नफरत फैलाने वाले भाषणों और तत्वों के खिलाफ सीजेपी के अभियान को एक बड़ी जीत मिली है। न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) ने ज़ी न्यूज़ के खिलाफ सीजेपी की शिकायत पर कार्रवाई की है और चैनल को जून 2018 में अपने प्रसारण के दौरान भड़काऊ और हिंसा फैलाने वाले कंटेंट को वेबसाइट, यूट्यूब या जहां भी मौजूद है, हटाने के लिए कहा है।
1 मई को जारी अपने आदेश में, न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने कहा है, "NBSA ने निर्णय लिया है कि ब्रॉडकास्टर (चैनल: Zee News) को चेतावनी जारी की जाती है और भविष्य में किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से देखा जाएगा।" NBSA ने यह भी निर्देश दिया है कि, "यह वीडियो यदि Zee News या किसी अन्य लिंक की वेबसाइट पर होस्ट किया गया है, तो उक्त कार्यक्रम को तुरंत हटा दिया जाए और NBSA को इसकी पुष्टि कर दी जानी चाहिए।”
CJP नफरत फैलाने वाले व्यक्तियों और संगठनों की निगरानी के लिए प्रतिबद्ध है। नफरत फैलाने वाले ब्रॉडकास्टर या व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए कदम उठाएं और यहां डोनेट कर सीजपी के अभियान को समर्थन देने में मदद करें।
उपरोक्त मामले में NBSA का मानना है कि ब्रॉडकास्टर ने संवाद नियमों का उल्लंघन किया है। "रिपोर्ताज संख्या 2 के मुताबिक संवाद शैली निष्पक्ष और फेयर होनी चाहिए। रिपोर्ताज संख्या 2.1 को कवर करने वाले विशिष्ट दिशानिर्देश कहते हैं कि 'संतुलित रिपोर्ताज के लिए, प्रसारकों को तटस्थ रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी रिपोर्टिंग में विशेष रूप से विवादास्पद विचार शामिल ना हों। दिशानिर्देश 3 में कहा गया है कि प्रसारकों को किसी भी तरह से ऐसे व्यक्तियों, समूहों या संगठनों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए, जो हिंसा का उपयोग करते हैं या उनकी वकालत करते हैं। आपराधिक / नापाक गतिविधि में संलग्न, गुंडागर्दी, बर्बरता और अपराध के सभी रूपों को अनुकूल परिस्थिति में नहीं दिखाया जाना चाहिए।
ये है मामला
जी न्यूज ने जून 2018 में एक शो प्रसारित किया था जिसमें कई कवियों को दिखाया गया था। ये कवि जम्मू-कश्मीर की आवाम के खिलाफ व्यापक हिंसा का आह्वान करते थे। उन्हें या न्यूज चैनल को नफरत फैलने की कोई परवाह ही नहीं थी। उन्होंने भारतीय समाज के तानेबाने के प्रति बिल्कुल संवेदनशीलता नहीं दिखाई।
CJP ने पहली बार 9 जुलाई को Zee न्यूज के इस शो को लेकर आपत्ति जताई थी। सीजेपी ने चैनल को लिखा था, "इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना, भड़काऊ और हिंसा फैलाने वाली सामग्री" से मीडिया की नैतिकता और सिद्धांतों का उल्लंघन होता है ऐसे में चैनल को इसके प्रसारण के लिए माफी मांगनी चाहिए। सीजेपी द्वारा ज़ी न्यूज़ को लिखा पत्र यहाँ पढ़ा जा सकता है:
चैनल ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। ज़ी से प्रतिक्रिया प्राप्त करने में विफल रहने के बाद CJP ने 30 जुलाई को NBSA के पास आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई। CJP ने अध्यक्ष अनिल धरकर और सचिव तीस्ता सीतलवाड़ के माध्यम से टेलीविज़न नेटवर्क के खिलाफ कार्यक्रम को प्रसारित करने के लिए एक विस्तृत शिकायत दर्ज कराई। इसमें उन्होंने कहा था कि CJP द्वारा माना जाता है कि चैनल द्वारा प्रसारित कार्यक्रम नफरत से भरे और हिंसा-उत्प्रेरक थे। एनबीएसए का आदेश यहां पढ़ा जा सकता है:
