अखबारनामा: टेलिग्राफ ने छापा पीएम मोदी के दुख का हिसाब, कश्मीरियों को सुरक्षा की खबर पहले पन्ने से गायब!

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: February 23, 2019
वकील तारिक अदीब की अर्जी पर सुनवाई करते हुए देश की शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को केंद्र और दिल्ली समेत 11 राज्यों – महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, मेघालय, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड को कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। आप जानते हैं कि पुलवामा हमले के बाद देश के कई हिस्सों में कश्मीरी छात्रों पर हमले हुए, उन्हें परेशान किया जा रहा है। इसी संबंध में दायर याचिका पर शीघ्र कार्रवाई की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्यों को निर्देश जारी किए हैं।

इंटरनेट पर उपलब्ध खबरों के मुताबिक, सरकारों से इस बारे में अपना जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा गया है। अदीब ने गुरुवार को अपनी अर्जी पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने अपनी अर्जी में मेघालय के राज्यपाल तथागत राय के ट्वीट का हवाला भी दिया था। राय ने कश्मीरी छात्रों के बहिष्कार की बात भी कही है। पीठ इस मामले में अब बुधवार को आगे विचार करेगी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विज ने दावा किया कि यह याचिका दायर करने के बाद विभिन्न राज्यों में इस तरह के हमलों की दस से अधिक घटनायें हो चुकी हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त समेत मुख्य सचिवों और राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को शुक्रवार को निर्देश दिए कि वे पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद कश्मीरियों पर हमले, उनके प्रति उत्पन्न खतरे और उनके सामाजिक बहिष्कार के मामलों को रोकने के लिए शीघ्र एवं आवश्यक कदम उठाएं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने यह भी आदेश दिया कि जिन पुलिस अधिकारियों को भीड़ द्वारा लोगों की पीट पीट कर की गई हत्या के मामलों (लिचिंग) से निपटने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था, वे अब कश्मीरी छात्रों पर हमलों के मामलों को देखेंगे।

पीठ ने गृह मंत्रालय से कहा कि वह नोडल अधिकारियों का व्यापक प्रचार करें ताकि इस प्रकार के मामलों का शिकार बनने वाले लोग उन तक आसानी से पहुंच सकें। पीठ ने कहा, ‘मुख्य सचिवों, डीजीपी और दिल्ली पुलिस आयुक्त कश्मीरियों और अन्य अल्पसंख्यकों के प्रति उत्पन्न खतरे, उनके खिलाफ हमले, उनके सामाजिक बहिष्कार इत्यादि की घटनाएं रोकने के लिए शीघ्र एवं आवश्यक कार्रवाई करें।’ पीठ ने केन्द्रीय गृह सचिव को इसका व्यापक प्रचार करने का निर्देश भी दिया ताकि कश्मीरी लोग इस तरह की घटना होने की स्थिति में नोडल अधिकारी से संपर्क कर सकें।

देश भर में फैली असुरक्षा की भावना के चलते कश्मीरी छात्र घर लौट रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर इस पर अपनी चिंता और नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि कश्मीरी छात्र यदि मुख्य धारा से अलग होंगे तो उनमें अलगाव की भावना बढ़ेगी। उन्होंने भी सरकार से इस दिशा में कदम उठाने की अपील की थी। इस मामले में मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय की भूमिका भी चर्चा में है। उन्होंने अमरनाथ यात्रा सहित कश्मीर से जुड़ी हर चीज और राज्य के सामानों की खरीदारी का बहिष्कार करने का समर्थन किया है।

क्या यह खबर आपके अखबार में है? तथागत राय के ट्वीट की जानकारी आपको है? क्या आपके अखबार में ये सब खबरें छप रही हैं। क्या आप जानते हैं कि कश्मीरी छात्रों के लिए प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप योजना है। यह प्रतिभा आधारित एक कार्यक्रम है जो जम्मू और कश्मीर के छात्रों को देश भर के कालेजों, संस्थाओं और विश्वविद्यालयों में दाखिले की पेशकश करता है और उनकी पढ़ाई की फीस और रहने के खर्चों का भुगतान करता है। इंडियन एक्सप्रेस ने आज खबर छापी है कि हिंसा के शिकार बनाए गए जम्मू व कश्मीर के छात्रों में यह छात्रवृत्ति पाने वाले भी हैं। आइए, देखें आज यह खबरें अखबारों में कहां और कैसे हैं। हैं भी कि नहीं।

पहले अंग्रेजी फिर हिन्दी अखबार। इंडियन एक्सप्रेस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खबर भी तीन कॉलम में टॉप पर छापी है। हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर चार कॉलम में दो लाइन के शीर्षक के साथ लीड है। अखबार ने खबर के साथ हिन्सा की घटानाओं की सूची भी छापी है। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर अंदर के पन्ने पर है, इसकी सूचना सिंगल कॉलम में है। द हिन्दू ने इस खबर को पहले पन्ने पर दो कॉलम में छापा है। शीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट का आदेश, कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। द टेलीग्राफ में यह खबर सिंगल कॉलम में पहले पन्ने पर है।

हिन्दी अखबारों में दैनिक भास्कर में यह खबर छह कॉलम में लीड है। दैनिक जागरण में पहले पन्ने पर नहीं है। अमर उजाला में भी यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। दैनिक हिन्दुस्तान में यह खबर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की फोटो के साथ चार कॉलम में दो लाइन के शीर्षक के साथ लीड है। नवभारत टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। राजस्थान पत्रिका में पहले पन्ने पर नहीं है। लेकिन नवोदय टाइम्स में है।

पुनश्च: ऊपर पीएम मोदी की अट्टहास करती मुद्राएँ टेलीग्राफ़ में छपी हैं। 14 फरवरी को पुलवामा में हुए फिदायीन हमले में 40 से ज्यादा जवानों की शहादत पर मोदी जी कितने ग़़मग़ीन हैं, इसका हिसाब लगाया है अख़बार ने। बाक़ी हेडिंग पढ़कर आप ख़ुद समझ सकते हैं।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, अनुवादक और मीडिया समीक्षक हैं।)

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