'मैं एक सज्जन नहीं हूँ, मैं एक पत्रकार हूँ..आप केन्द्रीय मंत्री हो सकते हैं,लेकिन मैं इस देश का नागरिक भी हूँ।'
ये तेवर अब पत्रकारिता में दुर्लभ हो चुके हैं......... शाम 7.50 बजे के आसपास, मंत्री बाबुल सुप्रियो ने अपने मोबाइल फोन से द टेलीग्राफ के संपादक आर. राजगोपाल को कॉल किया। सुप्रियो ने खुद का परिचय दिया और कहा कि वह एक “सौहार्दपूर्ण माफी” (अखबार से) चाहते हैं
मामला था पश्चिम बंगाल के जादवपुर विश्वविद्यालय का, जब एक कार्यकम में शामिल होने वहां पहुंचे भाजपा नेता, सांसद और केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को छात्रों ने 5 घंटे तक घेर लिया इस विषय पर सभी मीडिया हाउस की तरफ से ख़बरें दिखाई गयीं लेकिन टेलीग्राफ की तरफ से इस मामले पर जो रिपोर्टिंग की गई।
उस से बाबुल सुप्रियों नाराज हो गए और उस पर मानहानि का केस की बात करने लगे इसी संदर्भ में कल उन्होंने यह फोनकॉल की..........ओर सम्पादक को धमकाने की कोशिश करते हुए कहा कि वे सज्जनतापुर्वक माफी मांगे अन्यथा कॉल रिकार्डिंग सार्वजनिक कर देंगे। उस पर सम्पादक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा 'I am not a gentleman, I am a journalist…. You may be a central minister but I am also a citizen of this country'
ओर आज टेलीग्राफ अखबार ने वह पूरी कॉल रिकार्डिंग एक लेख जिसका शीर्षक “f***ing sold out: Minister to editor” है इस नाम से छाप दी।
रीढ़ की हड्डी अभी कुछ पत्रकारों की बाकि बची हुई है .....सब बिके हुए नही है हालांकि उन्हें डराने धमकाने की कोशिशें बदस्तूर जारी है।
अब भी कुछ लोगों ने बेची है न अपनी आत्मा
यह पतन का सिलसिला कुछ और चलना चाहिए
ये तेवर अब पत्रकारिता में दुर्लभ हो चुके हैं......... शाम 7.50 बजे के आसपास, मंत्री बाबुल सुप्रियो ने अपने मोबाइल फोन से द टेलीग्राफ के संपादक आर. राजगोपाल को कॉल किया। सुप्रियो ने खुद का परिचय दिया और कहा कि वह एक “सौहार्दपूर्ण माफी” (अखबार से) चाहते हैं
मामला था पश्चिम बंगाल के जादवपुर विश्वविद्यालय का, जब एक कार्यकम में शामिल होने वहां पहुंचे भाजपा नेता, सांसद और केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को छात्रों ने 5 घंटे तक घेर लिया इस विषय पर सभी मीडिया हाउस की तरफ से ख़बरें दिखाई गयीं लेकिन टेलीग्राफ की तरफ से इस मामले पर जो रिपोर्टिंग की गई।
उस से बाबुल सुप्रियों नाराज हो गए और उस पर मानहानि का केस की बात करने लगे इसी संदर्भ में कल उन्होंने यह फोनकॉल की..........ओर सम्पादक को धमकाने की कोशिश करते हुए कहा कि वे सज्जनतापुर्वक माफी मांगे अन्यथा कॉल रिकार्डिंग सार्वजनिक कर देंगे। उस पर सम्पादक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा 'I am not a gentleman, I am a journalist…. You may be a central minister but I am also a citizen of this country'
ओर आज टेलीग्राफ अखबार ने वह पूरी कॉल रिकार्डिंग एक लेख जिसका शीर्षक “f***ing sold out: Minister to editor” है इस नाम से छाप दी।
रीढ़ की हड्डी अभी कुछ पत्रकारों की बाकि बची हुई है .....सब बिके हुए नही है हालांकि उन्हें डराने धमकाने की कोशिशें बदस्तूर जारी है।
अब भी कुछ लोगों ने बेची है न अपनी आत्मा
यह पतन का सिलसिला कुछ और चलना चाहिए