देवरिया जनपद के पथर्देवा ब्लॉक के उदयपुरा गांव के छोटू मुसहर हत्याकांड के सिलसिले में पुलिस अभी तक अपराधियो को गिरफ्तार नहीं कर पाई है जिसके फलस्वरुप मुसहर समुदाय मे भयंकर आक्रोश व्याप्त है. घटना 28 अक्टूबर की शाम करीब 3 बजे की है जब 30 वर्षीय छोटू मुसहर रोज की भाँति अपने गांव से करीब 1 किलोमीटर दूर गंडक नदी के टट पर रमन छपरा गांव के घाट पर मछली मारने के लिये गया था। यहां से मछली मारकर घर लौटते वक्त उदयपुरा गांव के दो युवक उसे मिले और मछली मांगने लगे। छोटू ने मछली देने से मना किया तो वे छीना झपटी पर उतर आए। जब भी बात नहीं बनी तो दोनों युवकों ने छोटू पर हमला कर दिया औरर उसे नदी मे ढकेलकर फरार हो गये.
इस मामले को सुनकर सामाजिक कार्यकर्ता विद्या भूषण रावत अन्य साथियों सहित छोटू के गांव पहुंचे जहां से पीड़ित परिवार से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट दी है। विद्या भूषण रावत ने जानकारी दी कि इस घटना को कुछ लोगों ने देखा तो एक व्यक्ति ने छोटु के चचेरे भाई को उसकी मौत की खबर दी. उसका चचेरा भाई सूरत मे रहता है, जहां से उसने अपने पिता और छोटू के चाचा को फोन कर जानकारी दी। छोटू के चाचा गोरखपुर मे ठेला चलाते हैं, उन्हें पांच बजे फोन मिला तो उन्होंने तुरंत ही बस पकड़ कर घर आने का निर्णय क़िया और क़रीब 9 बजे रात को घर पहुंचे. इस समय तक पूरे गांव मे छोटू के मौत और गायब होने की खबर जा चुकी थी. उसके पिता जोगेंद्र मुसहर तेलांगना कै सिकंद्राबाद शहर मे पेंटिंग का काम करते है और वह 28 तारीख को वहां से चल दिये. गांव के लोग पुलिस चौकी में गये लेकिन कुछ नहीं हुआ. रात को जाल बिछाकर उन्होने नदी मे छोटु को बहुत खोजने के प्रयास किये लेकिन सफल नहीं हो पाये. आस पास के गांवों के लोग भी विशेश्कर मछुआ समाज के लोग अपनी नाव लेकर आगे आये ताकि उसका पता लगाया जा सके लेकिन सफलता मिल सके. 29 तारिख की सुबह करीब 8 बजे लोगो ने छोटू के शव को बीच नदी में ऊपर आते देखा. गांव के मछुआरों ने मदद की और लोग शव को बाहर निकाल कर लाये. उसके चाचा ने छोटू के शव से पानी निकालने के प्रयास किये लेकिन वह शव पानी पीया हुआ नहीं था। उनका कहना था कि उसके पीठ पर दोनों ओर चोट थी, गर्दन पर भी चोट थी और सिर के पिछ्ले तरफ खून बहुत बहा था. घटना स्थल पर पहुंच कर हमें वहा पर कुछ ईंटों के छोटे टुकड़े भी दिखाई दिये.
छोटू के चाचा ने हमें (विद्या भूषण रावत व अन्य साथियों को) बताया कि शव मिलने के कुछ समय बाद ही पुलिस वहा पहुँची और हमसे शव छीनकर पोस्टमार्टम के लिये ले गयी. उनका कहना था कि पुलिस का रवैया बेहद ही अफसोसजनक था क्योंकि पुलिस ने उनसे कुछ सुनने का प्रयास भी नहीं किया.
घटनास्थल का दौरा
3 नवम्बर 2019 को मैंने और मेरी सहयोगी संगीता कुशवाहा, प्रेरणा केंद्र, मल्वाबर, बघौच्घाट ने उदयपुरा ने मृतक छोटू के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और इस घटना के सिलसिले में गांव के अन्य लोगों से भी बात की. इस टीम ने बताया कि इस घटना के बाद मुसहर समुदाय में भयानक आक्रोश है और गांव में दबंग जातियों के प्रभाव के कारण लोगों में भय भी व्याप्त है क्योंकि उन्हे ये लग रहा है के उनके साथ भी ऐसा घटित हो सकता है.
