आप हमें बताइये!....कि 'सस्ती शिक्षा सबका अधिकार' , यह नारा लगा रहे जेएनयू के छात्र ऐसा कौन सा गुनाह कर रहे हैं जो सरकार उन पर लगातार लाठी डंडे की बरसात कर रही है......स्ट्रीट लाइट बन्द करके पीट रही है।
कोई तो हमे बताए कि इस बात को पूछने में क्या गलत हो जाएगा कि 'फरवरी 2019 की कैग रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि 729 करोड़ रुपये रिसर्च और डेवलेपमेंट मद में नहीं खर्च हो पाए.तो फिर आखिर पब्लिक फंडेड यूनिवर्सिटी की फीसें क्यों बढ़ रही हैं ?'
जवाब दीजिए!......नही है न जवाब!
पाश की कविता है
'मेरे दोस्तो,
हमारे समय का इतिहास
बस यही न रह जाये
कि हम धीरे-धीरे मरने को ही
जीना समझ बैठें
कि हमारा समय घड़ी के साथ नहीं
हड्डियों के गलने-खपने से नापा जाए'
साफ दिख रहा है कि सरकार द्वारा सेकेंड्री और हायर सेस का भी पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया फिर भी मनमाने तरीके से फीस बढाई जा रही हैं ताकि प्राइवेट यूनिवर्सिटी के लिए रास्ता साफ हो सके
क्या आप जानते हैं कि जेएनयू की प्रस्तावित फीस वृद्धि यदि अमल में लाई जाती है तो यह देश के 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयो में सबसे ज्यादा होगी !......
अमर उजाला अखबार की एक रपट बताती है कि 'जेएनयू की फीस का विरोध छात्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसमें कई तरह के सर्विस चार्ज जोड़े जा रहे हैं जो पहले नही जोड़े जाते थे जैसे कि- रखरखाव, मेस चार्ज, कुक और सैनिटेशन जैसे खर्च भी अब वसूले जाने की बात की जा रही है जो अब तक हॉस्टल फीस में नहीं जुड़े होते थे। नई हॉस्टल फीस के अनुसार जेएनयू के छात्रों को 1700 प्रतिमाह सर्विस चार्ज के देने होंगे।
यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि जेएनयू की पुरानी हॉस्टल फीस देश के तमाम केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सबसे कम थी, लेकिन ये पूरी तरह से गलत है। आपको बता दें कि विश्व-भारती विश्वविद्यालय, एचसीयू, एएमयू, एनईएचयू और पांडिचेरी विश्वविद्यालय के हॉस्टल की फीस जेएनयू जितनी नहीं बल्कि उससे भी कम है, डीयू को छोड़कर सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के हॉस्टल की फीस कमोबेश समान ही है।'
ओर ये भी तो सोचिए कि कौन पढ़ता है इन जेएनयू जैसी जगहों पर? देश के दूरदराज के गांवों कस्बों से आए बेहद गरीब प्रतिभाशाली बच्चे जो आपके हमारे बीच से ही निकल कर आते हैं.............क्या इस बढ़े हुए फीस स्ट्रक्चर में एक दिहाड़ी मजदूर का बेटा जेएनयू में पढ़ने का ख्वाब पूरा कर पाएगा?
क्या आप पढ़ पाते यदि आपके मा बाप को इतनी महँगी फीस देनी होती?
आप यह क्यो नही समझ रहे हैं कि जेएनयू के छात्रों का यह आंदोलन महज फीस बढ़ोतरी के विरोध का आन्दोलन नही है यह लगातार महंगी होती शिक्षा के खिलाफ एक प्रतिरोध जिसकी जद में हमारे अपने भी एक न एक दिन आने वाले हैं।
क्या आप अपने बच्चों को महँगी शिक्षा देने वाली जियो यूनिवर्सिटी में पढ़ते देखना चाहते हैं ? क्या आप उनकी बेहद महंगी फीस भरने को तैयार है ?.....
जेएनयू का आंदोलन एक प्रतीकात्मक आंदोलन है इस महंगी होती शिक्षा के खिलाफ, आज यदि आप सरकार की दमनकारी नीतियो के खिलाफ उठ कर खड़े नही हुए तो कल को कुछ नही बचेगा।
याद रखिए जब सड़कें वीरान हो जाती हैं तो संसद आवारा हो जाती है.............
