आप बड़े चालाक हैं। स्वतंत्रता के बाद 30 साल तक संसद में बात करते रहे कि आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए।
हम कहते रहे कि क्या आप रेलवे स्टेशन से भिखारी पकड़कर आई ए एस बनाना चाहते हैं ?
आप कहते रहे कि नहीं, हम मिनिमम क्वालिफिकेशन तय कर गरीबों में कम्पटीशन कराकर योग्य गरीब चुनेंगे!
हम कहते रहे कि भारत मे जातीय आधार पर भेदभाव किया गया है जिससे सामाजिक शैक्षणिक विषमता रही है।
हम कहते रहे कि साहेब आप बहुत चालू हैं। हमारे यहां एमजी इंटर कालेज में 100% कायस्थ, एमपी इंटर कालेज में 100% क्षत्रिय पुरुष मास्टर हैं। आप चाहते हैं कि आपकी बात मान लें। 30% आरक्षण आर्थिक आधार पर हो जाए। उसके बाद आप 70% क्षत्रिय, कायस्थ पुरुष योग्यता के आधार पर और 30% क्षत्रिय, कायस्थ पुरुष गरीबी के आधार पर रख लें? हम कहां जाएंगे?
साहेब सचमुच आप बहुत चालाक हैं। 30 साल संसद में चर्चा कर टाइम काट दिए। 30 साल आरक्षण लागू हुए हुआ। अभी केंद्र सरकार की नौकरियों में सिर्फ 12% ओबीसी हैं। पावर सेंटर्स यानी सचिवालय में आईएएस खोजें तो एक भी नहीं घुसने दिया अब तक, किसी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कुलपति तक नहीं बनने दिया। इस पर चर्चा न कराकर ओबीसी को भी बहका रहे हैं कि सारा आरक्षण अहीर खा गए क्योंकि वो आर्थिक रूप से सक्षम हैं ? बताइए न कि देश मे कितनी सेंट्रल यूनिवर्सिटी, iim, iit हैं और उन पर हेड कितने अहीर हैं?
आप सचमुच बहुत नीच, कमीने और गिरे हुए हैं। आपको मां बहन की गाली नहीं दे सकता क्योंकि मां बहन को भी आप नीच समझते हैं। उनको भी पढ़ने लिखने और सत्ता और रोजगार के गलियारे में आपने घुसने न दिया।