जयपुर। केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आज ट्रेड यूनियनों का दो दिनों का भारत बंद है। मजदूर संगठनों की देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में खड़े डाइकिन AC नीमराना के मजदूरों की हड़ताल तुड़वाने के लिए बर्बर पिटाई किए जाने की खबर है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मजदूर संगठनों की देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में खड़े डाइकिन AC नीमराना के मजदूरों पर राजस्थान पुलिस ने मंगलवार दोपहर बाद फैक्ट्री गेट पर बर्बर लाठीचार्ज, वॉटर कैनन, आंसू गैस, हवाई फायरिंग की। इस पुलिसिया कार्रवाई में काफ़ी संख्या में मजदूर घायल हुए जिन्हें अस्पताल ले जाया गया।
पुलिस बल द्वारा की गई कार्रवाई में घायल मजदूरों ने कहा कि इस हिंसा की जिम्मेदार कंपनी प्रबंधन है जो कि पहले से ही बाउंसरों को इस्तेमाल कर और ठेका मजदूरों से जबरदस्ती काम करवा कर हड़ताल को तोड़ने की कोशिश कर रही थी।
आज जब सभी मजदूरों ने मिलकर एक शांतिकुंज लोकतांत्रिक रैली निकाली तब फैक्ट्री गेट पर पहुंचते ही, कंपनी प्रबंधन के साथ खड़ी हुई पुलिस ने यह हमला किया। इससे पहले 6 सालों तक कंपनी प्रबंधन मजदूरों के लोकतांत्रिक यूनियन बनाने के अधिकार को कुचलती आई हैं।
इतना ही नहीं, उच्च न्यायालय द्वारा मान्यता प्राप्त होने के बावजूद यूनियन का झंडा गेट पर लगाने से रोक रही हैं और मजदूरों को निलंबित, ट्रांसफर आदि करके और फर्जी केस दालके प्रताड़ित कर रही हैं। संगठन ने अपील की है कि मजदूरों के गणतांत्रिक अधिकारों के साथ समर्थन में खड़े हों।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मजदूर संगठनों की देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में खड़े डाइकिन AC नीमराना के मजदूरों पर राजस्थान पुलिस ने मंगलवार दोपहर बाद फैक्ट्री गेट पर बर्बर लाठीचार्ज, वॉटर कैनन, आंसू गैस, हवाई फायरिंग की। इस पुलिसिया कार्रवाई में काफ़ी संख्या में मजदूर घायल हुए जिन्हें अस्पताल ले जाया गया।
पुलिस बल द्वारा की गई कार्रवाई में घायल मजदूरों ने कहा कि इस हिंसा की जिम्मेदार कंपनी प्रबंधन है जो कि पहले से ही बाउंसरों को इस्तेमाल कर और ठेका मजदूरों से जबरदस्ती काम करवा कर हड़ताल को तोड़ने की कोशिश कर रही थी।
आज जब सभी मजदूरों ने मिलकर एक शांतिकुंज लोकतांत्रिक रैली निकाली तब फैक्ट्री गेट पर पहुंचते ही, कंपनी प्रबंधन के साथ खड़ी हुई पुलिस ने यह हमला किया। इससे पहले 6 सालों तक कंपनी प्रबंधन मजदूरों के लोकतांत्रिक यूनियन बनाने के अधिकार को कुचलती आई हैं।
इतना ही नहीं, उच्च न्यायालय द्वारा मान्यता प्राप्त होने के बावजूद यूनियन का झंडा गेट पर लगाने से रोक रही हैं और मजदूरों को निलंबित, ट्रांसफर आदि करके और फर्जी केस दालके प्रताड़ित कर रही हैं। संगठन ने अपील की है कि मजदूरों के गणतांत्रिक अधिकारों के साथ समर्थन में खड़े हों।