2022 तक भारत मे सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी चालू हो जाएगी क्योकि अमेरिका- सऊदी अरब ऐसा चाहते हैं

Written by Girish Malviya | Published on: July 7, 2018
2022 तक भारत मे बुलेट ट्रेन चले न चले लेकिन 2022 तक भारत मे दुनिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी चालू हो जाएगी क्योकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ओर सऊदी अरब ऐसा चाहते हैं.



इसी हफ़्ते समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने तेल इंडस्ट्री के सूत्रों के हवाले से ख़बर दी थी कि सऊदी अरब जुलाई महीने से हर दिन एक करोड़ दस लाख बैरल तेल का उत्पादन करेगा ठीक उसी वक्त अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ट्वीट करके कहा है कि उन्होंने सऊदी अरब से तेल उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया था और वो इसके लिए राज़ी हो गया है.

राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि सऊदी अरब क़रीब 20 लाख बैरल तेल उत्पादन बढ़ाएगा ताकि वेनेज़ुएला और ईरान की कमी की भारपाई हो सके लेकिन प्रश्न यह उठता है कि यदि इतना तेल उत्पादन होगा तो सऊदी अरब इस तेल को खपायेगा कहा ? तेल सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था का आधार है और जैसे ही ट्रंप ने ईरान पर दोबारा परमाणु प्रतिबंध की बात करना शुरु की थी सऊदी अरब की सरकारी तेल कम्पनी सऊदी अरामको पूरे विश्व मे अपना तेल उत्पादन के खरीददारों को खोजने निकल गयी, भारत में महाराष्ट्र के रत्नगिरि जिले में प्रस्तावित परियोजना में उसे अपना भविष्य नजर आ गया महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में विश्व का सबसे बड़ा रिफाइनरी प्रोजेक्ट प्रस्तावित है लेकिन इस इलाके में रिफाइनरी प्रोजेक्ट का भारी विरोध हो रहा हैं क्योंकि इस परियोजना के लिए 14 लाख से ज्यादा आम के पेड़ों और करीब छह लाख काजू के पेड़ काटे जाएंगे यहाँ बड़े पैमाने पर जमीन गुजरात के निवेशकों ने खरीद ली हैं.

ट्रम्प के ईरान पर प्रतिबंध लगाने के तुंरन्त बाद सऊदी अरब की सरकारी कम्पनी सऊदी अरामको ने इस परियोजना में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का फ़ैसला किया क्योंकि अरामको को इसमे तीन करोड़ टन कच्चे तेल का खरीदार मिल रहा है कंपनी इस परियोजना के लिए 50% कच्चे तेल की आपूर्ति करेगी। इस परियोजना में बाकी 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी इंडियन ऑइल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम की रहेगी करीब 44 अरब डॉलर यानी तीन लाख करोड़ रुपये वाली इस रिफाइनरी की सालाना क्षमता छह करोड़ टन सालाना की होगी यह दुनिया की सबसे बड़ी सिंगल लोकेशन तेल रिफाइनरी परियोजना होगी, जिसके पास प्रतिवर्ष 60 मिलियन टन कच्चे तेल के प्रसंस्करण की क्षमता होगी.

कुल मिलाकर देखा जाए तो इस तरह के सौदे से भारत ओपेक देशो के जाल में फसता हुआ नजर आ रहा है अब वह मनमाने ढंग से कीमतों को बढाएंगे ओर भारत को उनसे तेल खरीदना एक मजबूरी बन जाएगा ओर एक महत्वपूर्ण बात यह है कि ईरान की इस तरह से घेराबंदी करने से पूरी दुनिया मे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है.

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