने गए : वित्त आयोग के सदस्य अजय नारायण झा, वित्त सचिव राजीव कुमार और कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग के पूर्व सचिव तथा बैंक बोर्ड ब्यूरो के चेयरमैन भानु प्रताप वर्मा। मंगलवार की रात विपक्ष के प्रतिनिधि और कांग्रेस नेता अधीर चौधरी ने इस 'गड़बड़ प्रक्रिया' पर एतराज किया क्योंकि राजीव कुमार सर्च कमेटी के सदस्य और उम्मीदवार दोनों थे। सूत्रों ने कहा कि इसपर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संजय कोठारी के नाम का प्रस्ताव किया। इस तरह, कोठारी के नाम की सिफारिश नियुक्ति के लिए कर दी गई जबकि विपक्षी सदस्य ने मांग की कि पूरी प्रक्रिया फिर से शुरू की जाए।

कोठारी हरियाणा के 1978 बैच के आईएएस हैं और जुलाई 2017 में राष्ट्रपति ने उन्हें अपना सचिव बनाने के लिए चुना था। बाद में उन्हें तीन साल का विस्तार दिया गया और वे जलाई 2022 में राष्ट्रपति के साथ रिटायर होंगे। कोठारी के नाम की घोषणा अभी तक आधिकारिक तौर पर नहीं की गई है। द टेलीग्राफ ने कोठारी की टिप्पणी के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनके घर पर फोन उठाने वाले ने कहा कि वे उपलब्ध नहीं थे। प्रधानमंत्री के कार्यालय से भी कोई टिप्पणी नहीं ली जा सकी क्योंकि उनकी ओर से बोलने के लिए कोई अधिकारी निर्धारित या नियु्क्त नहीं है।

सूत्रों ने इस अखबार से बात की उसके कुछ ही घंटे बाद कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने मीडिया कांफ्रेंस में कहा कि अगर प्रधानमंत्री को ही नाम प्रस्तावित करना था तुगलकी फरमान की तरह उसे ही लागू किया जाना था तो सर्च कमेटी का नाटक किसलिए? इस तरह तो आप सरकार में एक चपरासी की भी नियुक्ति नहीं कर सकते हैं। हर चीज की निर्धारित प्रक्रिया है। शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के लिए हरियाणा में एक मुख्यमंत्री जेल काट रहा है और यहां प्रधानमंत्री मुखय सतर्कता आयुक्त नियुक्ति अवैध प्रक्रिया से कर रहे हैं। ....

मैंने "सीवीसी पद के उम्मीदवार का नाम प्रधानमंत्री ने प्रस्तावित किया" - गूगल करके यह जानना चाहा कि हिन्दी में यह खबर किन अखबारों में है। चुनाव हो गया है और नियुक्ति लगभग तय है तो खबर होनी ही थी। आप जानते हैं कि यह खबर कल की है आज तो वह छपा है जो कल नहीं छपा था। खेल शीर्षक में है और उसे जानना दिलचस्प होगा। पहले ये वाला सर्च आप भी देखिए

1. जिस उम्मीदवार का नाम तक नहीं था सर्च कमेटी के पास, उसे ही मोदी सरकार ने बना दिया सीवीसी, समिति की अपत्तियां खारिज - नवजीवन इंडिया
2. संजय कोठारी केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और बिमल जुल्का मुख्य सूचना आयुक्त होंगे, अधीर रंजन चौधरी को सीवीसी के चयन में आपत्ति थी - दैनिक भास्कर एक्सक्लूसिव (लाल रंग में)।
3. संजय कोठारी होंगे देश के नए सीवीसी, बिमल जुल्का बने मुख्य सूचना आयुक्त - दैनिक जागरण
4. कांग्रेस को संजय कोठारी की सीवीसी के तौर पर नियुक्ति से ऐतराज, नए सिरे से प्रक्रिया शुरू करने की रखी मांग, उपशीर्षक है कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार सीवीसी के पद पर अपना ‘रबर स्टैम्प’ चाहती है - एनडीटीवी

इसके बाद मैंने गूगल किया, "संजय कोठारी होंगे सीवीसी" - जो नए परिणाम मिले उनमें प्रमुख हैं -