याद रहे कि उदयपुरा गांव के मुसहर लोग अभी भी भूमिहीन हैं और गांव की सार्वजनिक भूमि पर तथाकथित बडी़ जातियों का कब्जा है. मुसहर या तो ईंट भट्टे पर काम करते हैं या खेतो मे. जैसे जैसे वे अपने अधिकारो के प्रति सचेत हो रहे हैं वैसे वैसे इनके प्रति सवर्ण जातियों की क्रूरता भी बढ़ती जा रही है. छोटू के पिता जोगिंदर मुसहर ने 1 नवंबर को जिला अधिकारी को दिये गये आवेदन में निम्न बातें कही हैं:
‘छोटू मुसहर की उम्र लगभग 30 वर्ष की थी और वह अपने गांव के पास गंडक नदी के किनारे 28.10.2019 को मछली मारने गया था जो उसके प्रतिदिन का कार्य था. गांव के ही रिकेश सैनी और लव मिश्रा ने उस्से मछली माँगी तो छोटू के इंकार करने के बाद वो उसे मारने लगे. छोटू का कहना था के आज की मछली मात्र उसके अपने खाने के लायक है इसलिये वह उसे नही दे सकता. दोनो लोग छोटू को मारने लगे. वहा मौजूद अयोध्या और मुन्ना जो गांव के ही है, ने बीच बचाव की कोशिश की लेकिन रिकेश और लब इतने आक्रोश मे थे के वो नदी के किनारे जो कुछ मिला उससे मारने लगे. नदी किनारे बांस और ईंट के कुछ टुकडे भी थे जिनसे छोटू पर बेरहमी से वार किये गये के वो बेहोश हो गया, उसके चिल्लाने पर अगल बगल के लोग देखने लगे. बाद मे रिकेश और लव ने आस पास कै लोगो को धमकीं दी कि कोई भी यदि इस घटना के बारे मे कुछ कहेगा तो वो उससे निपट लेंगे. बाद मे सबुतो को खत्म करने के इरादे से उन्होने छोटू को पानी मैं डुबा दिया. अयोध्या और मुन्ना ने गाव आकर सभी को इस बात की जानकारी दी और सभी लोग उसके शव की खोज बीन करने लगे.
जोगिंदर को संदेह है के स्थानीय थाना इस कार्य मे सहयोग नहीं कर रहा है और सबुतो को खत्म करने और गवाहो को डराने के प्रयास भी हो सकते हैं.
छोटू की पारिवारिक स्थिति :
छोटू के परिवार मे उसकी मां-पिता के अतिरिक्त उसके तीन बच्चे है. उसकी पत्नी फिर से गर्भवती है. उसके दादा भी बुजुर्ग हैं और पिता और चाचा कमाने के लिये बाहर काम करते हैं क्योंकि गांव में जीने के लिये कुछ भी संशाधन नही है. परिवार सयुंक्त रुप से इंदिरा आवास के छोटे से घर में रह्ता है और उनकी जीविका का कोई ठोस साधन नहीं है. गांव के सभी मुसहर लगभग भूमिहीन है. छोटू अपने घर मे अकेला वारिस था. उसकी एक बहिन है जो विवाहित है और अपने ससुराल में रहती है. उसके घर पर मातम है और उसकी पत्नी की स्थिति तो और भी असहाय करने वाली है क्योंकि तीन छोटे बच्चो के बाद वह फिर से मां बनने वाली है. इसलिये आवश्यक है कि उसके परिवार को समय पर अनुदान दिया जाये.
शव-परीक्षण रिपोर्ट क्या कहती है
शव परीक्षण 29 अक्टूबर को दोपहर 2.20 से 2.30 मे देवरिया मे हुआ और इसकी रिपोर्ट ये बताती है कि मृत्य का कारण asphasia बताया गया है जिसका मतलब सिर की चोट या ब्रैन हैम्ररेज से है.
मृत्यु का तात्कालिक कारण anti-mortum drowning बताया गया है जिसका अर्थ ये है कि डूबने से पहले लगी चोटों के कारण उसकी मौत हुई है.
