"अगर माहवारी के दौरान औरत खाना बनाती है तो अगले जन्म में वो कुतिया के रूप में जन्म लेगी"। ये कहना है स्वामीनारायण भुज मंदिर के कृष्णस्वरुप दास का! इसी मंदिर द्वारा संचालित संस्थान में पिछले दिनों 68 लड़कियों के अंडरवियर उतरवा कर चेक किया गया था कि माहवारी पीरियड में हैं कि नहीं!
ऐसे में जबकि मंदिर द्वारा चलाए जा रहे हॉस्टल में लड़कियों की माहवारी चैक करने के लिए अंडरवियर उतारे जाने वाले इस घृणित काम के खिलाफ पूरे देश में रोष है, मंदिर के महंत का ऐसा स्त्रीविरोधी प्रवचन सामने आना स्तब्ध कर देने वाला है।
महंत ने अपने गुजराती में दिये प्रवचन में कहा कि ‘एक वार मासिक धर्म मान रहेली स्त्री ना हाथे रोटला खाई जाओ तो बीजो अवतार बलाद ‘बैल’ नो जे छे। हवे तमे जे लागवु होय ते लगे, आ शास्त्र न वाट छे। आने एक वार जो स्त्री पोटना पति ने मासिक धर्म मान रोटालो खाडवे तो बीजो अवतार कुतरी नो जे छे।’
यह घटना मोदी के गृहराज्य गुजरात का है, जहां का मॉडल विकसित करने की बात पूरे देश में की जाती है। यही से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की पहलकदमी ली गयी थी, मगर बेटियां कैसे बच और पढ़ रही हैं यह जगजाहिर हो रहा है।
अहमदाबाद मिरर के अनुसार महंत का यह प्रवचन एक वीडियो में है, जो उन्होंने एक साल पहले दिया था। यह बयान चाहे महंत महोदय ने 10 साल पहले भी दिया हो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इससे उनकी महिलाओं के प्रति सोच परिलक्षित होती है और यह भी समझ में आता है कि ऐसी घटिया सोच रखने वाले लोगों के निर्देश पर ही 60 से भी ज्यादा छात्राओं के अंडरवियर उतरवाये गये यह चैक करने के लिए कि वे रजस्वला हैं कि नहीं।
महंत आगे कहते हैं, ‘मेरे द्वारा ऐसा बोलने पर लगेगा कि मैं बहुत सख्त हूं, महिलाएं कहेंगी मैंने उनको कुत्ता बना दिया। हां, अगर ऐसा उन्होंने किया है तो उन्हें कुत्ता ही बनना है।
बकौल कृष्णस्वरूप दासजी, ‘मुझे नहीं याद कि मैंने पहले आप लोगों को भी यह बताया कि नहीं बताया। मैं बीते 10 वर्षों में यह सुझाव पहली बार दे रहा हूं। मुझसे बहुत से संत कहते हैं कि अपने धर्म की छुपे तथ्यों पर बात नहीं करना चाहिए, पर मुझे लगता है कि अगर बात नहीं होगी फिर लोग कभी इस बारे में समझ ही नहीं पाएंगे।
ऐसे में जबकि मंदिर द्वारा चलाए जा रहे हॉस्टल में लड़कियों की माहवारी चैक करने के लिए अंडरवियर उतारे जाने वाले इस घृणित काम के खिलाफ पूरे देश में रोष है, मंदिर के महंत का ऐसा स्त्रीविरोधी प्रवचन सामने आना स्तब्ध कर देने वाला है।
महंत ने अपने गुजराती में दिये प्रवचन में कहा कि ‘एक वार मासिक धर्म मान रहेली स्त्री ना हाथे रोटला खाई जाओ तो बीजो अवतार बलाद ‘बैल’ नो जे छे। हवे तमे जे लागवु होय ते लगे, आ शास्त्र न वाट छे। आने एक वार जो स्त्री पोटना पति ने मासिक धर्म मान रोटालो खाडवे तो बीजो अवतार कुतरी नो जे छे।’
यह घटना मोदी के गृहराज्य गुजरात का है, जहां का मॉडल विकसित करने की बात पूरे देश में की जाती है। यही से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की पहलकदमी ली गयी थी, मगर बेटियां कैसे बच और पढ़ रही हैं यह जगजाहिर हो रहा है।
अहमदाबाद मिरर के अनुसार महंत का यह प्रवचन एक वीडियो में है, जो उन्होंने एक साल पहले दिया था। यह बयान चाहे महंत महोदय ने 10 साल पहले भी दिया हो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इससे उनकी महिलाओं के प्रति सोच परिलक्षित होती है और यह भी समझ में आता है कि ऐसी घटिया सोच रखने वाले लोगों के निर्देश पर ही 60 से भी ज्यादा छात्राओं के अंडरवियर उतरवाये गये यह चैक करने के लिए कि वे रजस्वला हैं कि नहीं।
महंत आगे कहते हैं, ‘मेरे द्वारा ऐसा बोलने पर लगेगा कि मैं बहुत सख्त हूं, महिलाएं कहेंगी मैंने उनको कुत्ता बना दिया। हां, अगर ऐसा उन्होंने किया है तो उन्हें कुत्ता ही बनना है।
बकौल कृष्णस्वरूप दासजी, ‘मुझे नहीं याद कि मैंने पहले आप लोगों को भी यह बताया कि नहीं बताया। मैं बीते 10 वर्षों में यह सुझाव पहली बार दे रहा हूं। मुझसे बहुत से संत कहते हैं कि अपने धर्म की छुपे तथ्यों पर बात नहीं करना चाहिए, पर मुझे लगता है कि अगर बात नहीं होगी फिर लोग कभी इस बारे में समझ ही नहीं पाएंगे।