5. राष्ट्रपति के सचिव संजय कोठारी होंगे नए सीवीसी और बिमल जुल्का बनेंगे सीआईसी - पंजाब केसरी, नवभारत टाइम्स, आउटलुक, प्रभासाक्षी,
अंत में मैंने आज के अखबारों का पहला पन्ना देखा। ज्यादातर में खबर नहीं है या छोटी सी है जो दिखी वह इतनी सी है :
6. बिमल जुल्का सीआईसी संजय कोठारी सीवीसी बने - हिन्दुस्तान (क्रम बदलने का कारण नहीं समझ आया)
7. कोठारी अगले सीवीसी जुल्का नए सीआईसी - नवोदय टाइम्स

कहने की जरूरत नहीं है कि इस महत्वपूर्ण नियुक्त में प्रधानमंत्री की मनमानी से संबंधित शिकायत या सूचना को हिन्दी अखबारों ने पहले पन्ने पर तब भी नहीं छापा जब कांग्रेस नेता ने प्रेस कांफ्रेंस कर आरोप लगाया। टेलीग्राफ में उसका भी विवरण है पर मैंने अनुवाद से बचने के लिए उस छोड़ दिया था। देखिए, वह भी महत्वपूर्ण है पर हमारे अखबार जो हैं सो हैं। navjivanindia.com की खबर के अनुसार, इस बैठक में आंध्रा बैंक के पूर्व सीइओ सुरेश एन पटेल को सतर्कता आयुक्त और पंजाब लोक सेवा आयोग की पूर्व सदस्य अमिता पांडोव को केंद्रीय सूचना आयुक्त पद पर नियुक्त करने पर भी मुहर लगा दी गई। सुरेश पटेल की नियुक्ति का भी विरोध करते हुए अधीर चौधरी ने छंटनी प्रक्रिया को पूरी तरह दोषपूर्ण करार दिया और कहा कि जब पीएम राजीव कुमार का नाम पैनल में होने को प्रक्रियागत खामी मानते हैं तो पटेल की नियुक्ति कैसे हो सकती है? चौधरी के अनुसार बैठक में मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने उनकी इस आपत्ति को भी सिरे से खारिज कर दिया और पटेल की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी। वहीं, केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के खाली तीन पदों पर फिलहाल नियुक्ति टाल दी गई है। चौधरी ने कहा कि उनकी आपत्तियों को खारिज करते हुए कमेटी ने दो नियुक्तियां कर दीं, जबकि तीन सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों को फिलहाल टाल दिया।

कांग्रेस ने भी संजय कोठारी को मुख्य सतर्कता आयुक्त और बिमल जुल्का को केंद्रीय सूचना आयुक्त नियुक्त किए जाने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि दोनों पदों पर ‘खुल जा सिम सिम’ की तर्ज पर नियुक्ति हुई है। उन्होंने कहा, “जेब से नाम निकालो, नियुक्ति कर दो। मोदी जी के न्यू इंडिया’में पारदर्शिता, जवाबदेही, संवैधानिक प्रक्रिया और कानून के पालन की कोई जगह नहीं है। शीर्ष न्यायिक संस्थाओं में मनमानी लोकतंत्र के लिए घातक है।” द टेलीग्राफ की खबर के अंश इस प्रकार हैं - मनीष तिवारी ने आगे कहा, हम मांग करते हैं कि पूरी प्रक्रिया रद्द कर नई सर्च कमेटी बनाई जाए जो नए सिरे से आवेदन आमंत्रित करे। यह बहुत गंभीर मामला है और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है .... कानूनी विकल्प खुले हैं। सरकार चाहती है कि सीवीसी उसकी पसंद का हो इसमें छिपाने वाली बात क्या है? स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नहीं चाहते हैं कि कोई सीवीसी हो, वे रबर स्टांप चाहते हैं। यह संस्थानों को नष्ट करने का एक और उदाहरण है। सीवीसी एक महत्वपूर्ण संस्था है जो सीबीआई की कार्रवाई, व्हिसल ब्लोअर्स कानून पर नजर रखती है और लोकपाल के कामकाज पर टिप्पणी कर सकती है।"

बाकी सब चंगा सी।

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