1984 के सिख दंगों के दोषी को मौत की सजा, दूसरे को उम्रकैद

Written by Sabrangindia Staff | Published on: November 21, 2018
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को 1984 सिख दंगों के मामले में दो लोगों को सज़ा सुना दी  इस मामले में दोषी यशपाल को फांसी की सजा जबकि दूसरे दोषी नरेश सेहरावत को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है. दोनों को 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 15 नवंबर को दिल्ली के महिपालपुर में दो सिख युवकों की हत्या की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है. 



एसआईटी द्वारा दर्ज किए गए 5 मामलों में पहले मामले में यह फैसला आया है. कोर्ट ने कहा कि 1984 में जो कुछ हुआ, वह बेहद बर्बर था. 

1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में यह पहली मौत की सजा है. दोनों अभियुक्तों को 35-35 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. 

नरेश शेखावत और यशपाल सिंह को हरदेव सिंह और अवतार सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया है.

साल 1993 में हरदेव सिंह के भाई संतोख सिंह ने हत्या का मामला दर्ज कराया था. साक्ष्यों के अभाव में दिल्ली पुलिस 1994 में इस केस को बंद कर दिया था लेकिन एसआईटी ने इस मामले को फिर से खोला था.

रिपोर्ट के मुताबिक, एसआईटी ने एक बयान में कहा कि यह करीब 25 साल की उम्र के दो निर्दोष युवाओं की क्रूर हत्या थी. यह एक योजनाबद्ध हत्या थी क्योंकि आरोपी केरोसिन तेल, छड़ इत्यादि ले साथ ले जा रहे थे. 

जज ने सजा सुनाते हुए कहा कि सिंह और शेरावत ने उन पीड़ितों को घर से बाहर निकाला जो एक कमरे के अंदर छिप रहे थे. उन्हें मारने के इरादे से उनपर खतरनाकर हथियारों से हमला किया जिससे वह घायल हो गए और उन्हें पहली मंजिल से फेंक दिया था. 


एनटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, दो पीड़ितों के एक प्रत्यक्षदर्शी और रिश्तेदार ने कहा कि नीचे जमा भीड़ ने उनके मुंह में पेट्रोल और कुछ पाउडर डाला जिससे आग पकड़ गई. टायर जलाकर उनके गर्दन में टांग दिए गए थे. जैसे ही वे तड़प रहे थे तो हमलावर हंसते हुए कह रहे थे वे बंदरों की तरह नांच कर रहे हैं.  

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