केंद्र सरकार की बहुप्रचारित योजना को चुनावों से पहले ही बड़ा झटका लगा है। छत्तीसगढ़ के 500 प्राइवेट अस्पतालों ने इस योजना से अपने को अलग करने का ऐलान कर दिया है। अब प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान योजना का स्मार्ट कार्ड लेकर आने वालों को या तो लौटा दिया जाएगा या फिर उनसे पैसा जमा कराने को कहा जाएगा।
ऐसा हुआ तो आयुष्मान भारत योजना के तहत केवल सरकारी अस्पतालों में ही इलाज मिल पाएगा जिनकी हालत पहले से ही बेहद खराब चल रही है। आईएमए, हॉस्पीटल बोर्ड ने पैकेज रेट बढ़ाए जाने की मांग को लेकर इस योजना से अपने को अलग करने का ऐलान किया है, लेकिन अभी तक राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बोर्ड से कोई बात नहीं की है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक के इलाज का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ में ही किया था और 16 सितंबर से मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इसे राज्य में लागू कर दिया था, लेकिन दस दिन के अंदर ही योजना दम तोड़ने लगी है।
रविवार को आयुष्मान भारत योजना के रायपुर न्यू सर्किट हाउस में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर तो पहुंचे लेकिन आइएमए, हॉस्पिटल बोर्ड और अस्पताल संचालकों ने इसमें आना जरूरी नहीं समझा। आइएमए अध्यक्ष डॉ अशोक त्रिपाठी और एक निजी अस्पताल के डॉक्टर मात्र मौजूद रहे,जो बीच कार्यक्रम में से ही उठकर चले गए थे। बाकी लोग तो आए नहीं।
नईदुनिया की खबर के अनुसार, शहर के बड़े अस्पतालों ने केंद्र की इस योजना से किनारा कर लिया है, और केवल दो-चार अस्पताल ही इससे जुडे बचे हैं। वैसे भी बड़े अस्पताल तो आरएसबीवाइ, एमएसबीवाइ योजना भी लागू करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
प्राइवेट अस्पतालों के अनुसार, आयुष्मान योजना में कई सारी दिक्कतें हैं। इसमें सॉफ्टवेयर के कारण बहुत समय लगता है। कई बार मरीजों को भर्ती किया गया लेकिन डिस्चार्ज के समय सॉफ्टवेयर के जरिए डिस्चार्ज नहीं कर पाए, इसलिए क्लेम नहीं बन पाया और अस्पतालों को पेमेंट ही नहीं मिला। छोटे अस्पतालों को तो योजना में शामिल ही नहीं किया गया है। आयुष्मान मित्र की भी समस्या है और इंश्योरेंस कंपनी के ऑडिट में भी अव्यावहारिकता है।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ अशोक त्रिपाठी का कहना है कि आईएमए और स्वास्थ्य विभाग चर्चा कर चुके हैं, लेकिन समाधान कोई न निकला जिस कारण से मजबूरी में इलाज बंद करने का कड़ा फैसला लेना पड़ा है।
ऐसा हुआ तो आयुष्मान भारत योजना के तहत केवल सरकारी अस्पतालों में ही इलाज मिल पाएगा जिनकी हालत पहले से ही बेहद खराब चल रही है। आईएमए, हॉस्पीटल बोर्ड ने पैकेज रेट बढ़ाए जाने की मांग को लेकर इस योजना से अपने को अलग करने का ऐलान किया है, लेकिन अभी तक राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बोर्ड से कोई बात नहीं की है।
आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक के इलाज का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ में ही किया था और 16 सितंबर से मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इसे राज्य में लागू कर दिया था, लेकिन दस दिन के अंदर ही योजना दम तोड़ने लगी है।
रविवार को आयुष्मान भारत योजना के रायपुर न्यू सर्किट हाउस में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर तो पहुंचे लेकिन आइएमए, हॉस्पिटल बोर्ड और अस्पताल संचालकों ने इसमें आना जरूरी नहीं समझा। आइएमए अध्यक्ष डॉ अशोक त्रिपाठी और एक निजी अस्पताल के डॉक्टर मात्र मौजूद रहे,जो बीच कार्यक्रम में से ही उठकर चले गए थे। बाकी लोग तो आए नहीं।
नईदुनिया की खबर के अनुसार, शहर के बड़े अस्पतालों ने केंद्र की इस योजना से किनारा कर लिया है, और केवल दो-चार अस्पताल ही इससे जुडे बचे हैं। वैसे भी बड़े अस्पताल तो आरएसबीवाइ, एमएसबीवाइ योजना भी लागू करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
प्राइवेट अस्पतालों के अनुसार, आयुष्मान योजना में कई सारी दिक्कतें हैं। इसमें सॉफ्टवेयर के कारण बहुत समय लगता है। कई बार मरीजों को भर्ती किया गया लेकिन डिस्चार्ज के समय सॉफ्टवेयर के जरिए डिस्चार्ज नहीं कर पाए, इसलिए क्लेम नहीं बन पाया और अस्पतालों को पेमेंट ही नहीं मिला। छोटे अस्पतालों को तो योजना में शामिल ही नहीं किया गया है। आयुष्मान मित्र की भी समस्या है और इंश्योरेंस कंपनी के ऑडिट में भी अव्यावहारिकता है।
आईएमए के अध्यक्ष डॉ अशोक त्रिपाठी का कहना है कि आईएमए और स्वास्थ्य विभाग चर्चा कर चुके हैं, लेकिन समाधान कोई न निकला जिस कारण से मजबूरी में इलाज बंद करने का कड़ा फैसला लेना पड़ा है।