कम नहीं हुआ है नोटबंदी का हाहाकार, गांवों में नकदी की जबरदस्त किल्लत

Written by सबरंगइंडिया | Published on: June 27, 2017


नोटबंदी के सात महीने बाद मोदी सरकार यह दावा कर रही है कि नकदी का संकट खत्म हो गया है। लेकिन कई इलाकों में जो हालात हैं उनसे नहीं लगता कि हालात सरकार के काबू में है। नोटबंदी के बाद ग्रामीण इलाकों में हाहाकार मच गया था। उस दौरान किसानों को बुवाई करने, बीज और खाद खरीदने में खासी दिक्कतें आई थीं। किसानों की फसल औने-पौने दामों पर पर बिकी थी।

अब एक बार फिर बारिश की शुरुआत होते ही उत्तर प्रदेश, बिहार और देश के कुछ अन्य इलाकों में धान की बुवाई की शुरुआत हो चुकी है लेकिन नकदी की किल्लत की वजह से किसानों की खेती पिछड़ती हुई दिख रही है। कुछ खबरों के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में नकदी की किल्लत से ईद की खरीदारी पर भी असर पड़ा है। इस किल्लत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एसबीआई ने रिजर्व बैंक को पत्र लिख कर पर्याप्त नकदी मुहैया कराने को कहा है।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों का कहना है की धान की बुवाई की तैयारी शुरू हो गई। बिचड़े तैयार करने का मौसम आ गया है लेकिन जरूरत के मुताबिक खाद-बीज की खरीद नहीं हो पा रही है। खाद-बीज खरीदने और मजदूरों के भुगतान के लिए नकदी की जरूरत है। और हालात ये हैं कि जिलों के बैंकों में लगे एटीएम में अभी भी कैश की किल्लत है। इनमें अभी भी ठीक से पैसे नहीं आते। हालांकि वित्त मंत्रालय इस बात से इनकार कर रहा है। मंत्रालय का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में कैश  की किल्लत नहीं है। लेकिन हकीकत कुछ और है। सरकारी बैंक के मुख्यालयों तैनात वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि रिजर्व बैंक से पर्याप्त कैश नहीं मिलने से स्थिति बिगड़ रही है। आरबीआई की ओर से बैकों को रिजर्व से काम चलाने को कहा जा रहा है। लेकिन अफसरों का कहना है कि अभी भी बैंकों के पास उतना डिपोजिट नहीं होता, जितना निकासी की जाती है।

एसबीआई ने पिछले महीने रिजर्व बैंकों को लिखी चिट्ठी में उसके पास अभी भी नकदी की किल्लत चल रही है। इस वजह से वह महज 51 फीसदी एटीएम में ही नकदी डाल पा रहा है। नकदी की कमी की वजह से कई जगहों पर बैंक कर्मचारियों और ग्रामीणों के बीच झगड़ों की खबरें मिली हैं। ग्रामीण इलाकों में अभी भी नकदी से खरीदारी होती है। यही वजह है इस बार ईद में ग्रामीण इलाकों में खरीदारी फीकी नजर आने की खबरें हैं।  
 

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