आखिर देश की जनता अपनी बर्बादियों का जश्न मनाए भी तो कैसे ?

Written by गिरीश मालवीय | Published on: May 13, 2018
क्या बात है ! इस बार मोदीजी ने अपनी सरकार के 4 साल पूरा होने का जश्न मनाने के आदेश अब तक नही दिए ? दरअसल उन्हें डर है कि जनता पूछेगी कि आपने इन 4 सालो में क्या किया तो जवाब क्या देंगे? 



दरअसल देश की अर्थव्यवस्था को तो पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है इन्होंने, .......सार्वजनिक क्षेत्र के (पीएसयू) बैंक 1969 में हुए नेशनलाइजेशन के बाद सबसे बड़ी क्राइसिस से गुजर रहे हैं। उनका प्रॉफिट अभी 10 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है

डॉलर के मुकाबले गिरता रुपया देश की प्रतिष्ठा को रोज गिरा रहा है , विदेशी निवेशक अपना पैसा धड़ाधड़ निकाल रहे हैं, मार्च में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की ग्रोथ 4.4 फीसदी रह गई जो बीते 5 महीने का सबसे निचला स्तर है, व्यापार घाटा उच्चतम स्तर पर है, क्या यही उनका मास्टर स्ट्रोक था ?

आज खबर आयी हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र के यूको बैंक का शुद्ध घाटा 31 मार्च 2018 को समाप्त तिमाही में चार गुना बढ़कर 2,134.36 करोड़ रुपये हो गया. वहीं केनरा बैंक को चौथी तिमाही में 4,860 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. एक अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी बैंक इलाहाबाद का NPA बढ़ जाने से 3,509.63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है

एसबीआई भारत की कुल बैंकिंग का एक चौथाई हैं उसे भी अक्टूबर-दिसंबर के 3 महीने में 2,416 करोड़ का घाटा हुआ है

निजी बैंक भी क्राइसिस से जूझ रहे हैं ICICI बैंक का स्टैंड-अलोन शुद्ध मुनाफा 50 फीसद गिरकर 1,020 करोड़ रुपये रह गया, 2018 की चौथी तिमाही में एक्सिस बैंक को 2,188 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, ओरियंटल बैंक आॅफ काॅमर्स का शुद्ध घाटा 31 दिसंबर को समाप्त चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बढ़कर 1,985.42 करोड़ रुपये पर पहुंच गया.

NPA, नोटबन्दी, ओर GST पर तो इतना लिखने को हैं कि पन्ने के पन्ने भी कम पड़े, जिस तरह का इकनॉमिक डिजास्टर मोदी के 4 सालो में देखने को आया है वह 2014 में अच्छे दिनों का सपना देखने वालों ने कभी सोचा भी नही होगा, आखिर देश की जनता अपनी बर्बादियों का जश्न मनाए भी तो कैसे ?

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)

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