पेहलू खान के नामजद हत्यारों की गिरफ्तारी हो व उनपर गौ तस्करी का झूठा आरोप खत्म हो
पहलू खान की पत्नी और परिवार। पहलू खान को कथित गौरक्षकों ने मार दिया था। (फाइल फोटो: Jansatta)
आज अजम़त खान पुत्र सुलेमान उर्फ सल्ला, रफिक पुत्र मेहतु व इर्’ााद खान व आरिफ खान, दोनो पुत्र पेहलू खान, सभी जयसिंहपुर नूह हरियाणा के निवासी ने जयपुर रेंज के पुलिस महानिरक्षक (आई.जी.) हेमन्त प्रियदर्शी से मुलाकात की व मांगकी कि उनके विरूद्ध बहरोड में दर्ज फर्जी एफ.आई.आर. नं. 252/2017, 253/2017 में सही जांच हो जिससे गौ तस्करी का आरोप खत्म हो सके साथ ही एफ.आई.आर. नं. 255/2017 जिसे पेहलू खान ने गंभीर घायल अवस्था में दर्ज करवाई थी उसमेंलिखे गये नामज़द हत्यारों की गिरफ्तारी तुरन्त हो।
उन्होंने इस बात की खुशी जाहिर की कि उपरोक्त एफ.आई.आर. में जांच बेहरोड थाने व अलवर जिले से निकलकर अब स्वंय आई.जी. के निरीक्षण में अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक, कोटपुतली श्रीराम स्वरूप द्वारा की जायेगी। उन्होंने बताया कि बहुत हीसाफ नियत से 1 अप्रैल 2017 को जयपुर के रामगढ़ स्थित हटवाडा से दूधारी गाय खरीदी थी और उन गौ पालको पर हमला इस लिए किया गया क्योंकि वे मुसलमान थे। लेकिन उनके क्षेत्र में मेव मुसलमानों का मुख्य धन्धा ही खेती किसानी व गौपालन है। उन्होंने यह भी कहा कि सबसे ज्यादा चोट उन्हें इस बात से लगी उन गौ पालकों को गौ तस्कर घोषित करने की कोशिश की जा रही है।
गंभीर घायल अवस्था में पहुंचे 25 वर्षीय अज़मत खान जो उर्दू, अरबी, फारसी, हिन्दी व अंग्रेजी सभी आसानी से पढ-लिख लेता है ने बताया कि 1 अप्रैल को अगर स्थानिय पुलिस चाहती तो पेहलू खान को बचाया जा सकता था व उसकी रीढी(स्पाइनल कोड) इतनी बुरी तरह चोटग्रस्त नहीं होती और वह खडे होने व उठने-बैठने लायक होता। उसने बताया कि अगर उसे व पेहलू खान को उसी समय और बेहतर अस्पताल मे ले जाते तो पेहलू खान आज भी जीवीत होता। उसने यह भी बताया किउसका इलाज ए.आई.आई.एम.एस. दिल्ली में हो रहा है और उसे पूर्ण रूप से आराम करने को कहा गया है। रफिक ने बताया कि उसकी नाक की हड्डी व 2 पसलिया टुट गई पर उसके पास अधिक पैसे न होने के कारण आगे इलाज नही करा पाया।उसका यह भी कहना था कि वह तो भैंस खरीदने गया था लेकिन पैसे कम पड़ जाने के कारण उसने कुछ भी नही खरीदा, वह तो केवल उन लोगों की गाडियों में लौट रहा था उसमें उसके 25000/-रूपये खो गये। इरशाद ने बताया कि जिस तरह इन सभीको पीट पीट कर घायल किया गया उसमें सभी उम्र के लोग थे उसने यह भी कहा कि वे लोग गायो को बहुत अच्छी तरह ले जा रहे थे, वह गाडी की नाप से ही मालुम पड जाता है।
उन्होंने 3 मई 2017 को राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर द्वारा एफ.आई.आर. नं. 252, 253 में सभी को, अज़मत खान, रफिक खान, ईर्’ााद व आरिफ खान को दी गई अग्रिम जमानत के आदेश भी पेश किये।
