वाराणसी। बनारस के पांडेयपुर इलाके में 1 मार्च को सीवर में सफाई के लिए उतरे दो मज़दूरों के मौत के मामले में हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। पीपुल्स विजिलेंस कमेटी फॉर हयूमन राईट की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल और न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। इस खण्डपीठ ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था पर समय पर जवाब न देने पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए अंतिम दो सप्ताह का समय दिया है।
यदि इस अन्तिम मौके पर भी जवाब नहीं दिया जाता है तो महाप्रबंधक जल निगम और परियोजना प्रबंधक गंगा प्रदूषण इकाई को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
बता दें कि मार्च को वाराणसी में सीवर लाइन में कार्य कर रहे दो सफाईकर्मियों की मौत जहरीली गैस से दम घुटने के कारण हुई थी। सीवर का ठेका एलएनटी कंपनी का है। उसने एक स्थानीय ठेकेदार से कार्य करवाया जिसे इस कार्य का कोई अनुभव नहीं था। साथ मैन्यूअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के अंतर्गत कोई सुरक्षा उपकरण का भी इस्तेमाल नहीं किया गया था और घटना के बाद मौके से ठेकेदार और अभियंता नदारद हो गए थे।
सीवर में सफाईकर्मियों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। प्रधानमंत्री मंगलयान और तमाम तरह की उपलब्धियां तो गिनाते नजर आए हैं लेकिन सीवर की सफाई आज भी दलित वर्ग के जिम्मे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कुंभ में सफाई कर्मियों के पैर धोए थे तो उम्मीद जागी थी कि वे सफाई कर्मियों को सीवर में उतरने से रोकने के प्रयास करेंगे लेकिन उनका यह कृत्य सिर्फ चुनावी स्टंट बनकर रह गया। सफाई कर्मियों को जान जोखिम में डालने के बदले न्यूनतम मजदूरी तक नहीं मिलती लेकिन परिवार पालने के लिए वे अपनी जान पर दांव लगाने के लिए मजबूर हैं।
यदि इस अन्तिम मौके पर भी जवाब नहीं दिया जाता है तो महाप्रबंधक जल निगम और परियोजना प्रबंधक गंगा प्रदूषण इकाई को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
बता दें कि मार्च को वाराणसी में सीवर लाइन में कार्य कर रहे दो सफाईकर्मियों की मौत जहरीली गैस से दम घुटने के कारण हुई थी। सीवर का ठेका एलएनटी कंपनी का है। उसने एक स्थानीय ठेकेदार से कार्य करवाया जिसे इस कार्य का कोई अनुभव नहीं था। साथ मैन्यूअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के अंतर्गत कोई सुरक्षा उपकरण का भी इस्तेमाल नहीं किया गया था और घटना के बाद मौके से ठेकेदार और अभियंता नदारद हो गए थे।
सीवर में सफाईकर्मियों की मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। प्रधानमंत्री मंगलयान और तमाम तरह की उपलब्धियां तो गिनाते नजर आए हैं लेकिन सीवर की सफाई आज भी दलित वर्ग के जिम्मे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कुंभ में सफाई कर्मियों के पैर धोए थे तो उम्मीद जागी थी कि वे सफाई कर्मियों को सीवर में उतरने से रोकने के प्रयास करेंगे लेकिन उनका यह कृत्य सिर्फ चुनावी स्टंट बनकर रह गया। सफाई कर्मियों को जान जोखिम में डालने के बदले न्यूनतम मजदूरी तक नहीं मिलती लेकिन परिवार पालने के लिए वे अपनी जान पर दांव लगाने के लिए मजबूर हैं।