जयपुर में जयपुर विकास प्राधिकरण ने सिद्धार्थ नगर के पॉश इलाके की शान में बाधा बन रही एक बंजारा बस्ती को मंगलवार को बुलडोजर से ध्वस्त करने की कोशिश की।

दैनिक भास्कर ने खबर दी है कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर बंजारा बस्ती को उजाड़ने की कार्रवाई का भारी विरोध हुआ, जिसके बाद जेडीए के दस्ते को वापस लौटना पड़ा।
लोगों ने बताया कि बुलडोजर लेकर जेडीए के अधिकारी बिना किसी सूचना के आ धमके और झुग्गियों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया। इस दौरान एक झुग्गी में सो रहे एक बुजुर्ग को गंभीर चोटें आईं और उसके गले और हाथ से खून बहने लगा। इसके बाद झुग्गीवासी विरोध पर उतर आए।
बवाल बढ़ता देख, जेडीए का दस्ता वापस लौट गया।
जेडीए अधिकारियों का कहना है कि वे बस्ती नहीं बल्कि फुटपाथ पर हुए अतिक्रमण को हटाने आए थे, लेकिन वास्तव में वहां कोई फुटपाथ है ही नहीं। मुख्य प्रवर्तन अधिकारी राजेंद्र सिंह सिसोदिया भी यही कह रहे हैं कि जेडीए ने सड़क के फुटपाथ पर से ही अतिक्रमण हटाया है, जबकि झुग्गीवासियों का कहना है कि करीब आधा दर्जन झुग्गियां तोड़ दी गईं और एक बुजुर्ग पर जेसीबी मशीन ही चढ़ा दी गई, जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गया।
झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों का कहना है कि वे करीब 20 सालों से यहां रहते आए हैं, लेकिन जेडीए के कर्मचारियों ने बिना किसी सूचना के उनकी झुग्गियां गिराना शुरू कर दीं और महिलाओं के साथ बदसलूकी की। जेडीए के अधिकारी ये भी मानने को तैयार नहीं हैं कि किसी व्यक्ति को चोट लगी है।
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, झुग्गीवासी अपना सामान हटाने के लिए कुछ समय मांग रहे थे, लेकिन अधिकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी। झुग्गी बस्ती हटाए जाने की खबर मिलते ही मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंचे।
इन लोगों का कहना है कि झुग्गियों में रहने वाले ज्यादातर लोग मेहनत मजदूरी करने वाले हैं और इनका पुनर्वास किए बिना इनकी झुग्गियां तोड़ना गलत है।

दैनिक भास्कर ने खबर दी है कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर बंजारा बस्ती को उजाड़ने की कार्रवाई का भारी विरोध हुआ, जिसके बाद जेडीए के दस्ते को वापस लौटना पड़ा।
लोगों ने बताया कि बुलडोजर लेकर जेडीए के अधिकारी बिना किसी सूचना के आ धमके और झुग्गियों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया। इस दौरान एक झुग्गी में सो रहे एक बुजुर्ग को गंभीर चोटें आईं और उसके गले और हाथ से खून बहने लगा। इसके बाद झुग्गीवासी विरोध पर उतर आए।
बवाल बढ़ता देख, जेडीए का दस्ता वापस लौट गया।
जेडीए अधिकारियों का कहना है कि वे बस्ती नहीं बल्कि फुटपाथ पर हुए अतिक्रमण को हटाने आए थे, लेकिन वास्तव में वहां कोई फुटपाथ है ही नहीं। मुख्य प्रवर्तन अधिकारी राजेंद्र सिंह सिसोदिया भी यही कह रहे हैं कि जेडीए ने सड़क के फुटपाथ पर से ही अतिक्रमण हटाया है, जबकि झुग्गीवासियों का कहना है कि करीब आधा दर्जन झुग्गियां तोड़ दी गईं और एक बुजुर्ग पर जेसीबी मशीन ही चढ़ा दी गई, जिससे वह बुरी तरह से घायल हो गया।
झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों का कहना है कि वे करीब 20 सालों से यहां रहते आए हैं, लेकिन जेडीए के कर्मचारियों ने बिना किसी सूचना के उनकी झुग्गियां गिराना शुरू कर दीं और महिलाओं के साथ बदसलूकी की। जेडीए के अधिकारी ये भी मानने को तैयार नहीं हैं कि किसी व्यक्ति को चोट लगी है।
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, झुग्गीवासी अपना सामान हटाने के लिए कुछ समय मांग रहे थे, लेकिन अधिकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी। झुग्गी बस्ती हटाए जाने की खबर मिलते ही मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंचे।
इन लोगों का कहना है कि झुग्गियों में रहने वाले ज्यादातर लोग मेहनत मजदूरी करने वाले हैं और इनका पुनर्वास किए बिना इनकी झुग्गियां तोड़ना गलत है।