नई दिल्ली: अकाल तख्त प्रमुख (जत्थेदार) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने सोमवार को कहा कि RSS जिस तरह से काम कर रहा है, उससे इतना तो साफ है कि यह देश को बांट देगा। अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अमृतसर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हां, इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि RSS जिस तरह से काम कर रहा है उससे वह देश में भेदभाव की एक नई लकीर खींच देगा। जब अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से बताया गया कि बीजेपी तो खुद RSS मानती है, इसपर उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो यह देश के लिए अच्छा नहीं है। यह देश को नुकसान पहुंचाएगा और उसे तबाह कर देगा।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही संघ संचालक मोहन भागवत ने कहा था कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है। इसके साथ ही उन्होंने देश में हो रही मॉब लिंचिंग की अलग-अलग घटनाओं को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि ‘भीड़ हत्या' (लिंचिंग) पश्चिमी तरीका है और देश को बदनाम करने के लिए भारत के संदर्भ में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
आरएसएस ने गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती मनाने की योजना बनाई है। इस बारे में सवाल किया गया तो हरप्रीत सिंह ने कहा, “अगर आरएसएस गुरु नानक देव जी की जयंती मनाता है तो हमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन उन्हें सिख आचार संहिता के तहत इसे मनाना चाहिए और सिख धर्म के किसी भी नियम अनुष्ठान का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह की पहली टिप्पणी एक सिख सम्मेलन में आई थी, जब वे 10 अक्टूबर को श्री आनंदपुर साहिब में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरएसएस को अल्पसंख्यकों के लिए खतरा बताते हुए कहा, “आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने की घोषणा देश के लिए बेहद खतरनाक साबित होगी।”
सिखों के सबसे बड़े धर्मगुरू द्वारा आरएसएस पर की गई यह टिप्पणी बहुत मायने रखती है।
इससे पहले, द शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने भी भागवत के बयान की निंदा करते हुए कहा था कि हिंदू राष्ट्र के लिए उनका आह्वान संविधान की अवमानना है। उन्होंने कहा कि भारत एक बहु-जातीय और बहु-भाषी देश है और यहाँ सभी धर्मों का अपना इतिहास, सिद्धांत और जीवन जीने का तरीका है।
ज्ञातव्य है कि SGPC शिरोमणि अकाली दल (SAD) द्वारा नियंत्रित होता है, जो भाजपा का गठबंधन है।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह
ग्रन्थी के बेटे और तुलनात्मक धर्म में मास्टर डिग्री धारक ज्ञानी हरप्रीत सिंह आरएसएस और भाजपा के हिंदुत्ववाद के मुखर आलोचक रहे हैं।
केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर पंजाब में कड़ी आलोचना हुई थी। अकाल तख्त प्रमुख ने एक बयान जारी कर सभी विपरीत परिस्थितियों में कश्मीरी महिलाओं की रक्षा करने का आग्रह किया था।
कई मौकों पर भाजपा और आरएसएस की खुलकर निंदा करने वाले सिंह पटियाला के पंजाबी विश्वविद्यालय से पीएचडी हैं। गुरु ग्रंथ साहिब और कुरान पर एक तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद, वह अंतर-विश्वास एकजुटता के कट्टर समर्थक और अल्पसंख्यक अधिकारों के समर्थक हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर की गई उनकी टिप्पणी SAD के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसका संघ से संबंध है।
SGPC/अकाल तख्त बनाम RSS/BJP
फरवरी 2019 में एसजीपीसी और अकाल तख्त ने भाजपा पर हमला बोला था, जब पार्टी ने तख्त हजूर साहिब नांदेड़ बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति के मामलों में मध्यस्थता करने की कोशिश की थी। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने तब भाजपा पर "धार्मिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप" का आरोप लगाया था।
एसजीपीसी के अध्यक्ष लोंगोवाल ने भी कहा था कि भाजपा के पास आरएसएस की मानसिकता वाले सिख को बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने का एक छिपा हुआ उद्देश्य है, जो किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं होगा।
2014 में, तत्कालीन अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने सिखों से गुरु गोविंद सिंह की 350 वीं जयंती मनाने के लिए आरएसएस द्वारा आयोजित कार्यक्रम का बहिष्कार करने के लिए कहा था।
एक बयान जारी कर उन्होंने कहा था, “हम सिख इतिहास को दूसरे धर्म में आत्मसात करने की अनुमति नहीं दे सकते। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सिख एक अलग समुदाय हैं, अलग पहचान के साथ, हमारा अपना अनूठा इतिहास है। सिख कभी भी अन्य धर्मों की धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं और इतिहास में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और वे सिख धर्म में हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। "
