नई दिल्ली। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2013 से 2017 के बीच जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) में 49 बच्चों ने आत्महत्या की है। जिनमें से आधे बच्चे दलित और आदिवासी थे। वहीं इन 49 में लड़कों की संख्या भी ज्यादा है।
बता दें जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिभाशाली ग्रामीण बच्चों के लिए स्थापित स्कूल हैं। ये जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक इन 49 आत्महत्याओं में 7 छात्रों को छोड़कर बाकी 42 छात्रों ने फांसी लगा कर आत्महत्या की थी। वहीं शव को या तो किसी कर्मचारी ने देखा या फिर किसी स्कूल के ही छात्र ने। जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) की स्थापना 1985-86 के बीच हुई थी। इसके साथ ही इस स्कूल के बच्चों का रिजल्ट भी हमेशा से ही काफी अच्छा रहा है।
2012 से लगातार स्कूल का 10वीं का रिजल्ट 99 प्रतिशत और 12वीं का रिजल्ट 95 प्रतिशत रहा है। ऐसे में ये तो साफ है कि ये रिजल्ट प्राइवेट स्कूलों के राष्ट्रीय औसत से काफी अच्छ है। बता दें कि जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) हजारों गरीब बच्चों के लिए गरीबी से बाहर निकलने का एक अच्छा मौका होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में 14, 2016 में 12, 2015 में 8, 2014 में 7 और 2013 में 8 बच्चों ने आत्महत्या की थी। यानी 2017 में हर एक लाख बच्चों में से करीब 6 बच्चों ने आत्महत्या की थी। वहीं 2015 में ये डाटा हर एक लाख छात्र पर करीब 3 स्टूडेंट्स का था। हालांकि गौर करने वाली बात ये भी है कि ये डाटा आम आत्महत्याओं की संख्या से ज्यादा अलग नहीं हैं लेकिन जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) में आत्महत्या करने वालों में अधिकतम दलित छात्र शामिल हैं।
बता दें जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिभाशाली ग्रामीण बच्चों के लिए स्थापित स्कूल हैं। ये जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक इन 49 आत्महत्याओं में 7 छात्रों को छोड़कर बाकी 42 छात्रों ने फांसी लगा कर आत्महत्या की थी। वहीं शव को या तो किसी कर्मचारी ने देखा या फिर किसी स्कूल के ही छात्र ने। जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) की स्थापना 1985-86 के बीच हुई थी। इसके साथ ही इस स्कूल के बच्चों का रिजल्ट भी हमेशा से ही काफी अच्छा रहा है।
2012 से लगातार स्कूल का 10वीं का रिजल्ट 99 प्रतिशत और 12वीं का रिजल्ट 95 प्रतिशत रहा है। ऐसे में ये तो साफ है कि ये रिजल्ट प्राइवेट स्कूलों के राष्ट्रीय औसत से काफी अच्छ है। बता दें कि जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) हजारों गरीब बच्चों के लिए गरीबी से बाहर निकलने का एक अच्छा मौका होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में 14, 2016 में 12, 2015 में 8, 2014 में 7 और 2013 में 8 बच्चों ने आत्महत्या की थी। यानी 2017 में हर एक लाख बच्चों में से करीब 6 बच्चों ने आत्महत्या की थी। वहीं 2015 में ये डाटा हर एक लाख छात्र पर करीब 3 स्टूडेंट्स का था। हालांकि गौर करने वाली बात ये भी है कि ये डाटा आम आत्महत्याओं की संख्या से ज्यादा अलग नहीं हैं लेकिन जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) में आत्महत्या करने वालों में अधिकतम दलित छात्र शामिल हैं।