नई दिल्ली. एआईयूडीएफ अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल की राजनीति रसूख ने असम में कांग्रेस का सफाया किया तो भाजपा की ताकत बढ़ी. लेकिन 2005 से 2018 तक अजमल ने जितनी लोकतांत्रिक शक्ति बटोरी है उससे भाजपा को भी खतरा है. ऐसे में सेनाध्यक्ष बिपिन रावत का बयान सुर्खियों में है. सोशल मीडिया पर यह मामला लगातार सेनाध्यक्ष के मनसूबों पर सवाल उठा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शेष लिख रहे हैं....
क्या सेनाध्यक्ष विपिन रावत ने सिर्फ मनोरंजन के लिए 'लेबेंस्रॉम' से लैस वह भयानक बयान दिया है..?
तो क्या भारत में भी हिटलर के 'नस्लीय सफाए' के बर्बर सिद्धांत पर चल कर एक भयावह कत्लेआम की जमीन रची जा रही है..? इसमें किस-किस 'नस्ल' को साफ या खत्म किया जाने की योजना है? भारत में कौन-सी जाति या नस्ल है जो खुद को बाकी सबसे 'श्रेष्ठ' मानती है और उसे हिटलर के नाजी जर्मनी का 'लेबेंस्रॉम' पैमाना सूट करता है, जिसके तहत वह भारत में अपने से 'कमतर' या 'निम्नतर' नस्ल या जाति को पूरी तरह खत्म कर देने को अपना नैतिक अधिकार मानना चाहती है? क्या भारत को सचमुच उस रास्ते पर आगे बढ़ाया जा रहा है..?
और...! भारत के तमाम जनवादी समूह या गैर संघी-भाजपाई राजनीतिक पार्टियां इस 'लेबेंस्रॉम' के हथियार से करोड़ों लोगों के कत्लेआम की जमीन रचे जाते हुए चुपचाप देखती रहेंगी..? यह याद रखना जाना चाहिए कि अगर ऐसा होता है तो इतिहास कै पन्नों पर अपराधी के तौर पर केवल संघियों का नाम नहीं लिखा जाएगा..!
Mukesh Aseem लिखते हैं...
जनरल ने जो शब्द प्रयोग किया था - लेबेन्स्रॉम (lebensraum)
आप्रवास संबंधी भाषण में बिपिन रावत ने जो शब्द प्रयोग किया वह नाजी सिद्धांत था जिसके अनुसार श्रेष्ठ आर्यन जर्मन जाति को अपने भौगोलिक निवास क्षेत्र के विस्तार हेतु यहूदियों, रोमा या जिप्सी, स्लाव (पूर्व यूरोपीय लोग) को जबरदस्ती हटाने का 'नैतिक अधिकार' था. कई करोड़ लोगों की हत्या और सोवियत संघ सहित पूर्व यूरोप के देशों पर आधिपत्य के युद्ध के लिए जर्मन जनता को इसी सिद्धांत के आधार पर लामबंद किया गया था.
स्पष्ट है कि इरादे क्या, और कहां तक हैं.
क्या सेनाध्यक्ष विपिन रावत ने सिर्फ मनोरंजन के लिए 'लेबेंस्रॉम' से लैस वह भयानक बयान दिया है..?
तो क्या भारत में भी हिटलर के 'नस्लीय सफाए' के बर्बर सिद्धांत पर चल कर एक भयावह कत्लेआम की जमीन रची जा रही है..? इसमें किस-किस 'नस्ल' को साफ या खत्म किया जाने की योजना है? भारत में कौन-सी जाति या नस्ल है जो खुद को बाकी सबसे 'श्रेष्ठ' मानती है और उसे हिटलर के नाजी जर्मनी का 'लेबेंस्रॉम' पैमाना सूट करता है, जिसके तहत वह भारत में अपने से 'कमतर' या 'निम्नतर' नस्ल या जाति को पूरी तरह खत्म कर देने को अपना नैतिक अधिकार मानना चाहती है? क्या भारत को सचमुच उस रास्ते पर आगे बढ़ाया जा रहा है..?
और...! भारत के तमाम जनवादी समूह या गैर संघी-भाजपाई राजनीतिक पार्टियां इस 'लेबेंस्रॉम' के हथियार से करोड़ों लोगों के कत्लेआम की जमीन रचे जाते हुए चुपचाप देखती रहेंगी..? यह याद रखना जाना चाहिए कि अगर ऐसा होता है तो इतिहास कै पन्नों पर अपराधी के तौर पर केवल संघियों का नाम नहीं लिखा जाएगा..!
Mukesh Aseem लिखते हैं...
जनरल ने जो शब्द प्रयोग किया था - लेबेन्स्रॉम (lebensraum)
आप्रवास संबंधी भाषण में बिपिन रावत ने जो शब्द प्रयोग किया वह नाजी सिद्धांत था जिसके अनुसार श्रेष्ठ आर्यन जर्मन जाति को अपने भौगोलिक निवास क्षेत्र के विस्तार हेतु यहूदियों, रोमा या जिप्सी, स्लाव (पूर्व यूरोपीय लोग) को जबरदस्ती हटाने का 'नैतिक अधिकार' था. कई करोड़ लोगों की हत्या और सोवियत संघ सहित पूर्व यूरोप के देशों पर आधिपत्य के युद्ध के लिए जर्मन जनता को इसी सिद्धांत के आधार पर लामबंद किया गया था.
स्पष्ट है कि इरादे क्या, और कहां तक हैं.