अकाल तख्त द्वारा 2004 का हुकमनामा (निर्देश) जारी कर सभी सिखों को "पंथ-विरोधी" होने का हवाला देते हुए आरएसएस से दूर रहने को कहा था।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि मुझे लगता है कि RSS जिस तरह से काम कर रहा है उससे वह देश में भेदभाव की एक नई लकीर खींच देगा। जब अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से बताया गया कि बीजेपी तो खुद RSS मानती है, इसपर उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो यह देश के लिए अच्छा नहीं है। यह देश को नुकसान पहुंचाएगा और उसे तबाह कर देगा।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही संघ संचालक मोहन भागवत ने कहा था कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है। इसके साथ ही उन्होंने देश में हो रही मॉब लिंचिंग की अलग-अलग घटनाओं को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि ‘भीड़ हत्या' (लिंचिंग) पश्चिमी तरीका है और देश को बदनाम करने के लिए भारत के संदर्भ में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
आरएसएस ने गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती मनाने की योजना बनाई है। इस बारे में सवाल किया गया तो हरप्रीत सिंह ने कहा, “अगर आरएसएस गुरु नानक देव जी की जयंती मनाता है तो हमें कोई समस्या नहीं है। लेकिन उन्हें सिख आचार संहिता के तहत इसे मनाना चाहिए और सिख धर्म के किसी भी नियम अनुष्ठान का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह की पहली टिप्पणी एक सिख सम्मेलन में आई थी, जब वे 10 अक्टूबर को श्री आनंदपुर साहिब में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरएसएस को अल्पसंख्यकों के लिए खतरा बताते हुए कहा, “आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने की घोषणा देश के लिए बेहद खतरनाक साबित होगी।”
सिखों के सबसे बड़े धर्मगुरू द्वारा आरएसएस पर की गई यह टिप्पणी बहुत मायने रखती है।
इससे पहले, द शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने भी भागवत के बयान की निंदा करते हुए कहा था कि हिंदू राष्ट्र के लिए उनका आह्वान संविधान की अवमानना है। उन्होंने कहा कि भारत एक बहु-जातीय और बहु-भाषी देश है और यहाँ सभी धर्मों का अपना इतिहास, सिद्धांत और जीवन जीने का तरीका है।
ज्ञातव्य है कि SGPC शिरोमणि अकाली दल (SAD) द्वारा नियंत्रित होता है, जो भाजपा का गठबंधन है।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह
ग्रन्थी के बेटे और तुलनात्मक धर्म में मास्टर डिग्री धारक ज्ञानी हरप्रीत सिंह आरएसएस और भाजपा के हिंदुत्ववाद के मुखर आलोचक रहे हैं।
केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर पंजाब में कड़ी आलोचना हुई थी। अकाल तख्त प्रमुख ने एक बयान जारी कर सभी विपरीत परिस्थितियों में कश्मीरी महिलाओं की रक्षा करने का आग्रह किया था।
कई मौकों पर भाजपा और आरएसएस की खुलकर निंदा करने वाले सिंह पटियाला के पंजाबी विश्वविद्यालय से पीएचडी हैं। गुरु ग्रंथ साहिब और कुरान पर एक तुलनात्मक अध्ययन करने के बाद, वह अंतर-विश्वास एकजुटता के कट्टर समर्थक और अल्पसंख्यक अधिकारों के समर्थक हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर की गई उनकी टिप्पणी SAD के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसका संघ से संबंध है।
SGPC/अकाल तख्त बनाम RSS/BJP
फरवरी 2019 में एसजीपीसी और अकाल तख्त ने भाजपा पर हमला बोला था, जब पार्टी ने तख्त हजूर साहिब नांदेड़ बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति के मामलों में मध्यस्थता करने की कोशिश की थी। ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने तब भाजपा पर "धार्मिक मामलों में राजनीतिक हस्तक्षेप" का आरोप लगाया था।
एसजीपीसी के अध्यक्ष लोंगोवाल ने भी कहा था कि भाजपा के पास आरएसएस की मानसिकता वाले सिख को बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने का एक छिपा हुआ उद्देश्य है, जो किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं होगा।
2014 में, तत्कालीन अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने सिखों से गुरु गोविंद सिंह की 350 वीं जयंती मनाने के लिए आरएसएस द्वारा आयोजित कार्यक्रम का बहिष्कार करने के लिए कहा था।
एक बयान जारी कर उन्होंने कहा था, “हम सिख इतिहास को दूसरे धर्म में आत्मसात करने की अनुमति नहीं दे सकते। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सिख एक अलग समुदाय हैं, अलग पहचान के साथ, हमारा अपना अनूठा इतिहास है। सिख कभी भी अन्य धर्मों की धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं और इतिहास में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और वे सिख धर्म में हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। "
अकाल तख्त द्वारा 2004 का हुकमनामा (निर्देश) जारी कर सभी सिखों को "पंथ-विरोधी" होने का हवाला देते हुए आरएसएस से दूर रहने को कहा था।