वैसे छोटू के परिवार के सदस्यो का पोस्ट मार्ट्म रिपोर्ट पर भी भरोशा नही है क्योंकि वे ये कहते हैं कि प्रशासन ने उन्हें ना तो पूछा और ना ही वह उन्हें शव के साथ ले गयी. पूरी प्रक्रिया में छोटू के परिवार के लोग शामिल नहीं थे इसलिए उन्हें शक है कि कहीं रिपोर्ट में गड्बड न हो.
इस मामले को सुनकर सामाजिक कार्यकर्ता विद्या भूषण रावत अन्य साथियों सहित छोटू के गांव पहुंचे जहां से पीड़ित परिवार से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट दी है। विद्या भूषण रावत ने जानकारी दी कि इस घटना को कुछ लोगों ने देखा तो एक व्यक्ति ने छोटु के चचेरे भाई को उसकी मौत की खबर दी. उसका चचेरा भाई सूरत मे रहता है, जहां से उसने अपने पिता और छोटू के चाचा को फोन कर जानकारी दी। छोटू के चाचा गोरखपुर मे ठेला चलाते हैं, उन्हें पांच बजे फोन मिला तो उन्होंने तुरंत ही बस पकड़ कर घर आने का निर्णय क़िया और क़रीब 9 बजे रात को घर पहुंचे. इस समय तक पूरे गांव मे छोटू के मौत और गायब होने की खबर जा चुकी थी. उसके पिता जोगेंद्र मुसहर तेलांगना कै सिकंद्राबाद शहर मे पेंटिंग का काम करते है और वह 28 तारीख को वहां से चल दिये. गांव के लोग पुलिस चौकी में गये लेकिन कुछ नहीं हुआ. रात को जाल बिछाकर उन्होने नदी मे छोटु को बहुत खोजने के प्रयास किये लेकिन सफल नहीं हो पाये. आस पास के गांवों के लोग भी विशेश्कर मछुआ समाज के लोग अपनी नाव लेकर आगे आये ताकि उसका पता लगाया जा सके लेकिन सफलता मिल सके. 29 तारिख की सुबह करीब 8 बजे लोगो ने छोटू के शव को बीच नदी में ऊपर आते देखा. गांव के मछुआरों ने मदद की और लोग शव को बाहर निकाल कर लाये. उसके चाचा ने छोटू के शव से पानी निकालने के प्रयास किये लेकिन वह शव पानी पीया हुआ नहीं था। उनका कहना था कि उसके पीठ पर दोनों ओर चोट थी, गर्दन पर भी चोट थी और सिर के पिछ्ले तरफ खून बहुत बहा था. घटना स्थल पर पहुंच कर हमें वहा पर कुछ ईंटों के छोटे टुकड़े भी दिखाई दिये.
छोटू के चाचा ने हमें (विद्या भूषण रावत व अन्य साथियों को) बताया कि शव मिलने के कुछ समय बाद ही पुलिस वहा पहुँची और हमसे शव छीनकर पोस्टमार्टम के लिये ले गयी. उनका कहना था कि पुलिस का रवैया बेहद ही अफसोसजनक था क्योंकि पुलिस ने उनसे कुछ सुनने का प्रयास भी नहीं किया.
घटनास्थल का दौरा
3 नवम्बर 2019 को मैंने और मेरी सहयोगी संगीता कुशवाहा, प्रेरणा केंद्र, मल्वाबर, बघौच्घाट ने उदयपुरा ने मृतक छोटू के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और इस घटना के सिलसिले में गांव के अन्य लोगों से भी बात की. इस टीम ने बताया कि इस घटना के बाद मुसहर समुदाय में भयानक आक्रोश है और गांव में दबंग जातियों के प्रभाव के कारण लोगों में भय भी व्याप्त है क्योंकि उन्हे ये लग रहा है के उनके साथ भी ऐसा घटित हो सकता है.
