छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को धमाकेदार जीत मिली है। राज्य चुनाव में कांग्रेस की लहर का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि पार्टी को कुल 90 में से 68 सीटों पर जीत मिली है। चुनावी डेटा के आकलन से पता चलता है कि बीजेपी के जिन 15 विधायकों को कामयाबी मिली है, उन्हें भी अपनी जीत के लिए दूसरों को धन्यवाद देना चाहिए। बता दें कि 15 विधायकों में से सिर्फ तीन विधायक जिनमें सीएम रमन सिंह भी शामिल हैं, ने सीधे मुकाबले में कांग्रेस को शिकस्त दी। बाकी के 12 विधायकों को जीत उन परिस्थितियों में मिली, जब अच्छे खास वोट अजीत जोगी की पार्टी जेसीसी और बीएसपी गठबंधन या कांग्रेस बागियों को मिले।
कुरुद सीट का उदाहरण लें तो मंत्री अजय चंद्रकर इस सीट पर चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने 72,922 वोटों से जीत हासिल की। नंबर दो पर नीलम चंद्रकर रहीं जिन्हें 60,605 वोट मिले। कांग्रेस से टिकट न मिलने की वजह से नीलम ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी को महज 26,483 वोट मिले। वहीं, बगल के दमतारी सीट पर कांग्रेस के विधायक गुरमुख सिंह होरा को महज 464 वोटों से हार मिली। उन्हें बीजेपी प्रत्याशी रंजना कुमारी ने हराया। बीजेपी प्रत्याशी की जीत में निर्णायक भूमिका यूथ कांग्रेस नेता आनंद पवार की रही, जिन्हें 29,163 वोट मिले।
बाकी 10 अन्य सीटों पर तीसरे मोर्चे (जेसीसी (जोगी), बीएसपी, सीपीआई, जीजीपी) के प्रत्याशियों ने बीजेपी की जीत में भूमिका निभाई जिन्हें एंटी इनकंबेंसी के चलते अच्छे खासे वोट मिले। बीजेपी को इनमें से अधिकतर जीत उन इलाकों में मिली जहां जोगी की पार्टी और बीएसपी का अच्छा प्रभाव था। उदाहरण के तौर पर अकलतारा की बात करते हैं। बीजेपी प्रत्याशी सौरभ सिंह ने बीएसपी की रिचा जोगी को शिकस्त दी। सौरभ कभी बीएसपी प्रत्याशी रह चुके हैं। इस सीट पर कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। वहीं, बेलतारा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जीत का अंतर महज 6,259 वोटों का था। यहां जोगी की पार्टी के प्रत्याशी अनिल ताह को 38,308 वोट मिले।
जिन दो आदिवासी सीटों पर बीजेपी जीती, वहां सीपीआई और जीपीपी ने बहुत सारा एंटी इनकंबेंसी वोट अपने पाले में किया। दंतेवाड़ा में बीजेपी के भीमा मंडावी ने कांग्रेस प्रत्याशी देवती कर्मा को शिकस्त दी। देवती मारे गए कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी हैं। देवती को 2,172 वोटों से हार मिली जबकि इस सीट पर सीपीआई को 12,195 वोट मिले। वहीं, बिंद्रा नवागढ़ सीट पर बीजेपी की जीत का अंतर 10,430 वोटों का रहा, जबकि इस सीट पर जीजीपी को 19,022 वोट मिले। तीन बीजेपी विधायक जिन्होंने कांग्रेस को दो तरफा मुकाबले में शिकस्त दी, वे हैं- रमन सिंह, कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और वैशाली नगर के विद्या रतन भसीन।
कुरुद सीट का उदाहरण लें तो मंत्री अजय चंद्रकर इस सीट पर चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने 72,922 वोटों से जीत हासिल की। नंबर दो पर नीलम चंद्रकर रहीं जिन्हें 60,605 वोट मिले। कांग्रेस से टिकट न मिलने की वजह से नीलम ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी को महज 26,483 वोट मिले। वहीं, बगल के दमतारी सीट पर कांग्रेस के विधायक गुरमुख सिंह होरा को महज 464 वोटों से हार मिली। उन्हें बीजेपी प्रत्याशी रंजना कुमारी ने हराया। बीजेपी प्रत्याशी की जीत में निर्णायक भूमिका यूथ कांग्रेस नेता आनंद पवार की रही, जिन्हें 29,163 वोट मिले।
बाकी 10 अन्य सीटों पर तीसरे मोर्चे (जेसीसी (जोगी), बीएसपी, सीपीआई, जीजीपी) के प्रत्याशियों ने बीजेपी की जीत में भूमिका निभाई जिन्हें एंटी इनकंबेंसी के चलते अच्छे खासे वोट मिले। बीजेपी को इनमें से अधिकतर जीत उन इलाकों में मिली जहां जोगी की पार्टी और बीएसपी का अच्छा प्रभाव था। उदाहरण के तौर पर अकलतारा की बात करते हैं। बीजेपी प्रत्याशी सौरभ सिंह ने बीएसपी की रिचा जोगी को शिकस्त दी। सौरभ कभी बीएसपी प्रत्याशी रह चुके हैं। इस सीट पर कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। वहीं, बेलतारा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जीत का अंतर महज 6,259 वोटों का था। यहां जोगी की पार्टी के प्रत्याशी अनिल ताह को 38,308 वोट मिले।
जिन दो आदिवासी सीटों पर बीजेपी जीती, वहां सीपीआई और जीपीपी ने बहुत सारा एंटी इनकंबेंसी वोट अपने पाले में किया। दंतेवाड़ा में बीजेपी के भीमा मंडावी ने कांग्रेस प्रत्याशी देवती कर्मा को शिकस्त दी। देवती मारे गए कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी हैं। देवती को 2,172 वोटों से हार मिली जबकि इस सीट पर सीपीआई को 12,195 वोट मिले। वहीं, बिंद्रा नवागढ़ सीट पर बीजेपी की जीत का अंतर 10,430 वोटों का रहा, जबकि इस सीट पर जीजीपी को 19,022 वोट मिले। तीन बीजेपी विधायक जिन्होंने कांग्रेस को दो तरफा मुकाबले में शिकस्त दी, वे हैं- रमन सिंह, कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और वैशाली नगर के विद्या रतन भसीन।