उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने शासन की बागडोर संभालते ही ऐलान किया था कि वह राज्य में कानून-व्यवस्था को पटरी पर ला देगी। लेकिन राज्य में हाल के दिनों में अपराध तेजी से बढ़े हैं। हाल में रायबरेली में पांच लोगों की नृशंस हत्या के बाद योगी सरकार बुरी तरह घिर गई है। योगी के मंत्री ही अपराध को लेकर विरोधाभासी बयान दे रहे हैं।
विधान परिषद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच प्रदेश में क्राइम को लेकर जबरदस्त नोंक-झोंक देखने को मिल रही है। विपक्ष के नेता अहमद हसन और सदन के नेता दिनेश शर्मा अपराध के अलग-अलग आंकड़े पेश कर एक दूसरे को गलत साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। शर्मा ने कहा कि योगी सरकार के 100 दिनों के भीतर ही अपराध में साढ़े चार फीसदी की कमी आई है। जबकि विपक्ष के नेताओं का कहना था कि 100 दिनों के भीतर यूपी में अपराध में 33 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
हाल के दिनों में रायबरेली में सामूहिक हत्याकांड और आजमगढ़ में जहरीली शराब से मौतों के बाद यूपी की कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्षी दल हमलावर हो गए हैं। आजमगढ़ में जहरीली शराब से हुई मौतों की संख्या बढ़ कर अब 28 हो गई है। लोगों का गुस्सा कम करने के लिए सरकार ने मरने वालों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये का मुआवजे देने का ऐलान किया है। हाल में सीतापुर में व्यापारी हत्याकांड में जो गिरफ्तारी हुई, उससे उनका परिवार ही संतुष्ट नहीं है। अपराध के मामले में पश्चिम उत्तर प्रदेश सरकार का सिरदर्द बना हुआ है। जेवर कांड के अभियुक्तों के बारे में सरकार अब तक कोई सुराग नहीं लगा पाई है। इस इलाके में मॉब लिंचिंग का खतरा बना हुआ है क्योंकि हाल के दिनों में सोशल मीडिया से फैलाई गई अफवाहों की वजह से कई जगहों पर भीड़ इकट्ठा हो चुकी है। भीड़ की हिंसा को कई जगह समय रहते टाला गया है। नहीं तो कई बड़े हादसे हो सकते थे। यूपी के इस इलाके में महिला सुरक्षा को लेकर स्थिति भी लगातार बिगड़ती जा रही है। योगी सरकार के सौ दिनों के बाद कानून-व्यवस्था में सुधार की उम्मीद रखने वालों के हाथ निराशा ही लगी है।