हलाला कर रहे मौलानाओ के खिलाफ फतवा जारी : मुफ़्ती -ए -बनारस और इमाम का एलान.
अगस्त १७ की सुबह में, इंडिया टुडे की "इन्वेस्टीगेशन टीम" ने कुछ मौलानाओ द्वारा हलाला के नाम पर हरकत करने वाली बात सामने लायी थी। इस "इन्वेस्टीगेशन टीम " की रिपोर्ट को देखने और सुनने पर बहुत सारे सवाल खड़े होते है, जैसे की नाम और जानकारी के सुबूत। फिर भी,
क्यों की मसला महिला और औरतों के हक़ूक़ का है और देश और दुनिया में इस्लाम धर्म पर "फोबिया " भी बार बार खड़ा किया जा रहा है, इसलिए, sabrangindia की टीम ने मुफ़्ती-ए - बनारस अब्दुल बातिन साहब और इमाम व खातिब उस्मानिया जामा मस्जिद वाराणसी, मौलाना मोहम्मद हारून रशीद साहब नक्शबंदी से इस्लामी तरीके से यह मामलों पर सवाल किये. दोनों मुफ़्तियोंने स्पष्ट शब्दों में फतवा एलान करके ऐसी हरकतों का निन्दन किया है ।
इस एक रात के लिए ये लोग फीस 20 हज़ार से लेकर डेढ़ लाख तक लेते है । आप इसे इस्लामी नज़रिये से क्या कहेगे ? साथ ये भी वाज़ेह करदे के ऐसे मौलवीयों के बाबत शरई हुकुम क्या है ? और उनके साथ क्या सलूख करना चाहिए ? कुछ खास मौलाना जिन्होने रूपेय लेकर हलाला करने की बात इंडिया टी वी पर कुबूल व एक़रार की है उनके नाम मुंदरजा ज़ैल है ।
डॉ मुनीज़ा रफ़ीक़ खान (सामाजिक कार्यकर्ती)
दी गंधियान इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडीस कैम्पस
राजघाट, वाराणसी
बखिदमत मौलाना अब्दुल बातिन साहब “मुफ्ती –ए –बनारस”
सूरतेय मसलह मे मज़्कूरह टीवी चैनल की तहकीकाती टीम के जरियह पेश करदह प्रोग्राम अगर वाकियतन सच और सही है तो उन मौलवीयों का ये अपना ज़ाती फ़ेल है और इनके इस फ़ेल का मजहब इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है । उनकी इस हरकत पर जितनी भी मज़म्मत की जाय कम है । अगर वाकियतन इन लोगो ने ऐसी गंदी, घिनाओनी, घटिया व नापाक हरकत का इर्तेकाब किया है तो वो शरअन, कानूनन एखलाकन किसी भी तरह सही नही है । लिहाजा उनलोगों पर लाज़िम है के अपने इस बद तरीन अमल से फौरी तौर पर तौबा व असतगफार कर ले वरना इंदल लाह सख्त मोवाखीजा होगा । अगर ये लोग बाद तौबा व असतगफार अपनी इस नापाक हरकत से बाज़ आ जाये तो ठीक है वरना जिम्मेदारान कौम व समाज को इस बात का हक हासिल है के उनकी इसलाह हाली के लिए उनके खिलाफ फौरी तौर पर ता देबी कार्यवायी करे । कमा कालल्लाहो फला तकइद बादलज़िकरा मअल कौमुज ज़ालिमीन। ( अल इनआम- 68 ) हाजा अमा ज़हरी व अल्लाहो तअ।ला।
(दारुल इफ्ता इब्राहीमी )
25 जिल कादा 38 हिजरी मुताबिक 17 अगस्त 2017 ई
सूरतेय मअल्ला मे अगर वाकयातन एह टफ अन एहजा मे मुतज करह अफराद के हक मे ये बात पाय ए सबूत तक पहुचती है और तसदीक हो जाती है के ये लोग किसी मूताललिका औरत से उसके शौहर अव्वल के लिए हलाल होने के खातिर अपनी मुजदीना फीस ( नकद रकम ) खवा कम हो या ज़्यादा लेते है और इस अमल को बतौर पेशा अख़्तियार किए हुये है तो ऐसे लोग इस्लामी कानून और जाप्ते के तहत सख्त और बाद तरीन गुनहगार है । उनका ये अमल हराम और उनके लिए अकाब व अताब का मोअजजीब अगर यह लोग इस पे है तो अकअन ऐसे लोगो से आम मुसलमानो को कता ताल्लुक (समाजी बाइकाट ) कर लेना चाहिए क्यूकि इस बाबत अल्लाह का साफ फरमान है के यौम लोग गुनाहो के कामो मे मदद न करो । फलह त आ वनु आ लाह अल अल्लाह वल अदुवान ( कुरान –ए –हकीम )
हाजा इंदा व अल्लाह आलम बिस सवाब .........