याद रहे कि उदयपुरा गांव के मुसहर लोग अभी भी भूमिहीन हैं और गांव की सार्वजनिक भूमि पर तथाकथित बडी़ जातियों का कब्जा है. मुसहर या तो ईंट भट्टे पर काम करते हैं या खेतो मे. जैसे जैसे वे अपने अधिकारो के प्रति सचेत हो रहे हैं वैसे वैसे इनके प्रति सवर्ण जातियों की क्रूरता भी बढ़ती जा रही है. छोटू के पिता जोगिंदर मुसहर ने 1 नवंबर को जिला अधिकारी को दिये गये आवेदन में निम्न बातें कही हैं:
‘छोटू मुसहर की उम्र लगभग 30 वर्ष की थी और वह अपने गांव के पास गंडक नदी के किनारे 28.10.2019 को मछली मारने गया था जो उसके प्रतिदिन का कार्य था. गांव के ही रिकेश सैनी और लव मिश्रा ने उस्से मछली माँगी तो छोटू के इंकार करने के बाद वो उसे मारने लगे. छोटू का कहना था के आज की मछली मात्र उसके अपने खाने के लायक है इसलिये वह उसे नही दे सकता. दोनो लोग छोटू को मारने लगे. वहा मौजूद अयोध्या और मुन्ना जो गांव के ही है, ने बीच बचाव की कोशिश की लेकिन रिकेश और लब इतने आक्रोश मे थे के वो नदी के किनारे जो कुछ मिला उससे मारने लगे. नदी किनारे बांस और ईंट के कुछ टुकडे भी थे जिनसे छोटू पर बेरहमी से वार किये गये के वो बेहोश हो गया, उसके चिल्लाने पर अगल बगल के लोग देखने लगे. बाद मे रिकेश और लव ने आस पास कै लोगो को धमकीं दी कि कोई भी यदि इस घटना के बारे मे कुछ कहेगा तो वो उससे निपट लेंगे. बाद मे सबुतो को खत्म करने के इरादे से उन्होने छोटू को पानी मैं डुबा दिया. अयोध्या और मुन्ना ने गाव आकर सभी को इस बात की जानकारी दी और सभी लोग उसके शव की खोज बीन करने लगे.
जोगिंदर को संदेह है के स्थानीय थाना इस कार्य मे सहयोग नहीं कर रहा है और सबुतो को खत्म करने और गवाहो को डराने के प्रयास भी हो सकते हैं.
छोटू की पारिवारिक स्थिति :
छोटू के परिवार मे उसकी मां-पिता के अतिरिक्त उसके तीन बच्चे है. उसकी पत्नी फिर से गर्भवती है. उसके दादा भी बुजुर्ग हैं और पिता और चाचा कमाने के लिये बाहर काम करते हैं क्योंकि गांव में जीने के लिये कुछ भी संशाधन नही है. परिवार सयुंक्त रुप से इंदिरा आवास के छोटे से घर में रह्ता है और उनकी जीविका का कोई ठोस साधन नहीं है. गांव के सभी मुसहर लगभग भूमिहीन है. छोटू अपने घर मे अकेला वारिस था. उसकी एक बहिन है जो विवाहित है और अपने ससुराल में रहती है. उसके घर पर मातम है और उसकी पत्नी की स्थिति तो और भी असहाय करने वाली है क्योंकि तीन छोटे बच्चो के बाद वह फिर से मां बनने वाली है. इसलिये आवश्यक है कि उसके परिवार को समय पर अनुदान दिया जाये.
शव-परीक्षण रिपोर्ट क्या कहती है
शव परीक्षण 29 अक्टूबर को दोपहर 2.20 से 2.30 मे देवरिया मे हुआ और इसकी रिपोर्ट ये बताती है कि मृत्य का कारण asphasia बताया गया है जिसका मतलब सिर की चोट या ब्रैन हैम्ररेज से है.
मृत्यु का तात्कालिक कारण anti-mortum drowning बताया गया है जिसका अर्थ ये है कि डूबने से पहले लगी चोटों के कारण उसकी मौत हुई है.
वैसे छोटू के परिवार के सदस्यो का पोस्ट मार्ट्म रिपोर्ट पर भी भरोशा नही है क्योंकि वे ये कहते हैं कि प्रशासन ने उन्हें ना तो पूछा और ना ही वह उन्हें शव के साथ ले गयी. पूरी प्रक्रिया में छोटू के परिवार के लोग शामिल नहीं थे इसलिए उन्हें शक है कि कहीं रिपोर्ट में गड्बड न हो.