NBSA ने 23 अगस्त को जी मीडियो से कहा कि वह CJP को प्रतिक्रिया दे। इस पर ZMCL के श्री राघव ने तर्क दिया कि ज़ी न्यूज़ का विचाराधीन कार्यक्रम सितंबर 2016 में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित था, जिसके लिए हमारे पत्र में JJP ने जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम पर किसी भी तरह की सफाई देने या परिभाषित करने का औचित्य नहीं था, इसके बावजूद जवाब दिया गया।
Zee News की प्रतिक्रिया यहां पढ़ सकते हैं:
ज़ी के उत्तर के लिए CJP की प्रतिक्रिया
CJP ने ZBS की प्रतिक्रिया का प्रतिकार करते हुए NBSA को जवाब दिया, जिसमें कहा गया था कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। सीजेपी ने अपने पत्र में तर्क दिया कि ज़ी ने हमारी शिकायत में उठाए गए मुद्दों का संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। सीजेपी ने दोहराया कि ज़ी न्यूज़ ने एनबीएसए की आचार संहिता का उल्लंघन किया है, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। CJP ने यह भी रेखांकित किया कि जी न्यूज ने कार्यक्रम के माध्यम से "राष्ट्रवाद" की भावना लाने के औचित्य के रूप में तर्क दिया गया था। सीजेपी ने आगे कहा, "हम मानते हैं, किसी भी तरह से, हिंसा और विद्रूप राष्ट्रवाद को मूर्त रूप नहीं देते हैं।" ज़ी न्यूज़ की प्रतिक्रिया पर CJP की प्रतिक्रिया यहाँ पढ़ी जा सकती है:
एनबीएसए का पक्ष
8 फरवरी, 2019 को CJP को भेजे गए एक फैसले में, NBSA ने स्पष्ट रूप से कहा है कि, 17 जनवरी, 2019 को आयोजित अपनी बैठक में, ब्रॉडकास्टर की मूल शिकायत और प्रतिक्रिया पर विचार किया गया और प्रसारण कार्यक्रम की मूल सीडी भी थी देखी।
CJP द्वारा प्राप्त संचार में, ब्रॉडकॉस्टिंग अथॉरिटी ने कहा है कि, "NBSA का मानना था कि ब्रॉडकास्टर ने विशिष्ट दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया, जो रिपोर्टिंग नंबर 2 की निष्पक्षता और फेयरनेस को लेकर 2.1 को कवर करता है। जिसमें कहा गया है कि 'संतुलित रिपोर्ताज के लिए, प्रसारकों को तटस्थ रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी रिपोर्टिंग में, विशेषकर विवादास्पद विषय पर, किसी विशेष दृष्टिकोण को अनुचित प्रमुखता दिए बिना विविध विचार शामिल किए गए हैं। ''साथ ही दिशानिर्देश 3 के मुताबिक प्रसारणकर्ता को कानून व्यवस्था, अपराध और हिंसा फैलाने वाले किसी व्यक्ति, समूहों या संगठनों को ग्लैमराइज़ या किसी भी तरह से बढ़ावा नहीं देना चाहिए, जो हिंसा का उपयोग करते हैं या उनकी वकालत करते हैं या आपराधिक / नापाक गतिविधि में संलग्न होते हैं। गुंडागर्दी, बर्बरता और अपराध के सभी रूपों को अनुकूल परिस्थिति में नहीं दिखाया जाना चाहिए।"
इस मामले की 25 मार्च के लिए सुनवाई होनी थी, लेकिन स्थगन की मांग की गई। इसके बाद सुनवाई 28 मार्च को हुई। शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि कार्यक्रम का स्वर और कार्यकाल सांप्रदायिक घृणा पर केंद्रित था। हमने प्रस्तुत किया कि एक समाचार चैनल इस तरह का विभाजनकारी प्रचार प्रसार नहीं कर सकता। इसके अलावा, "कार्यक्रम में कोई तटस्थता/निष्पक्षता या संतुलन नहीं था।" प्रसारक ने कहा कि सरकार द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो जारी करने के बाद लोगों में देशभक्ति और राष्ट्रीय भावनाओं का आह्वान करने के लिए छह कवियों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। "उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि" कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों का ध्रुवीकरण करना नहीं था और न ही नकारात्मक प्रचार प्रसार करना, और न ही देश / समाज में किसी भी वर्ग के लोगों के खिलाफ हिंसा को प्रोत्साहित करना।"