25 जिल कादा 38 हिजरी मुताबिक 17 अगस्त 2017 ई
फतवा लेने के लिए पूछा गया सवाल
क्या फरमाते है ओल्माएदीन व मुफ्तीयान शरय मोतय्यइन इस मस्लये मे के दिनांक 16 अगस्त 2017 को इंडिया टी वी चैनल की तहकीकाती टीम ने अपने चैनल पर यह expose किया है के कैसे मुस्लिम मजहब के कुछ मौलाना (मजहबी रहनुमा ) पैसा लेकर तिलक शुदा औरतों की खातिर एक रात के लिए हलाला करते है।
इस एक रात के लिए ये लोग फीस 20 हज़ार से लेकर डेढ़ लाख तक लेते है । आप इसे इस्लामी नज़रिये से क्या कहेगे ? साथ ये भी वाज़ेह करदे के ऐसे मौलवीयों के बाबत शरई हुकुम क्या है ? और उनके साथ क्या सलूख करना चाहिए ? कुछ खास मौलाना जिन्होने रूपेय लेकर हलाला करने की बात इंडिया टी वी पर कुबूल व एक़रार की है उनके नाम निम्न है ।
प्रश्नकर्ती
डॉ मुनीज़ा रफ़ीक़ खान (सामाजिक कार्यकर्ती)
दी गंधियान इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडीस कैम्पस
राजघाट, वाराणसी
बखिदमत मौलाना अब्दुल बातिन साहब
“मुफ्ती –ए –बनारस”
मुफ्ती-ए बनारस का जवाब
सवाल किए हुये मसले मे टीवी चैनल की तहकीकाती टीम के जरियह पेशकदा प्रोग्राम अगर हक़ीक़त मे सच और सही है तो उन मौलवीयों का ये अपना ज़ाती कार्य (खेल) है और इनके इस कार्य का मजहब से कोई ताल्लुक नहीं है । उनकी इस हरकत पर जितनी भी मज़म्मत (निंदा) की जाय कम है । अगर हक़ीक़त मे इन लोगो ने ऐसी गंदी, घिनाओनी, घटिया व नापाक हरकत किया है तो ये लोग शरीयत, कानूनन व एखलाक के एतबार से किसी भी तरह सही नही है । लिहाजा उनलोगों पर लाज़िम है के अपने इस बदतरीन अमल से फौरी तौर पर तौबा कर ले वरना अल्लाह के नज़दीक उनकी सख़्त पकड़ होगी। अगर ये लोग बाद तौबा अपनी इस नापाक हरकत से बाज़ आ जाये तो ठीक है वरना जिम्मेदारान कौम व समाज को इस बात का हक हासिल है के इनको दुरुस्त करने के लिय उनके खिलाफ फौरी तौर पर कार्यवायी करे । जैसा की अल्लाह का फरमान है कमा कालल्लाहो फला तकइद बादलज़िकरा मअल कौमुज ज़ालिमीन। हाजा अमा ज़हरी व अल्लाहो तअ।ला। ( कुरान: 6 : 68 ) (दारुल इफ्ता इब्राहीमी )
25 जिल कादा 38 हिजरी मुताबिक 17 अगस्त 2017 ई
The Original Fatwas given in URDU may be read here. Sabrangindia has the Originals
अगस्त १७ की सुबह में, इंडिया टुडे की "इन्वेस्टीगेशन टीम" ने कुछ मौलानाओ द्वारा हलाला के नाम पर हरकत करने वाली बात सामने लायी थी। इस "इन्वेस्टीगेशन टीम " की रिपोर्ट को देखने और सुनने पर बहुत सारे सवाल खड़े होते है, जैसे की नाम और जानकारी के सुबूत। फिर भी,
क्यों की मसला महिला और औरतों के हक़ूक़ का है और देश और दुनिया में इस्लाम धर्म पर "फोबिया " भी बार बार खड़ा किया जा रहा है, इसलिए, sabrangindia की टीम ने मुफ़्ती-ए - बनारस अब्दुल बातिन साहब और इमाम व खातिब उस्मानिया जामा मस्जिद वाराणसी, मौलाना मोहम्मद हारून रशीद साहब नक्शबंदी से इस्लामी तरीके से यह मामलों पर सवाल किये. दोनों मुफ़्तियोंने स्पष्ट शब्दों में फतवा एलान करके ऐसी हरकतों का निन्दन किया है ।
फतवा: मुफ़्ती इ बनारस अब्दुल बाटिन साब फतवा लेने के लिए पूछा गया सवाल
