मॉब लिंचिंग को लेकर पीएम मोदी की चुप्पी पर विदेशी अखबार ने इस तरह साधा निशाना

Published on: July 8, 2017


अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने मॉब लिंचिंग पर प्रधानमंत्री के चुप रहने को लेकर निशाना साधा है। अखबार ने लिका है कि इस मामले में मोदी की चुप्पी से गुजरात दंगों की याद ताजा होती है कि इन दंगों में 1 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थें जिसमें ज्यादातर मुस्लिम थें। रिपोर्ट के मुताबिक मोदी कई सालों तक चुप रहे और जब उन्होंने कुछ कहा तो गुजरात दंगों की तुलना ‘पिल्लों को कुचलना’ जैसे कर दिया।

वाशिंगटन पोस्ट की वेबसाइट पर 28 जून को प्रकाशित रिपोर्ट में ये कहा गया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात से पहले मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में लोगों को संबोधित किया। इस दौरान योग, शौचालय, खेल, रानी के साथ बैठक समेत कई मुद्दों पर उन्होंने बात की लेकिन ईद से ठीक कुछ दिन पहले हुए जुनैद की हत्या पर कुछ भी सेकेंड का वक्त नहीं दिया। वेबसाइट ने लिखा है कि ईद से ठीक तीन दिन पहले यानी 23 जून को 15 वर्षीय जुनैद को ट्रेन में लोगों की भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला। ईद के मौके पर कपड़ों की खरीदारी कर जुनैद दिल्ली से अपने गांव खंडावली जा रहा था। वेबासाइट ने लिखा है मॉब लिंचिंग के दर्जनों मामले जिसमें ज्यादातर मुस्लिमों के खिलाफ हुए, वे खासतौर से मोदी के बीजेपी शासित राज्यों में ही हुए। यह भी लिखा गया है कि मोदी ने गौरक्षक समूहों के बारे में भी कुछ नहीं कहा जो अक्सर बीजेपी या आरएसएस के प्रति निष्ठा रखने वाले पाए गए।   
   
रिपोर्ट के मुताबिक मॉब लिंचिंग पर मोदी की चुप्पी से कट्टरपंथी दक्षिणपंथी समूहों को ताकत मिली है। वेबसाइट ने ये भी लिखा है कि हाल में राष्ट्रपति की तरफ से आयोजित किए गए इफ्तार पार्टी में कोई भी बीजेपी नेता शामिल नहीं हुए।

वेबसाइट ने लिखा है केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से मॉब लिंचिंग की घटना बढ़ गई है। सितंबर 2015 मोहम्मद अखलाक नाम के व्यक्ति को राजधानी दिल्ली से सटे दादरी में भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया। अखलाक को गाय की हत्या और गोमांस फ्रिज में रखने के आरोप में भीड़ ने मार दिया। इसके बाद उधमपुर में गौरक्षकों ने 16 वर्षीय जाहिद रसूल भट्ट को बम से हमला कर मार दिया। वहीं मार्च 2017 में संदिग्ध मवेशी व्यापारी मोहम्मद मजलूम और आजाद खान को लातेहार में फांसी पर लटका दिया गया। कथित तौर पर बीफ को स्टोर करने को लेकर महाराष्ट्र के मालेगांव में व्यापारियों पर हमला किया गया। इसी साल झारखंड में 19 साल के मोहम्मद शालिक को एक हिंदू लड़की से संबंध होने के मामले में एक खंभे से बांध कर पीटा गया जिससे उसकी मौत हो गई। असम में अबू हनिफा और रियाजुद्दीन अली को मवेशी चोरी करने के आरोप में पीट-पीट कर मार दिया गया। 7 जून को झारखंड के धनबाद में एक मुस्लिम व्यक्ति को इफ्तार पार्टी में गोमांस सप्लाई करने के शक में मार दिया गया।

मॉब लिंचिंग पर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने एक वक्तव्य जारी कर इसे ‘गंभीर चिंता’ का मामला बताया और मोदी और अन्य बीजेपी नेता द्वारा इस मामले में निंदा न करने पर निंदा की। संगठन के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने वक्तव्य में कहा कि ‘भारतीय प्रधानमंत्री, वरिष्ठ बीजेपी नेताओं और मुख्यमंत्रियों को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और एक साथ इन हमलों की निंदा करनी चाहिए।’  
 

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