सरकार गोपनीयता की आड़ में रफाल की कीमत नहीं बता रही और अखबार अटकलों पर संपादकीय कैंची चला रहे हैं

Written by संजय कुमार सिंह | Published on: January 19, 2019
जाने-माने अखबार हिन्दू ने शुक्रवार (18 जनवरी 2019) को रफाल विमान सौदे पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसे मशहूर पत्रकार एन राम, जो इस समय जाने-माने अखबार समूह के चेयरमैन हैं ने लिखा है। जो नहीं जानते उन्हें बता हूं कि वे 1977 में इस संस्थान के प्रबंध निदेशक थे और 2003 से 2012 तक अखबार के मुख्य संपादक रह चुके हैं। कोलकाता के अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने आज लिखा है, कोई तीन दशक पहले इसी अखबार ने बोफर्स तोप सौदे में घपले की कई खबरें छापी थीं जिससे बोफर्स नाम भारत में भ्रष्टाचार और घोटाले का पर्याय बन गया। इससे राजीव गांधी को भारी राजनैतिक नुकसान हुआ था। इस मामले में अदालत में कुछ साबित नहीं हो पाया फिर भी भाजपा मौका मिलने पर इसका नाम लेने से नहीं चूकती। 1988 के दिनों में हिन्दू में बोफर्स सौदे से संबंधित खबरों का प्रकाशन एन राम के नेतृत्व में ही हुआ करता था। उन्हीं ने अब राफेल पर विस्तृत रिपोर्ट लिखी है तो यह साधारण नहीं है।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस खबर के आलोक में कल हुई चर्चा को आज पहले पन्ने पर तीन कॉलम में छापा है। शीर्षक है, रफाल के लिए ज्यादा पैसे दिए जाने की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस-भाजपा में भिडंत। इस सूचना के बाद ही अखबार ने नई रिपोर्ट के इस तथ्य का उल्लेख किया है प्रत्येक रफाल विमान के लिए 41.42 प्रतिशत ज्यादा कीमत दी गई। इसके बाद अखबार ने कहा है कि सरकार ने इसे बिल्कुल गलत बताया जबकि विपक्ष ने करार की जांच के लिए जेपीसी की मांग की। अखबार के मुताबिक हिन्दू की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की जरूरतों के लिहाज से पहले 126 विमानों का सौदा हुआ था और बाद में प्रधानमंत्री ने इसे अचानक 36 कर दिया। इससे पहले के 126 विमानों का खर्च अब 36 विमानों में ही लग गया और इससे प्रत्येक विमान लागत में 41.42 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके अलावा और भी तथ्य हैं।

द टेलीग्राफ में यह खबर दो कॉलम में लीड है। फ्लैग शीर्षक है, कीमत में वृद्धि और नए तथ्यों का केंद्र पर हमला। मुख्य शीर्षक है, रफाल प्रधानमंत्री को चैन से नहीं रहने देगा। खबर की शुरुआत रिपोर्ट के आधार पर यह बताते हुए की गई है कि बिना किसी आधार के 126 की बजाय 36 विमान खरीदने के प्रधानमंत्री के निर्णय के कारण कीमत काफी बढ़ गई। अखबार ने बताया है कि इस खबर से राहुल गांधी समेत विपक्ष के कुछ आरोपों की पुष्टि होती है। अखबार ने रक्षा मंत्रालय का पक्ष भी प्रकाशित किया है। इसके अनुसार हिन्दू का आलेख तथ्यात्मक रूप से गलत है। इसमें कोई नया तर्क नहीं है। भाजपा ने सौदे पर नए सवालों को टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट के तथाकथित क्लिन चिट का हवाला दिया। इसके बाद अखबार ने हिन्दू और उसके पूर्व संपादक एन राम की साख की चर्चा की है और आगे हिन्दू की रिपोर्ट के कुछ प्रमुख अंशो की चर्चा की है।

हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर अंदर के पन्ने पर है। शीर्षक है, राफेल विवाद पर कांग्रेस ने हमला किया, सरकार ने बचाव किया। अखबार ने सरकार की ओर से स्मृति ईरानी का बयान हाईलाइट किया है, ...... वे (कांग्रेस) बार-बार राजनीति की विद्वेषपूर्ण कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस की पोल खुल गई है। विपक्ष की तरफ से पी चिदंबरम का कोट हाइलाइट किया गया है जो इस प्रकार है, हिन्दू की खबर एनडीए में निर्णय लेने की प्रक्रिया के संबंध में कई अन्य गंभीर मुद्दे उठाती है। कहने की जरूरत नहीं है कि बाद हिन्दू अखबार की रिपोर्ट की हो रही हो तो कांग्रेस पर विद्वेषपूर्ण राजनीति की कोशिश करने का आरोप लगाना आरोपों का जवाब नहीं है। फिर भी ...।

इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस खबर को अंदर के पन्ने पर प्रकाशित किया है। कहें तो दो खबरें हैं। एक कांग्रेस के आरोप और भाजपा के जवाब की खबर है। इसमें पी चिदंबरम के मुकाबले स्मृति ईरानी हैं। और बातों के अलावा यहां स्मृति ईरानी के जवाब या आरोप का एक और अंश पढ़ने को मिला, " इस मामले में (कांग्रेस) पार्टी जो राजनीतिक खेल खेल रही है उसे जनता समझ जाएगी।" इससे ऐसा लगता है कि भाजपा कोई खेल नहीं खेल रही है या जो खेल रही है उसे जनता नहीं समझेगी। हालांकि, खबर का शीर्षक है, 36 विमानों की कीमत ज्यादा होने को कांग्रेस ने दसॉल्ट के लिए छप्पड़ फाड़ कहा तो भाजपा ने राजनीति, झूठ। दूसरी खबर रक्षामंत्रालय का बयान है। इसके मुताबिक, 126 रफाल करार की तुलना 36 विमान के सौदे से नहीं की जा सकती है। और यही इस खबर का शीर्षक है। आइए, अब देखें हिन्दी अखबारों में यह खबर कहां कैसे है।

हिन्दी के जो अखबार मैं देखता हूं उनमें सिर्फ नवभारत टाइम्स में यह खबर पहले पन्ने पर है और वह भी सिंगल कॉलम में छोटी सी। अन्दर विस्तार होने की सूचना जरूर है। दैनिक भास्कर, नवोदय टाइम्स, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, अमर उजाला और दैनिक जागरण में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। मुद्दा यह नहीं है कि खबर रफाल पर थी या सरकार के खिलाफ थी - इसलिए पहले पन्ने पर होनी चाहिए। मुद्दा यह है कि रफाल जैसे बड़े सौदे पर हिन्दू जैसे अखबार और एन राम जैसे पत्रकार ने अपनी खोज से एक विस्तृत जानकारी दी। उसपर कल राजनीतिक गलियारे में पर्याप्त चर्चा भी रही। सोशल मीडिया में भी रही और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला लेकिन खबर पहले पन्ने पर जगह नहीं बना पाई। स्थिति यह है कि खंडन और स्पष्टीकरण आरोप से ज्यादा और ज्यादा प्रमुखता से छपते हैं, दिखाई-सुनाई देते हैं।

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, 2007 में फ्रांस कंपनी दसॉल्ट एविएशन के साथ कांग्रेस गठबंधन वाली यूपीए सरकार ने 126 एयरक्राफ्ट के लिए समझौता किया था। इसमें प्रत्येक एयरक्राफ्ट की कीमत 79.3 मिलियन यूरो पड़ रही थी। इस डील के मुताबिक, 126 में से 108 एयरक्राफ्ट फ्रांस की मदद से हिंदुस्तान एयरनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में बनना था। 2011 में प्रति एयरक्राफ्ट कीमत 100.85 मिलियन यूरो हो गई थी। 2016 में सरकार ने 2011 में एनडीए सरकार के साथ हुए सौदे से 9 फीसदी छूट ली और फ्रांस की दसॉल्ट कंपनी से 36 विमान खरीदने के लिए सौदा किया। यह प्रति एयरक्राफ्ट 91.75 मिलियन यूरो की कीमत पर है। लेकिन इस सौदे में 'डिजाइन डेवलपमेंट'(या भारत की जरूरतों के अनुकूल बनाने) की वजह से प्रति एयरक्राफ्ट की कीमत 2007 की तुलना में 41.42 फीसदी की वृद्धि हो गई। इस हिसाब से प्रति एयरक्राफ्ट की कीमत 127.86 मिलियन यूरो है। आफ जानते हैं कि सरकार गोपनीयता की आड़ में कीमत नहीं बता रही है और आपके अखबार अटकलों पर संपादकीय कैंची चला रहे हैं।

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