क्या फरमाते है ओल्माएदीन व मुफ्तीयान शरय मोतय्यइन इस मस्लये मे के कल मोरखा 16 अगस्त 2017 को इंडिया टी वी चैनल की तहकीकाती टीम ने अपने चैनल पर यह expose किया है के कैसे मुस्लिम मजहब के कुछ मौलाना (मजहबी रहनुमा ) पैसा लेकर तिलक शुदा औरतों की खातिर एक रात के लिए हलाला करते है।इस एक रात के लिए ये लोग फीस 20 हज़ार से लेकर डेढ़ लाख तक लेते है । आप इसे इस्लामी नज़रिये से क्या कहेगे ? साथ ये भी वाज़ेह करदे के ऐसे मौलवीयों के बाबत शरई हुकुम क्या है ? और उनके साथ क्या सलूख करना चाहिए ? कुछ खास मौलाना जिन्होने रूपेय लेकर हलाला करने की बात इंडिया टी वी पर कुबूल व एक़रार की है उनके नाम मुंदरजा ज़ैल है ।
- मोहम्मद मुस्तक़ीम , दारुल उलूम महमूदिया मदरसा, दिल्ली
- मोहम्मद जुबेर कासमी, जामिया नगर , दिल्ली
- मोहम्मद ज़ाहिद (मदरसा चलाते है) गाव सीखेदा, ज़िला हापुड़, पश्चिम उत्तर प्रदेश
डॉ मुनीज़ा रफ़ीक़ खान (सामाजिक कार्यकर्ती)
दी गंधियान इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडीस कैम्पस
राजघाट, वाराणसी
बखिदमत मौलाना अब्दुल बातिन साहब “मुफ्ती –ए –बनारस”
अल जवाब बतवफीक अल माओफ़्फ़ीक लिल जवाब
सूरतेय मसलह मे मज़्कूरह टीवी चैनल की तहकीकाती टीम के जरियह पेश करदह प्रोग्राम अगर वाकियतन सच और सही है तो उन मौलवीयों का ये अपना ज़ाती फ़ेल है और इनके इस फ़ेल का मजहब इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है । उनकी इस हरकत पर जितनी भी मज़म्मत की जाय कम है । अगर वाकियतन इन लोगो ने ऐसी गंदी, घिनाओनी, घटिया व नापाक हरकत का इर्तेकाब किया है तो वो शरअन, कानूनन एखलाकन किसी भी तरह सही नही है । लिहाजा उनलोगों पर लाज़िम है के अपने इस बद तरीन अमल से फौरी तौर पर तौबा व असतगफार कर ले वरना इंदल लाह सख्त मोवाखीजा होगा । अगर ये लोग बाद तौबा व असतगफार अपनी इस नापाक हरकत से बाज़ आ जाये तो ठीक है वरना जिम्मेदारान कौम व समाज को इस बात का हक हासिल है के उनकी इसलाह हाली के लिए उनके खिलाफ फौरी तौर पर ता देबी कार्यवायी करे । कमा कालल्लाहो फला तकइद बादलज़िकरा मअल कौमुज ज़ालिमीन। ( अल इनआम- 68 ) हाजा अमा ज़हरी व अल्लाहो तअ।ला।(दारुल इफ्ता इब्राहीमी )
25 जिल कादा 38 हिजरी मुताबिक 17 अगस्त 2017 ई
बखिदमत मौलाना मोहम्मद हारून रशीद साहब नक्शबंदी, मुफ्ती व इमाम व खातिब उस्मानिया जामा मस्जिद वाराणसी
अल जवाब मवलमलहुम बअल सवाबसूरतेय मअल्ला मे अगर वाकयातन एह टफ अन एहजा मे मुतज करह अफराद के हक मे ये बात पाय ए सबूत तक पहुचती है और तसदीक हो जाती है के ये लोग किसी मूताललिका औरत से उसके शौहर अव्वल के लिए हलाल होने के खातिर अपनी मुजदीना फीस ( नकद रकम ) खवा कम हो या ज़्यादा लेते है और इस अमल को बतौर पेशा अख़्तियार किए हुये है तो ऐसे लोग इस्लामी कानून और जाप्ते के तहत सख्त और बाद तरीन गुनहगार है । उनका ये अमल हराम और उनके लिए अकाब व अताब का मोअजजीब अगर यह लोग इस पे है तो अकअन ऐसे लोगो से आम मुसलमानो को कता ताल्लुक (समाजी बाइकाट ) कर लेना चाहिए क्यूकि इस बाबत अल्लाह का साफ फरमान है के यौम लोग गुनाहो के कामो मे मदद न करो । फलह त आ वनु आ लाह अल अल्लाह वल अदुवान ( कुरान –ए –हकीम )
हाजा इंदा व अल्लाह आलम बिस सवाब .........
