नई दिल्ली: आयुष्मान खुराना की फिल्म आर्टिकल 15 रिलीज के बाद से ब्राह्मणों में नाराजगी नजर आ रही है। ब्राह्मण समाज ऑफ इंडिया संस्था ने फिल्म के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए फिल्म पर रोक लगाने की मांग की है। शुक्रवार को रिलीज हुई इस फिल्म से ब्राह्मण नाराज हैं क्योंकि उन्हें दलितों पर अत्याचार का वाहक दिखाया गया है।
यह याचिका गत बुधवार को दाखिल हुई थी और शुक्रवार को फिल्म की रिलीज की तय तारीख को देखते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से गुरुवार को कोर्ट में मेंशन कर जल्द सुनवाई का आग्रह किया गया, लेकिन कोर्ट ने याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग ठुकरा दी। याचिका पर सुनवाई की अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।
संस्था की ओर से नेमिनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दाखिल कर फिल्म का विरोध करते हुए कहा है कि फिल्म के जाति आधारित संवाद समाज में नफरत फैला सकते हैं। सच्ची आपराधिक घटना की पृष्ठभूमि बताते हुए फिल्म में झूठी, गलत और तोड़-मरोड़ कर कहानी पेश की गई है जिसके जाति आधारित संवाद आपत्तिजनक, अफवाह फैलाने वाले और समाज में नफरत पैदा करने वाले हैं।
याचिका में फिल्म के शीर्षक 'आर्टिकल 15' पर आपत्ति उठाते हुए कहा गया है कि इससे संविधान के आर्टिकल 15 के प्रति लोगों में गलत अवधारणा बनेगी। भारत सरकार की इजाजत के बगैर फिल्म का नाम 'आर्टिकल 15' नहीं रखा जा सकता। याचिका में मांग की गई है कि फिल्म प्रमाणन बोर्ड को निर्देश दिया जाए कि वह फिल्म के प्रदर्शन का जारी प्रमाणपत्र निरस्त करे।
आरोप लगाए जा रहे हैं कि फ़िल्म के ज़रिए ब्राह्मणों को बदनाम किया जा रहा है और फ़िल्म रिलीज़ होने के बाद ये विरोध और भी तेज़ हो गया। नागपुर, भोपाल, कानपुर समेत देश के कई शहरों में ब्राह्मण सेना और करणी सेना जैसे कई संगठनों ने सिनेमाघरों के बाहर जमकर हंगामा किया। कुछ शहरों में तो फ़िल्म का शो बंद करने की नौबत आ गई। सेंसर बोर्ड ने कुछ कट के साथ फ़िल्म को रिलीज़ करने की इजाज़त दी है।
यह याचिका गत बुधवार को दाखिल हुई थी और शुक्रवार को फिल्म की रिलीज की तय तारीख को देखते हुए याचिकाकर्ताओं की ओर से गुरुवार को कोर्ट में मेंशन कर जल्द सुनवाई का आग्रह किया गया, लेकिन कोर्ट ने याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग ठुकरा दी। याचिका पर सुनवाई की अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है।
संस्था की ओर से नेमिनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दाखिल कर फिल्म का विरोध करते हुए कहा है कि फिल्म के जाति आधारित संवाद समाज में नफरत फैला सकते हैं। सच्ची आपराधिक घटना की पृष्ठभूमि बताते हुए फिल्म में झूठी, गलत और तोड़-मरोड़ कर कहानी पेश की गई है जिसके जाति आधारित संवाद आपत्तिजनक, अफवाह फैलाने वाले और समाज में नफरत पैदा करने वाले हैं।
याचिका में फिल्म के शीर्षक 'आर्टिकल 15' पर आपत्ति उठाते हुए कहा गया है कि इससे संविधान के आर्टिकल 15 के प्रति लोगों में गलत अवधारणा बनेगी। भारत सरकार की इजाजत के बगैर फिल्म का नाम 'आर्टिकल 15' नहीं रखा जा सकता। याचिका में मांग की गई है कि फिल्म प्रमाणन बोर्ड को निर्देश दिया जाए कि वह फिल्म के प्रदर्शन का जारी प्रमाणपत्र निरस्त करे।
आरोप लगाए जा रहे हैं कि फ़िल्म के ज़रिए ब्राह्मणों को बदनाम किया जा रहा है और फ़िल्म रिलीज़ होने के बाद ये विरोध और भी तेज़ हो गया। नागपुर, भोपाल, कानपुर समेत देश के कई शहरों में ब्राह्मण सेना और करणी सेना जैसे कई संगठनों ने सिनेमाघरों के बाहर जमकर हंगामा किया। कुछ शहरों में तो फ़िल्म का शो बंद करने की नौबत आ गई। सेंसर बोर्ड ने कुछ कट के साथ फ़िल्म को रिलीज़ करने की इजाज़त दी है।