आर्थिक मंदी में ज्यादा टैक्स वसूली का बोझ, चिंता में अधिकारी, यही है ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का सच

Written by sabrang india | Published on: November 16, 2019
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की तरफ से टैक्स कलेक्श्न के टारगेट ने टैक्स अधिकारियों के सामने परेशानी खड़ी कर दी है। सुस्त अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मोदी सरकार चाहती है कि टैक्स अधिकारी डायरेक्ट टैक्स में 17 फीसदी अधिक कलेक्ट करें। सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स में भारी कटौती करने के बाद भी इस टारगेट को कम नहीं किया है, ऐसे में अधिकारियों के सामने संकट है कि वे किस तरह से इस टारगेट को पूरा करेंगे। खासतौर पर तब जब सरकार ने अधिकारियों को इस बात की भी चेतावनी दी है कि वे रेवेन्यू कलेक्ट करने के लिए व्यापारियों से सख्ती से पेश न आएं।



दबाव में अधिकारी
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, कई टैक्स अधिकारियों का कहना है कि वे अवास्तविक कलेक्शन टार्गेट पूरा करने और टैक्स चोरी करने वालों से टैक्स वसूलने पर अतिउत्साही कहलाए जाने के डर के बीच अटक गए हैं। इनकम टैक्स गैजेटेड ऑफिसर्ज असोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, इस साल आयकर विभाग के 24 शीर्ष स्तर के अधिकारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया है। पिछले साल 34 अधिकारियों ने वीआरएस लिया था। उनका कहना है कि 25-30 साल से काम कर रहे अनुभवी अधिकारी भी सरकार के दबाव को झेल नहीं पा रहे हैं। वीआरएस के लिए एक के बाद एक आवेदन आ रहे हैं, जबकि इस समय कोई वॉलुंटरी रिटायरमेंट या फायदा पहुंचाने वाली स्कीम नहीं चल रही है।

विभाग में असंतुष्टि
उत्तर भारत के एक अधिकारी ने बताया कि, प्रेशर लगातार बढ़ता जा रहा है। अपने टार्गेट पूरे करने के लिए हम दबाव में हैं, जिसकी वजह से हमें ऐसे काम भी करने पड़ रहे हैं जो हम नहीं करना चाहते। हालांकि आयकर विभाग के हजारों अधिकारियों में से कुछ ही ने नौकरी छोड़ी है, लेकिन कई अधिकारियों का कहना है कि इससे विभाग में फैली असंतुष्टि की झलक मिलती है, जिसके चलते कई तबादले भी हुए हैं और कई छोटे स्तर के कर्मचारियों ने रिजाइन भी किया है।

टार्गेट से टैक्स कलेक्शन काफी पीछे 
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए कुल टैक्स कलेक्शन का टारगेट 13.35 लाख करोड़ रुपए तय किया था, जिसमें से अब तक सरकार 50 फीसदी से भी कम सिर्फ 6 लाख करोड़ रुपए जमा कर पाई है। इस वित्त वर्ष के शुरुआती छह महीनों में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में सिर्फ 3 फीसदी की वृद्धि हुईै है। मूडीज की भारतीय यूनिट आईसीआरए के की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नैयर के मुताबिक, सरकार के टारगेट को पूरा करने के लिए अक्टूबर से मार्च के बीच टैक्स कलेक्शन में 42 फीसदी की वृद्धि होनी जरूरी है।

(द टेलीग्राफ में प्रकाशित रायटर की खबर का संजय कुमार सिंह द्वारा अनुवाद किया गया है जो इस प्रकार है.....)

सरकार चाहती है कि प्रत्यक्ष कर वसूली 17 प्रतिशत बढ़ जाए। साथ ही अधिकारियों को चेतावनी दी गई है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए कारोबारों को परेशान नहीं किया जाए। लक्ष्य हासिल करने के दबाव में लोग स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने को मजबूर हैं।

चुनाव तो (पाकिस्तान में) घुस कर (आतंकवादियों को) मारने की धमकी से जीता जा सकता है पर टैक्स वसूली बढ़ाने के लिए टैक्स अधिकारी घर में घुस कर क्या पाएंगे? बहुत तो गिरफ्तार कर लगें पर पैसा हो तो मिले। काम हो तो किसी ने चोरी की हो। पर नोटबंदी के फार्मूले जैसे सरकार के अपने फार्मूले हैं। आजमाए जा रहे हैं। टैक्स वसूली के लिए दबाव की बात एक दो नहीं - कई अधिकारियों ने कही है और जिस हिसाब से मामले सामने आ रहे हैं उससे भी सरकार की जबरदस्ती साफ है।

इसका नतीजा उद्योग धंधों को ही नहीं अधिकारियों को भी भुगतना पड़ा है और सरकार के सर्वोच्च स्तर के 22 टैक्स अधिकारियों ने स्वैच्छिक इस्तीफे की मांग की है। 2018 में यह संख्या 34 थी। इंकम टैक्स गजटेड ऑफिसर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट भासल्कर भट्टाचार्या द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, 25-30 साल से इसी विभाग में काम कर रहे मंजे हुए अधिकारी भी यह दबाव नहीं झेल पा रहे हैं। इसीलिए स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति चाहने वालों के आवेदन आते जा रहे हैं जबकि विभाग में ऐसी कोई योजना नहीं चल रही है। अखबार ने लिखा है कि इससे संबंधित डाटा और प्रतिक्रिया के लिए सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) से संपर्क करने की कोशिश की गई पर कोई जवाब नहीं मिला। टैक्स से संबंधित लक्ष्य और टैक्स अधिकारियों द्वारा लोगों को कथित रूप से परेशान किए जाने से संबंधित सवालों पर सीबीडीटी, वित्ती मंत्रालय और प्रधानमंत्री के कार्यालय ने प्रतिक्रिया नहीं दी। 

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