25 जिल कादा 38 हिजरी मुताबिक 17 अगस्त 2017 ई
फतवा लेने के लिए पूछा गया सवाल
क्या फरमाते है ओल्माएदीन व मुफ्तीयान शरय मोतय्यइन इस मस्लये मे के दिनांक 16 अगस्त 2017 को इंडिया टी वी चैनल की तहकीकाती टीम ने अपने चैनल पर यह expose किया है के कैसे मुस्लिम मजहब के कुछ मौलाना (मजहबी रहनुमा ) पैसा लेकर तिलक शुदा औरतों की खातिर एक रात के लिए हलाला करते है।
इस एक रात के लिए ये लोग फीस 20 हज़ार से लेकर डेढ़ लाख तक लेते है । आप इसे इस्लामी नज़रिये से क्या कहेगे ? साथ ये भी वाज़ेह करदे के ऐसे मौलवीयों के बाबत शरई हुकुम क्या है ? और उनके साथ क्या सलूख करना चाहिए ? कुछ खास मौलाना जिन्होने रूपेय लेकर हलाला करने की बात इंडिया टी वी पर कुबूल व एक़रार की है उनके नाम निम्न है ।
- मोहम्मद मुस्तक़ीम , दारुल उलूम महमूदिया मदरसा, दिल्ली
- मोहम्मद जुबेर कासमी, जामिया नगर , दिल्ली
- मोहम्मद ज़ाहिद (मदरसा चलाते है) गाव सीखेदा, ज़िला हापुड़, पश्चिम उत्तर प्रदेश
प्रश्नकर्ती
डॉ मुनीज़ा रफ़ीक़ खान (सामाजिक कार्यकर्ती)
दी गंधियान इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडीस कैम्पस
राजघाट, वाराणसी
बखिदमत मौलाना अब्दुल बातिन साहब
“मुफ्ती –ए –बनारस”
मुफ्ती-ए बनारस का जवाब
सवाल किए हुये मसले मे टीवी चैनल की तहकीकाती टीम के जरियह पेशकदा प्रोग्राम अगर हक़ीक़त मे सच और सही है तो उन मौलवीयों का ये अपना ज़ाती कार्य (खेल) है और इनके इस कार्य का मजहब से कोई ताल्लुक नहीं है । उनकी इस हरकत पर जितनी भी मज़म्मत (निंदा) की जाय कम है । अगर हक़ीक़त मे इन लोगो ने ऐसी गंदी, घिनाओनी, घटिया व नापाक हरकत किया है तो ये लोग शरीयत, कानूनन व एखलाक के एतबार से किसी भी तरह सही नही है । लिहाजा उनलोगों पर लाज़िम है के अपने इस बदतरीन अमल से फौरी तौर पर तौबा कर ले वरना अल्लाह के नज़दीक उनकी सख़्त पकड़ होगी। अगर ये लोग बाद तौबा अपनी इस नापाक हरकत से बाज़ आ जाये तो ठीक है वरना जिम्मेदारान कौम व समाज को इस बात का हक हासिल है के इनको दुरुस्त करने के लिय उनके खिलाफ फौरी तौर पर कार्यवायी करे । जैसा की अल्लाह का फरमान है कमा कालल्लाहो फला तकइद बादलज़िकरा मअल कौमुज ज़ालिमीन। हाजा अमा ज़हरी व अल्लाहो तअ।ला। ( कुरान: 6 : 68 ) (दारुल इफ्ता इब्राहीमी )
25 जिल कादा 38 हिजरी मुताबिक 17 अगस्त 2017 ई
The Original Fatwas given in URDU may be read here. Sabrangindia has the Originals