पुलिस महानिरक्षक हेमन्त प्रियदर्शीने सही और न्यायपूर्ण जांच का आ’वासन दिया। उन्होंने यह बताया कि 11 व 12 मई को 1 अप्रैल 2017 को गाय तस्करी के नाम पर दर्ज हुई, पांच एफ.आई.आर. और छठी एफ.आई.आर. जो पेहलू खान की हत्याको लेकर दर्ज हुई सभी को अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक कोटपुतली को जांच के लिए हस्तांतरित किया गया। आई.जी. से मिलने वाले दल में जयसिंहपुर के चारों पिडित, अलवर से आये मानवाधिकार कार्यकर्ता मौलाना हनिफ, पेहलू खान के चाचाहुसैन खान, पी.यू.सी.एल.राजस्थान की अध्यक्षा कविता श्रीवास्तव, सी.पी.आई.एम. की जिला सचिव सुमित्रा चोपड़ा, राजस्थान नागरिक मंच के बंसत हरियाणा शामिल थे।
उन्होंने इस बात की खुशी जाहिर की कि उपरोक्त एफ.आई.आर. में जांच बेहरोड थाने व अलवर जिले से निकलकर अब स्वंय आई.जी. के निरीक्षण में अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक, कोटपुतली श्रीराम स्वरूप द्वारा की जायेगी। उन्होंने बताया कि बहुत हीसाफ नियत से 1 अप्रैल 2017 को जयपुर के रामगढ़ स्थित हटवाडा से दूधारी गाय खरीदी थी और उन गौ पालको पर हमला इस लिए किया गया क्योंकि वे मुसलमान थे। लेकिन उनके क्षेत्र में मेव मुसलमानों का मुख्य धन्धा ही खेती किसानी व गौपालन है। उन्होंने यह भी कहा कि सबसे ज्यादा चोट उन्हें इस बात से लगी उन गौ पालकों को गौ तस्कर घोषित करने की कोशिश की जा रही है।
गंभीर घायल अवस्था में पहुंचे 25 वर्षीय अज़मत खान जो उर्दू, अरबी, फारसी, हिन्दी व अंग्रेजी सभी आसानी से पढ-लिख लेता है ने बताया कि 1 अप्रैल को अगर स्थानिय पुलिस चाहती तो पेहलू खान को बचाया जा सकता था व उसकी रीढी(स्पाइनल कोड) इतनी बुरी तरह चोटग्रस्त नहीं होती और वह खडे होने व उठने-बैठने लायक होता। उसने बताया कि अगर उसे व पेहलू खान को उसी समय और बेहतर अस्पताल मे ले जाते तो पेहलू खान आज भी जीवीत होता। उसने यह भी बताया किउसका इलाज ए.आई.आई.एम.एस. दिल्ली में हो रहा है और उसे पूर्ण रूप से आराम करने को कहा गया है। रफिक ने बताया कि उसकी नाक की हड्डी व 2 पसलिया टुट गई पर उसके पास अधिक पैसे न होने के कारण आगे इलाज नही करा पाया।उसका यह भी कहना था कि वह तो भैंस खरीदने गया था लेकिन पैसे कम पड़ जाने के कारण उसने कुछ भी नही खरीदा, वह तो केवल उन लोगों की गाडियों में लौट रहा था उसमें उसके 25000/-रूपये खो गये। इरशाद ने बताया कि जिस तरह इन सभीको पीट पीट कर घायल किया गया उसमें सभी उम्र के लोग थे उसने यह भी कहा कि वे लोग गायो को बहुत अच्छी तरह ले जा रहे थे, वह गाडी की नाप से ही मालुम पड जाता है।
उन्होंने 3 मई 2017 को राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर द्वारा एफ.आई.आर. नं. 252, 253 में सभी को, अज़मत खान, रफिक खान, ईर्’ााद व आरिफ खान को दी गई अग्रिम जमानत के आदेश भी पेश किये।
पुलिस महानिरक्षक हेमन्त प्रियदर्शीने सही और न्यायपूर्ण जांच का आ’वासन दिया। उन्होंने यह बताया कि 11 व 12 मई को 1 अप्रैल 2017 को गाय तस्करी के नाम पर दर्ज हुई, पांच एफ.आई.आर. और छठी एफ.आई.आर. जो पेहलू खान की हत्याको लेकर दर्ज हुई सभी को अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक कोटपुतली को जांच के लिए हस्तांतरित किया गया। आई.जी. से मिलने वाले दल में जयसिंहपुर के चारों पिडित, अलवर से आये मानवाधिकार कार्यकर्ता मौलाना हनिफ, पेहलू खान के चाचाहुसैन खान, पी.यू.सी.एल.राजस्थान की अध्यक्षा कविता श्रीवास्तव, सी.पी.आई.एम. की जिला सचिव सुमित्रा चोपड़ा, राजस्थान नागरिक मंच के बंसत हरियाणा शामिल थे।