सरकारी बैंकों की उपेक्षा कर निजी क्षेत्र के बैंकों पर इतना प्यार क्यों लुटा रही मोदी सरकार

Written by Girish Malviya | Published on: August 21, 2018
आपको याद होगा कि कुछ दिनों पहले तक मोदी सरकार के नीति निर्धारक, बड़े बड़े उद्योगपति, ओर देश के महत्वपूर्ण व्यापारिक संगठन, सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंको के निजीकरण पर जोर दे रहे थे.



अब इस खबर को बैंको के निजीकरण के संबंध में समझने का प्रयास कीजिए जो कल आयी है

कल दूरसंचार विभाग ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की ओर से जारी बैंक गारंटी को कालीसूची में डाल दिया है. यह बैंक एयरसेल समूह के लिए जारी कुछ बैंक गारंटी पर विभाग को भुगतान करने में नाकाम रहा है यह खबर हमारे विमर्श से लापता हैं क्योंकि इसे इसी तरह से प्रस्तुत किया गया है

यह बेहद गलत बात है मीडिया इस खबर को ऐसे बना कर पेश कर रहा है कि जैसे दूरसंचार विभाग कोई सरकार से इतर संस्था है, एक सरकारी विभाग को बैंक ग्यारंटी का भुगतान करने से मना कर देना सरकार को बैंक गारंटी को भुगतान करने से मना कर देना है,

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का यह रुख भारत सरकार के साथ भरोसे और अनुबंध का गंभीर उल्लंघन है लेकिन कारपोरेट मीडिया इस खबर को दबाने में लगा है और यह सिर्फ स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के साथ ही नही हुआ है यही कार्य दूरसंचार विभाग के साथ एक्सिस बैंक द्वारा एक महीना पहले किया गया है ,

दूरसंचार विभाग द्वारा एक महीने पहले एक्सिस बैंक के बारे में नोटिस जारी करके कहा गया था कि इस ऋणदाता से कोई नई बैंक गारंटी स्वीकार नहीं की जाएगी। विभाग ने कहा है, 'एयरसेल ग्रुप ऑफ कंपनीज की ओर से जारी बैंक गारंटी को ऐक्सिस बैंक पूरा नहीं कर पाया जो कि भारत सरकार के साथ अनुबंध व भरोसे का गंभीर उल्लंघन है।' यही नोटिस कल स्टेंडर्ड चार्टर्ड बैंक के बारे में भी जारी किया गया है

यह निहायत ही गंभीर मामला है कि ये दोनों निजी क्षेत्र के बैंक सरकार को अपनी बैंक गारंटी का भुगतान नही कर रहे हैं लेकिन मोदी सरकार के सर में जू तक नही रेंग रही है यहाँ पर उनका छप्पन इंची सीना कहा चला जाता हैं अब इन दोनों खबरों की तुलना आप नीरव मोदी के पीएनबी घोटाले के साथ कीजिए मोटे तौर पर यह मामला भी एक तरह से बैंक गारंटी का ही था जो पीएनबी ने अपने बिहाफ पर जारी की थी लेकिन उसका भुगतान उसे करना जरूरी है इसके लिए वह दिल्ली में अपना पुराना कारपोरेट ऑफिस तक बेच रहा है लेकिन स्टेंडर्ड चार्टर्ड ओर एक्सिस बैंक पर ऐसा कोई दबाव नही डाला जा रहा कि उसने अपनी बैंक गारंटी का भुगतान क्यो नही किया.

क्या ये नही माना जाना चाहिए कि मोदी सरकार निजी क्षेत्र के बैंको को सरकारी दामाद बना रही है और जो सरकारी बैंक है उनसे पराया व्यहवार कर रही है.

सच तो यह है कि 1990 के आर्थिक सुधारों के बाद से उद्योग घरानों ने ही बैंकों को लूटा है सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक संकट में उद्योगपतियों ने ही डाला है.

और कमाल की बात यह है कि निजीकरण के तहत इन बैंकों को एक तरह से उनके ही क़ब्ज़े में देने की बातें की जाती है ताकि मोदी सरकार के चहेते अडानी अम्बानी जैसे उद्योगपति खुल कर देश की दौलत को दोनों हाथ से लूट सके और आप ओर हम जैसे ईमानदार लोग मेहनत करके कमाया गया बैंको में जमा पैसा इन भूखे भेड़ियों के हवाले कर सके.

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