अंतिम आदेश 1 मई को पारित किया गया है।
1 मई को जारी अपने आदेश में, न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ने कहा है, "NBSA ने निर्णय लिया है कि ब्रॉडकास्टर (चैनल: Zee News) को चेतावनी जारी की जाती है और भविष्य में किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से देखा जाएगा।" NBSA ने यह भी निर्देश दिया है कि, "यह वीडियो यदि Zee News या किसी अन्य लिंक की वेबसाइट पर होस्ट किया गया है, तो उक्त कार्यक्रम को तुरंत हटा दिया जाए और NBSA को इसकी पुष्टि कर दी जानी चाहिए।”
CJP नफरत फैलाने वाले व्यक्तियों और संगठनों की निगरानी के लिए प्रतिबद्ध है। नफरत फैलाने वाले ब्रॉडकास्टर या व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए कदम उठाएं और यहां डोनेट कर सीजपी के अभियान को समर्थन देने में मदद करें।
उपरोक्त मामले में NBSA का मानना है कि ब्रॉडकास्टर ने संवाद नियमों का उल्लंघन किया है। "रिपोर्ताज संख्या 2 के मुताबिक संवाद शैली निष्पक्ष और फेयर होनी चाहिए। रिपोर्ताज संख्या 2.1 को कवर करने वाले विशिष्ट दिशानिर्देश कहते हैं कि 'संतुलित रिपोर्ताज के लिए, प्रसारकों को तटस्थ रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी रिपोर्टिंग में विशेष रूप से विवादास्पद विचार शामिल ना हों। दिशानिर्देश 3 में कहा गया है कि प्रसारकों को किसी भी तरह से ऐसे व्यक्तियों, समूहों या संगठनों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए, जो हिंसा का उपयोग करते हैं या उनकी वकालत करते हैं। आपराधिक / नापाक गतिविधि में संलग्न, गुंडागर्दी, बर्बरता और अपराध के सभी रूपों को अनुकूल परिस्थिति में नहीं दिखाया जाना चाहिए।
ये है मामला
जी न्यूज ने जून 2018 में एक शो प्रसारित किया था जिसमें कई कवियों को दिखाया गया था। ये कवि जम्मू-कश्मीर की आवाम के खिलाफ व्यापक हिंसा का आह्वान करते थे। उन्हें या न्यूज चैनल को नफरत फैलने की कोई परवाह ही नहीं थी। उन्होंने भारतीय समाज के तानेबाने के प्रति बिल्कुल संवेदनशीलता नहीं दिखाई।
CJP ने पहली बार 9 जुलाई को Zee न्यूज के इस शो को लेकर आपत्ति जताई थी। सीजेपी ने चैनल को लिखा था, "इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना, भड़काऊ और हिंसा फैलाने वाली सामग्री" से मीडिया की नैतिकता और सिद्धांतों का उल्लंघन होता है ऐसे में चैनल को इसके प्रसारण के लिए माफी मांगनी चाहिए। सीजेपी द्वारा ज़ी न्यूज़ को लिखा पत्र यहाँ पढ़ा जा सकता है:
चैनल ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। ज़ी से प्रतिक्रिया प्राप्त करने में विफल रहने के बाद CJP ने 30 जुलाई को NBSA के पास आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई। CJP ने अध्यक्ष अनिल धरकर और सचिव तीस्ता सीतलवाड़ के माध्यम से टेलीविज़न नेटवर्क के खिलाफ कार्यक्रम को प्रसारित करने के लिए एक विस्तृत शिकायत दर्ज कराई। इसमें उन्होंने कहा था कि CJP द्वारा माना जाता है कि चैनल द्वारा प्रसारित कार्यक्रम नफरत से भरे और हिंसा-उत्प्रेरक थे। एनबीएसए का आदेश यहां पढ़ा जा सकता है:
NBSA ने 23 अगस्त को जी मीडियो से कहा कि वह CJP को प्रतिक्रिया दे। इस पर ZMCL के श्री राघव ने तर्क दिया कि ज़ी न्यूज़ का विचाराधीन कार्यक्रम सितंबर 2016 में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित था, जिसके लिए हमारे पत्र में JJP ने जवाब दिया था। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम पर किसी भी तरह की सफाई देने या परिभाषित करने का औचित्य नहीं था, इसके बावजूद जवाब दिया गया।
