मध्यप्रदेश में सरकार ने हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। उधर हड़ताली डॉक्टर झुकने को तैयार नहीं है। ऐसे में हड़ताल लंबी खिंचने और स्वास्थ्य सेवाओं के चरमराने की आशंका बढ़ने लगी है।

सरकार ने 24 जूनियर डॉक्टरों को निष्कासित कर दिया है और 21 का पंजीयन रद्द करने की सिफारिश मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल से की है।
हड़ताली नर्सों का भी पंजीयन रद्द करने के लिए नर्सिंग काउंसिल को निर्देश सरकार ने दिए हैं। जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड में बढ़ोतरी करने की मांग कर रहे हैं, जबकि स्वशासी कर्मचारी सातवें वेतनमान की मांग कर रहे हैं।
सरकार ने हड़तालियों की किसी भी मांग पर ध्यान न देते हुए निष्कासित जूनियर डॉक्टरों से छात्रावास खाली कराने के निर्देश दिए हैं। बर्खास्त नर्सों की जगह नई भर्ती की तैयारी की जा रही है।
नईदुनिया के अनुसार, निष्कासन के नोटिस के बाद भी ज्वाइन न करने वाले 4 जूनियर डॉक्टरों को कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया है। संयुक्त मोर्चा चिकित्सा शिक्षा कर्मचारी संघ के 6 पदाधिकारी भी निष्कासित कर दिए गए हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन ने हड़ताली डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी है और अब उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।
मेडिकल कॉलेजों की हड़ताल खत्म कराने के लिए अब तक इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा मेडिकल कॉलेज में 20 जूडा पदाधिकारियों को निष्कासित कर दिया गया है। रीवा और जबलपुर में नर्सेस एसोसिएशन के 8 पदाधिकारियों को भी निष्कासित किया गया है।
सरकार ने हड़ताल को बेअसर करने के लिए नए मेडिकल कॉलेजों से ढाई सौ से ज्यादा डॉक्टर भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर भेजे गए हैं। पीजी पाठ्यक्रम में एक माह पहले दाखिला लेने वाले छात्रों को उनके खिलाफ कार्रवाई के नोटिस दिए जा चुके हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि स्टाइपेंड नहीं बढ़ाया जाएगा और जूनियर डॉक्टरों को किसी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी।
साथ ही अब छात्रों से दाखिले के समय ही ये शपथ पत्र लिया जाएगा कि वे हड़ताल पर नही जाएंगे और अगर गए तो उनसे निजी मेडिकल कॉलेजों में लगने वाली तकरीबन 10 लाख रुपए की फीस वसूली जाएगी।

सरकार ने 24 जूनियर डॉक्टरों को निष्कासित कर दिया है और 21 का पंजीयन रद्द करने की सिफारिश मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल से की है।
हड़ताली नर्सों का भी पंजीयन रद्द करने के लिए नर्सिंग काउंसिल को निर्देश सरकार ने दिए हैं। जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड में बढ़ोतरी करने की मांग कर रहे हैं, जबकि स्वशासी कर्मचारी सातवें वेतनमान की मांग कर रहे हैं।
सरकार ने हड़तालियों की किसी भी मांग पर ध्यान न देते हुए निष्कासित जूनियर डॉक्टरों से छात्रावास खाली कराने के निर्देश दिए हैं। बर्खास्त नर्सों की जगह नई भर्ती की तैयारी की जा रही है।
नईदुनिया के अनुसार, निष्कासन के नोटिस के बाद भी ज्वाइन न करने वाले 4 जूनियर डॉक्टरों को कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया है। संयुक्त मोर्चा चिकित्सा शिक्षा कर्मचारी संघ के 6 पदाधिकारी भी निष्कासित कर दिए गए हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन ने हड़ताली डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी है और अब उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।
मेडिकल कॉलेजों की हड़ताल खत्म कराने के लिए अब तक इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा मेडिकल कॉलेज में 20 जूडा पदाधिकारियों को निष्कासित कर दिया गया है। रीवा और जबलपुर में नर्सेस एसोसिएशन के 8 पदाधिकारियों को भी निष्कासित किया गया है।
सरकार ने हड़ताल को बेअसर करने के लिए नए मेडिकल कॉलेजों से ढाई सौ से ज्यादा डॉक्टर भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और इंदौर भेजे गए हैं। पीजी पाठ्यक्रम में एक माह पहले दाखिला लेने वाले छात्रों को उनके खिलाफ कार्रवाई के नोटिस दिए जा चुके हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि स्टाइपेंड नहीं बढ़ाया जाएगा और जूनियर डॉक्टरों को किसी प्रकार की रियायत नहीं दी जाएगी।
साथ ही अब छात्रों से दाखिले के समय ही ये शपथ पत्र लिया जाएगा कि वे हड़ताल पर नही जाएंगे और अगर गए तो उनसे निजी मेडिकल कॉलेजों में लगने वाली तकरीबन 10 लाख रुपए की फीस वसूली जाएगी।