कोई तो हमे बताए कि इस बात को पूछने में क्या गलत हो जाएगा कि 'फरवरी 2019 की कैग रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि 729 करोड़ रुपये रिसर्च और डेवलेपमेंट मद में नहीं खर्च हो पाए.तो फिर आखिर पब्लिक फंडेड यूनिवर्सिटी की फीसें क्यों बढ़ रही हैं ?'
जवाब दीजिए!......नही है न जवाब!
पाश की कविता है
'मेरे दोस्तो,
हमारे समय का इतिहास
बस यही न रह जाये
कि हम धीरे-धीरे मरने को ही
जीना समझ बैठें
कि हमारा समय घड़ी के साथ नहीं
हड्डियों के गलने-खपने से नापा जाए'
साफ दिख रहा है कि सरकार द्वारा सेकेंड्री और हायर सेस का भी पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया फिर भी मनमाने तरीके से फीस बढाई जा रही हैं ताकि प्राइवेट यूनिवर्सिटी के लिए रास्ता साफ हो सके
क्या आप जानते हैं कि जेएनयू की प्रस्तावित फीस वृद्धि यदि अमल में लाई जाती है तो यह देश के 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयो में सबसे ज्यादा होगी !......
अमर उजाला अखबार की एक रपट बताती है कि 'जेएनयू की फीस का विरोध छात्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इसमें कई तरह के सर्विस चार्ज जोड़े जा रहे हैं जो पहले नही जोड़े जाते थे जैसे कि- रखरखाव, मेस चार्ज, कुक और सैनिटेशन जैसे खर्च भी अब वसूले जाने की बात की जा रही है जो अब तक हॉस्टल फीस में नहीं जुड़े होते थे। नई हॉस्टल फीस के अनुसार जेएनयू के छात्रों को 1700 प्रतिमाह सर्विस चार्ज के देने होंगे।
यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि जेएनयू की पुरानी हॉस्टल फीस देश के तमाम केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सबसे कम थी, लेकिन ये पूरी तरह से गलत है। आपको बता दें कि विश्व-भारती विश्वविद्यालय, एचसीयू, एएमयू, एनईएचयू और पांडिचेरी विश्वविद्यालय के हॉस्टल की फीस जेएनयू जितनी नहीं बल्कि उससे भी कम है, डीयू को छोड़कर सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के हॉस्टल की फीस कमोबेश समान ही है।'
ओर ये भी तो सोचिए कि कौन पढ़ता है इन जेएनयू जैसी जगहों पर? देश के दूरदराज के गांवों कस्बों से आए बेहद गरीब प्रतिभाशाली बच्चे जो आपके हमारे बीच से ही निकल कर आते हैं.............क्या इस बढ़े हुए फीस स्ट्रक्चर में एक दिहाड़ी मजदूर का बेटा जेएनयू में पढ़ने का ख्वाब पूरा कर पाएगा?
क्या आप पढ़ पाते यदि आपके मा बाप को इतनी महँगी फीस देनी होती?
आप यह क्यो नही समझ रहे हैं कि जेएनयू के छात्रों का यह आंदोलन महज फीस बढ़ोतरी के विरोध का आन्दोलन नही है यह लगातार महंगी होती शिक्षा के खिलाफ एक प्रतिरोध जिसकी जद में हमारे अपने भी एक न एक दिन आने वाले हैं।
क्या आप अपने बच्चों को महँगी शिक्षा देने वाली जियो यूनिवर्सिटी में पढ़ते देखना चाहते हैं ? क्या आप उनकी बेहद महंगी फीस भरने को तैयार है ?.....
जेएनयू का आंदोलन एक प्रतीकात्मक आंदोलन है इस महंगी होती शिक्षा के खिलाफ, आज यदि आप सरकार की दमनकारी नीतियो के खिलाफ उठ कर खड़े नही हुए तो कल को कुछ नही बचेगा।
याद रखिए जब सड़कें वीरान हो जाती हैं तो संसद आवारा हो जाती है.............