नई दिल्ली। मॉब लींचिंग की बढ़ती घटनाओं पर कड़ा कानून बनाने की बहस के बीच केंद्र सरकार ने कहा है कि इस तरह की घटनाएं राज्यों की कानून व्यवस्था का मसला है। साथ ही केंद्र ने पिछले 6 महीने में मॉब लिंचिंग में इजाफे पर कहा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) का डाटा सही नहीं है।
राज्यसभा में बुधवार (17 जुलाई 2019) को एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा ‘संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य कानून और कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार हैं। राज्य सरकारें अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अपराधियों पर मामला चलाने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से अपराधियों पर मुकदमा चलाती है।’
मॉब लिंचिंग में इजाफा क्यों हो रहा है इस सवाल पर उन्होंने कहा कि ‘एनसीआरबी का डाटा सही नहीं है। ये संस्था देश में होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाओं का अलग से कोई आंकड़ा नहीं रखता।’
बता दें कि बीती 2 जुलाई को बिहार के वैशाली जिले में एक घर से कथित तौर पर चोरी के शक में एक व्यक्ति को भीड़ ने जमकर पीटा था। इसके अलावा बीते महीने झारखंड में 18 जून को तबरेज अंसारी नाम के एक मुस्लिम शख्स को खरसावन जिले में कथित तौर पर चोरी के शक में पीटा गया। बता दें कि उत्तर प्रदेश लॉ कमीशन ने मॉब लींचिंग पर रोकथाम के लिए कानून बनाने की सिफारिश की है। योगी सरकार इस कानून पर आगे बढ़ती है तो मॉब लींचिंग की घटनाओं में शामिल होने वाले को उम्र कैद और पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के आने के बाद मॉब लिंचिंग की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। हालांकि सरकार की तरफ से दावे किए गए हैं कि मोदी सरकारे के आने से पहले भी मॉब लींचिंग की घटनाएं होती थी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को कह चुक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2014 के बाद से ही मॉब लिंचिंग शुरू नहीं हुई और इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि भारतीय लोकतंत्र में भीड़तंत्र बेकाबू हो गया है। मॉब लिंचिंग और हेट क्राइम के मामले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। सरकारें कड़ा संदेश देने में कतरा रही हैं और इससे कानून तोड़ने वालों के हौसले और बुलंद हो रहे हैं।
राज्यसभा में बुधवार (17 जुलाई 2019) को एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा ‘संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य कानून और कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार हैं। राज्य सरकारें अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अपराधियों पर मामला चलाने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से अपराधियों पर मुकदमा चलाती है।’
मॉब लिंचिंग में इजाफा क्यों हो रहा है इस सवाल पर उन्होंने कहा कि ‘एनसीआरबी का डाटा सही नहीं है। ये संस्था देश में होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाओं का अलग से कोई आंकड़ा नहीं रखता।’
बता दें कि बीती 2 जुलाई को बिहार के वैशाली जिले में एक घर से कथित तौर पर चोरी के शक में एक व्यक्ति को भीड़ ने जमकर पीटा था। इसके अलावा बीते महीने झारखंड में 18 जून को तबरेज अंसारी नाम के एक मुस्लिम शख्स को खरसावन जिले में कथित तौर पर चोरी के शक में पीटा गया। बता दें कि उत्तर प्रदेश लॉ कमीशन ने मॉब लींचिंग पर रोकथाम के लिए कानून बनाने की सिफारिश की है। योगी सरकार इस कानून पर आगे बढ़ती है तो मॉब लींचिंग की घटनाओं में शामिल होने वाले को उम्र कैद और पीड़ित परिवार को पांच लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के आने के बाद मॉब लिंचिंग की घटनाओं में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। हालांकि सरकार की तरफ से दावे किए गए हैं कि मोदी सरकारे के आने से पहले भी मॉब लींचिंग की घटनाएं होती थी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को कह चुक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2014 के बाद से ही मॉब लिंचिंग शुरू नहीं हुई और इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि भारतीय लोकतंत्र में भीड़तंत्र बेकाबू हो गया है। मॉब लिंचिंग और हेट क्राइम के मामले दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। सरकारें कड़ा संदेश देने में कतरा रही हैं और इससे कानून तोड़ने वालों के हौसले और बुलंद हो रहे हैं।