दुखद: अब शाहीन बाग के आंदोलन में कभी नजर नहीं आएगा 4 माह का मोहम्मद जहां

Written by Sabrangindia Staff | Published on: February 4, 2020
नई दिल्ली। चार महीने के मोहम्मद जहां को उसकी मां रोज शाहीन बाग के प्रदर्शन में ले जाती थी। वहां प्रदर्शनकारी उसे अपनी गोद में लेकर खिलाते थे और अक्सर उसके गालों पर तिरंगे का चित्र बना दिया करते थे। लेकिन मोहम्मद अब कभी शाहीन बाग में नज़र नहीं आएगा। पिछले हफ्ते ठंड लगने के कारण उसकी मौत हो गई।


मोहम्मद आरिफ और नाजिया अपने बेटे के साथ(फाइल फोटो) - फोटो : पीटीआई


शाहीन बाग में खुले में प्रदर्शन के दौरान चार महीने के इस बच्‍चे को ठंड लग गई थी जिससे उसे भयंकर जुकाम और सीने में जकड़न हो गई थी। लेकिन उसकी मां अब भी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के फैसले पर अटल है। उनका कहना है, 'यह मेरे बच्चों के भविष्य के लिए है।'

मोहम्मद जहां के माता-पिता नाजिया और आरिफ बाटला हाउस इलाके में प्लास्टिक और पुराने कपड़े से बनी छोटी सी झुग्गी में रहते हैं। उनके दो और बच्चे हैं- पांच साल की बेटी और एक साल का बेटा।' उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले दंपत्ति मुश्किल से अपना रोज़मर्रा का खर्च पूरा कर पाते हैं। आरिफ कढ़ाई का काम करते हैं और ई- रिक्शा भी चलाते हैं। उनकी पत्‍नी नाजिया कढ़ाई के काम में उनकी मदद करती हैं।

आरिफ ने कहा, 'कढ़ाई के काम के अलावा, ई-रिक्शा चलाने के बावजूद मैं पिछले महीने पर्याप्त नहीं कमा सका। अब मेरे बच्चे का इंतकाल हो गया। हमने सब कुछ खो दिया।' उन्होंने मोहम्मद की एक तस्वीर दिखाई, जिसमें उसे एक ऊनी कैप पहनाई गई है जिसपर लिखा है, 'आई लव माई इंडिया।'

दुख से बेहाल नाज़िया ने बताया कि उनके नन्‍हे बेटे की मौत 30 जनवरी की रात को प्रदर्शन से लौटने के बाद नींद में ही हो गई। उन्होंने बताया, 'मैं शाहीन बाग से देर रात 1 बजे आई थी। उसे और अन्य बच्चों को सुलाने के बाद मैं भी सो गई। सुबह मैंने देखा कि वह कोई हरकत नहीं कर रहा था। उसका इंतकाल सोते हुए हो गया।'

दंपत्ति 31 जनवरी की सुबह उसे नज़दीकी अल शिफा अस्पताल ले गए। अस्पताल ने उसे मृत घोषित कर दिया। नाज़िया 18 दिसंबर से रोज़ शाहीन बाग के प्रदर्शन में जाती थीं। उन्होंने कहा कि बच्‍चे को सर्दी लगी थी जो जानलेवा बन गई और उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत का कोई खास कारण नहीं लिखा है। नाज़िया ने कहा कि उसका मानना है कि सीएए और एनआरसी सभी समुदायों के खिलाफ है और वह शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल होंगी, लेकिन इस बार अपने बच्चों के बिना।

सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने इस मामले से संबंधित एक बहुत ही मार्मिक व दिलचस्प किस्सा अपनी फेसबुक वॉल पर शेयर किया है। पढ़िए......

एक थे बिशंभर नाथ पांडे, वे इतिहासकार थे। मेरे ताऊजी पंडित ब्रह्म प्रकाश शर्मा के मित्र थे। राज्यसभा के सदस्य रहे। मैंने उनके कई भाषण सुने। एक बार उन्होंने एक किस्सा सुनाया था।

मुंबई में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान एक जुलूस निकल रहा था। उस जुलूस में सबसे आगे आगे एक गोरी लंबी पंजाबी महिला चल रही थी। उस महिला की गोद में एक छह महीने का बच्चा था।

कुछ दूर आगे पुलिस लाठी चार्ज करने के लिए तैयारी करके मोर्चा जमाए हुए थी। बीबीसी का पत्रकार दौड़ता हुआ उस महिला के पास आया और उसने कहा आप हट जाइए लाठी चार्ज होगा आपके बच्चे की जान को खतरा हो सकता है।

उस महिला ने जवाब दिया, 'अगर इस बच्चे को आजादी का उपभोग करना है तो इसे कुर्बानी देना भी सीखना पड़ेगा, कोई भी आजादी कुर्बानी दिए बिना नहीं मिलती।'

अभी शाहीन बाग में एक 4 महीने के बच्चे की मौत हो गई। और मौत के 4 दिन बाद वह मां फिर जाकर धरने पर बैठ गई। सोशल मीडिया पर बहुत सारे लोग उस माँ को कोस रहे हैं और कह रहे हैं कि वही इस बच्चे की मौत के लिए जिम्मेदार है।

मुझे इन लोगों के ताने सुनकर यह घटना याद आ गई। आज ये लोग जिस चीज के लिए लड़ रहे हैं उसमें बच्चे की जान जाने पर भी अगर मां नहीं टूटी है तो इस आंदोलन को कोई नहीं तोड़ सकता।

 

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