Zee News की प्रतिक्रिया यहां पढ़ सकते हैं:
ज़ी के उत्तर के लिए CJP की प्रतिक्रिया
CJP ने ZBS की प्रतिक्रिया का प्रतिकार करते हुए NBSA को जवाब दिया, जिसमें कहा गया था कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। सीजेपी ने अपने पत्र में तर्क दिया कि ज़ी ने हमारी शिकायत में उठाए गए मुद्दों का संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। सीजेपी ने दोहराया कि ज़ी न्यूज़ ने एनबीएसए की आचार संहिता का उल्लंघन किया है, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। CJP ने यह भी रेखांकित किया कि जी न्यूज ने कार्यक्रम के माध्यम से "राष्ट्रवाद" की भावना लाने के औचित्य के रूप में तर्क दिया गया था। सीजेपी ने आगे कहा, "हम मानते हैं, किसी भी तरह से, हिंसा और विद्रूप राष्ट्रवाद को मूर्त रूप नहीं देते हैं।" ज़ी न्यूज़ की प्रतिक्रिया पर CJP की प्रतिक्रिया यहाँ पढ़ी जा सकती है:
एनबीएसए का पक्ष
8 फरवरी, 2019 को CJP को भेजे गए एक फैसले में, NBSA ने स्पष्ट रूप से कहा है कि, 17 जनवरी, 2019 को आयोजित अपनी बैठक में, ब्रॉडकास्टर की मूल शिकायत और प्रतिक्रिया पर विचार किया गया और प्रसारण कार्यक्रम की मूल सीडी भी थी देखी।
CJP द्वारा प्राप्त संचार में, ब्रॉडकॉस्टिंग अथॉरिटी ने कहा है कि, "NBSA का मानना था कि ब्रॉडकास्टर ने विशिष्ट दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया, जो रिपोर्टिंग नंबर 2 की निष्पक्षता और फेयरनेस को लेकर 2.1 को कवर करता है। जिसमें कहा गया है कि 'संतुलित रिपोर्ताज के लिए, प्रसारकों को तटस्थ रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी रिपोर्टिंग में, विशेषकर विवादास्पद विषय पर, किसी विशेष दृष्टिकोण को अनुचित प्रमुखता दिए बिना विविध विचार शामिल किए गए हैं। ''साथ ही दिशानिर्देश 3 के मुताबिक प्रसारणकर्ता को कानून व्यवस्था, अपराध और हिंसा फैलाने वाले किसी व्यक्ति, समूहों या संगठनों को ग्लैमराइज़ या किसी भी तरह से बढ़ावा नहीं देना चाहिए, जो हिंसा का उपयोग करते हैं या उनकी वकालत करते हैं या आपराधिक / नापाक गतिविधि में संलग्न होते हैं। गुंडागर्दी, बर्बरता और अपराध के सभी रूपों को अनुकूल परिस्थिति में नहीं दिखाया जाना चाहिए।"
इस मामले की 25 मार्च के लिए सुनवाई होनी थी, लेकिन स्थगन की मांग की गई। इसके बाद सुनवाई 28 मार्च को हुई। शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि कार्यक्रम का स्वर और कार्यकाल सांप्रदायिक घृणा पर केंद्रित था। हमने प्रस्तुत किया कि एक समाचार चैनल इस तरह का विभाजनकारी प्रचार प्रसार नहीं कर सकता। इसके अलावा, "कार्यक्रम में कोई तटस्थता/निष्पक्षता या संतुलन नहीं था।" प्रसारक ने कहा कि सरकार द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो जारी करने के बाद लोगों में देशभक्ति और राष्ट्रीय भावनाओं का आह्वान करने के लिए छह कवियों को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। "उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि" कार्यक्रम का उद्देश्य नागरिकों का ध्रुवीकरण करना नहीं था और न ही नकारात्मक प्रचार प्रसार करना, और न ही देश / समाज में किसी भी वर्ग के लोगों के खिलाफ हिंसा को प्रोत्साहित करना।"
अंतिम आदेश 1 मई को पारित किया गया है।